गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में जस्टिस बीएस चौहान इन्क्वायरी कमिशन ने उत्तर प्रदेश पुलिस को 'क्लीन चिट' दे दी है. आयोग ने कहा है कि इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर में अपराधियों के हमले में 8 पुलिसकर्मियों की मौत और इसके बाद विकास दुबे और उसके पांच कथित गुर्गों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायिक जांच के लिए जस्टिस बीएस चौहान कमिशन का गठन किया था.
एनडीटीवी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार और सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है कि मुठभेड़ के पुलिस संस्करण का खंडन करने के लिए कोई सबूत नहीं है, लेकिन इसका समर्थन करने के लिए पर्याप्त सामग्री है.
इस रिपोर्ट को लेकर न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से बताया है, ‘’कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था, जो मुठभेड़ को लेकर बताई गईं पुलिस की बातों से अलग गवाही या सबूत देने के लिए आगे आता.’’
सूत्र ने बताया, ''इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. आयोग ने अखबारों में बार-बार विज्ञापन दिए और उन मीडियाकर्मियों से आगे आकर सबूत देने का अनुरोध किया, जिन्होंने एनकाउंटर को फेक बताया था, लेकिन कोई भी पैनल के सामने नहीं आया.''
आयोग ने मुठभेड़ स्थलों के पास के गांवों में पर्चे भी बांटे थे, जिसमें लोगों से घटनाओं के बारे में बताने का अनुरोध किया गया था.
क्या था मामला?
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पिछले साल तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में घात लगाकर पुलिस की टुकड़ी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसके बाद से ही पुलिस विकास दुबे और उसके ‘गुर्गों’ की तलाश कर रही थी.
पुलिस के मुताबिक, गैंगस्टर विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर ला रही पुलिस की टुकड़ी को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी क्योंकि आरोपी ने भागने का प्रयास किया, जिसमें वह मारा गया. विकास दुबे 10 जुलाई को कानपुर के पास भौती में 'पुलिस मुठभेड़' में मारा गया था.
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