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बंगाल: हिंसा प्रभावित इलाकों में पहुंचे राज्यपाल, जमकर हुआ विरोध

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ हिंसा पीड़ितों से मिलने के लिए आज कूच बिहार पहुंचे.

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राज्य
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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ हिंसा पीड़ितों से मिलने के लिए आज कूच बिहार पहुंचे. कूच बिहार के शीतलकुची में पहुंचने पर धनखड़ को काले झंडे दिखाए गए. सड़क के दोनों ओर खड़े होकर लोगों ने राज्यपाल के काफिले को काले झंडे दिखाकर विरोध दर्ज किया. धनखड़ ने दिनहाटा में चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों से भी मुलाकात की. यहां टीएमसी कार्यकर्ताओं ने ‘गो बैक’ के नारे भी लगाए.

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राज्यपाल ने ममता पर साधा निशाना

चुनाव के बाद की हिंसा की स्थिति का जायजा लेने के लिए कूचबिहार पहुंचे धनखड़ ने कहा, “जब मैंने राज्य सरकार से कहा कि मैं चुनाव के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगा, तो सीएम ने कहा कि राज्यपाल राज्य सरकार की अनुमति के बिना क्षेत्रों का दौरा नहीं कर सकते. मैं दंग रह गया था. मैंने सीएम को लिखा और उनसे कहा कि यह असंवैधानिक है और मैंने अपनी यात्रा शुरू की.”

“चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव था. कहीं कोई समस्या नहीं थी. केवल बंगाल में रक्तपात क्यों हुआ? जिन लोगों ने एक पार्टी के पक्ष में अपना समर्थन नहीं दिया, उनके अधिकार कुचल डाले गए. उन्हें इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.”
जगदीप धनखड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल

राज्यपाल ने राज्य में हुई हिंसा के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, “यह सब तब शुरू हुआ, जब ममता ने कहा कि केंद्रीय बल हमेशा के लिए नहीं रहेंगे और मुझे दुख हुआ, जब मैंने देखा कि चुनाव के दौरान वह कानून और संविधान और कानून की अनदेखी करने के लिए कह रही थीं और कहा था कि कानून 2 मई से शुरू होगा.”

“चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री का व्यवहार उचित नहीं था। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ था.”
जगदीप धनखड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल

धनखड़ ने चुनाव के बाद की हिंसा के संबंध में राज्य सरकार को क्लीन चिट देने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, “मैंने मीडिया में यह नैरेटिव पेश होते देखा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार को क्लीन चिट दी है. मैंने ऐसा कहीं नहीं देखा है. मैंने इसकी जांच की है.”

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ममता ने दौरे को बताया था ‘प्रोटोकॉल का उल्लंघन’

ममता ने लिखा था कि राज्यपाल को किसी भी स्थान की यात्रा करने के संबंध में अचानक और एकतरफा फैसला नहीं लेना चाहिए। उन्हें सरकार द्वारा की गई सिफारिशों पर अमल करना चाहिए. दौरे को प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा था,

“राज्यपाल द्वारा जिलों में स्थानों का दौरा करने का कार्यक्रम राज्यपाल के सचिव किसी निजी पार्टी या सरकारी संस्थान की सिफारिश पर तय करते हैं. उससे पहले वह सरकार और डिवीजन के कमिश्नर और जिलाधिकारी से परामर्श लेते हैं. सचिव ही समग्र कार्यक्रम के उचित निष्पादन के प्रभारी होते हैं.”

ममता बनर्जी के लेटर के जवाब में राज्यपाल धनखड़ ने भी एक लेटर लिखा था. इस लेटर में उन्होंने संविधान के आर्टिकल- 159 का जिक्र करते हुए कहा था, “वो संविधान की रक्षा के लिए जो भी बेहतर हो सकेगा वो करेंगे.”

(IANS के इनपुट्स के साथ)

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