उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक 11 साल की बच्ची तेंदुए के साथ भिड़ गई. अपने चार साल के भाई को बचाने के लिए उसने तेंदुए के आगे हार नहीं मानी और भाई को बचाने में कामयाब रही. 11 साल की राखी ने जैसे ही देखा कि तेंदुआ उसके छोटे भाई पर झपटने वाला है, वैसे ही वो अपने भाई का कवच बन गई.
राखी अपने भाई को बचाने के लिए तेंदुए से पहले ही उसकी तरफ लपकी और भाई के ऊपर लेट गई. तेंदुआ राखी पर लगातार हमला करता रहा, लेकिन उसने भाई को पकड़े रखा. आखिरकार तेंदुए और 11 साल की बच्ची की इस लड़ाई में तेंदुए की हार हुई.
कैसे हुई घटना?
पौड़ी जिले के देवकंडाई गांव के रहने वाली राखी और उसका छोटा भाई राघव शाम को अपने खेत से घर लौट रहे थे. तभी रास्ते में तेंदुए ने अचानक उन पर हमला बोल दिया. तेंदुए ने 4 साल के राघव को उठाने की कोशिश की, लेकिन राखी ने ऐसा होने नहीं दिया. बुरी तरह लहू-लुहान होने के बाद भी राखी ने उसे पकड़े रखा. बच्चों की मां के लगातार चिल्लाने के बाद तेंदुए को भागना पड़ा और राखी अपने भाई को बचाने में कामयाब रही.
घायल 11 साल की राखी को तुरंत कोटद्वार के हॉस्पिटल ले जाया गया. लेकिन हालत गंभीर देखते हुए उसे दिल्ली रेफर कर दिया गया.
वीरता पुरुस्कार की सिफारिश
राखी की इस बहादुरी पर पौड़ी के जिलाधिकारी ने कहा कि उसका नाम वीरता पुरुस्कार के लिए दिया जाएगा. पहले प्रशासन की तरफ से और बाद में राज्य सरकार की तरफ से राखी का नाम राष्ट्रीय वीरता पुरुस्कार के लिए दिया जाएगा.
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री और स्थानीय विधायक सतपाल महाराज ने कहा कि जब उन्हें राखी के घायल होने की सूचना मिली तो उन्होंने परिवार से संपर्क किया. जिसके बाद घायल राखी को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती कराने की सलाह दी.
इसके अलावा सतपाल महाराज ने अपनी सैलरी से घायल राखी के परिवार को एक लाख रुपये देने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि जल्द वो राखी से मिलने दिल्ली पहुंचेंगे.
बता दें कि उत्तराखंड के कई इलाकों में हर साल कई बच्चे आदमखोर तेंदुओं का शिकार होते हैं. पिछले ही हफ्ते दो आदमखोर तेंदुओं को मारा गया था. कुछ ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां आज भी लोग आदमखोर तेंदुए की दहशत में जी रहे हैं.
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