उत्तराखंड बीजेपी में सियासी हलचल और तमाम अटकलों के बाद अब आखिरकार सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. सीएम रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा. जिसके बाद अब कुछ ही देर में रावत मीडिया को संबोधित करेंगे. रावत के इस्तीफे के बाद अब अगले सीएम को लेकर भी चर्चाएं तेज हो चुकी हैं.
इस्तीफा देने के बाद क्या बोले रावत
इस्तीफा देने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से कहा कि, मैं लंबे समय से राजनीति में काम कर रहा हूं. आरएसएस और बीजेपी के संगठन महामंत्री के नाते. चार सालों से पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का मौका दिया. ये मेरे जीवन का स्वर्णिम अवसर था. मैंने एक सैनिक के परिवार में एक छोटे से गांव में जन्म लिया. कभी कल्पना नहीं की थी कि पार्टी इतना बड़ा सम्मान देगी. बीजेपी में ही ये संभव था कि एक छोटे से गांव से आए एक पार्टी कार्यकर्ता को पार्टी ने इतना बड़ा सम्मान दिया और 4 साल सेवा करने का मौका दिया.
रावत ने कहा कि, चार साल पूरा होने में अब 9 दिन रह गए थे. मैं प्रदेश वासियों का धन्यवाद करना चाहता हूं. विशेषकर बच्चों की शिक्षा और किसानों के लिए जो हमने नए नए कार्यक्रम दिए. ये चार साल का मौका अगर पार्टी नहीं देती तो इन योजनाओं को मैं नहीं ला सकता था.
जिन्हें भी कल पार्टी में दायित्व मिलेगा, मेरे लिए उन्हें शुभकामनाएं हैं. मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. बीजेपी में जो भी फैसले होते हैं वो सामूहिक तौर पर ही लिए जाते हैं. कल पार्टी मुख्यालय पर 10 बजे पार्टी विधानमंडल दल की बैठक है.
सोमवार देर रात शाह और नड्डा से मुलाकात
उत्तराखंड राजनीति में चल रही उठापटक को लेकर सोमवार रात दिल्ली में एक हाई लेवल बैठक हुई थी, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे. संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में उत्तराखंड बीजेपी में चल रहे घमासान पर चर्चा हुई.
क्यों बने इस्तीफे के हालात?
रावत से उत्तराखंड में विधायकों का एक बड़ा गुट नाराज चल रहा है. विधायकों की शिकायत है कि राज्य में खुली छूट मिलने से ब्यूरोक्रेसी अनियंत्रित हो चुकी है. विधायकों और मंत्रियों की सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में नाराज विधायक मुख्यमंत्री को बदलने की मांग कर रहे थे. बीजेपी नेतृत्व की ओर से दो ऑब्जर्वर देहरादून भेजकर जरूर राज्य के हालत पर रिपोर्ट भी मंगाई गई थी.
कहा जा रहा था कि पार्टी सभी पक्षों से बात कर बीच का रास्ता निकाल सकती है, लेकिन रावत के इस्तीफे के बाद लग रहा है कि पार्टी की ये कोशिश कामयाब नहीं हो सकी.
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