शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को सवाल किया हैकि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्यपाल कोटा से विधान परिषद के लिए मनोनीत करने के राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी देने से कौन रोक रहा है . राउत ने कहा कि कोश्यारी का बीजेपी से जुड़ाव कोई छिपी हुई बात नहीं है लेकिन यह वक्त राजनीति करने का नहीं है.
सीएम ठाकरे विधानसभा-विधानपरिषद के सदस्य नहीं
ठाकरे विधानसभा और विधानपरिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. उन्होंने पिछले वर्ष 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस प्रकार से 28 मई को उनके कार्यकाल के छह माह पूरे हो रहे हैं. संविधान के अनुसार कोई मंत्री या मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह माह की भीतर दोनों में से किसी का भी सदस्य निर्वाचित होना होता है वरना उसे पद से इस्तीफा देना होता है. राउत ने उम्मीद जताई कि ठाकरे 27 मई के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे.
राज्यपाल को दिया गया था सुझाव
बता दें कि राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी जिसमें ठाकरे को राज्यपाल कोटे से विधानपरिषद के सदस्य के रूप में मनोनीत करने का सुझाव दिया गया था.
राउत ने मराठी समाचार चैनल से बातचीत में कहा,‘‘ महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्यपाल कोटा से विधानपरिषद का सदस्य मनोनीत करने की सिफारिश की है. सीट भी खाली है. तब उन्हें सिफारिश मंजूर करने से कौन रोक रहा है.उन्होंने कहा कि यह वक्त किसी प्रकार की राजनीति करने का नहीं है. राउत ने कल भी राज्यपाल पर निशाना साधा था. उन्होंने ट्वीट किया, “राज भवन, राज्यपाल का आवास राजनीतिक साजिश का केंद्र नहीं बनना चाहिए. याद रखिए, इतिहास उन लोगों को नहीं बख्शता है, जो असंवैधानिक व्यवहार करते हैं.”
इस पर बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने जवाब दिया कि राज्यपाल संवैधानिक पद है. संविधान ने जो अधिकार राज्यपाल को दिए हैं. उसके तहत राज्यपाल फैेसला लेंगे, उनपर दबाव क्यों बनाया जा रहा है.
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