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मेरठ के पत्रकारिता छात्र का आरोप - ‘मुझे बेवजह गोकशी में फंसाया’

पत्रकारिता छात्र ने कहा- ‘’मैं उत्तर प्रदेश में सुरक्षित महसूस नहीं करता’’

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25 अगस्त को दोपहर 12:30 बजे, उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थानीय पुलिस एक 21 वर्षीय पत्रकारिता छात्र जाकिर अली त्यागी के घर का दरवाजा खटखटाती है.

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त्यागी अपने बिस्तर पर, लैपटॉप पर प्राइमटाइम न्यूज देख रहे थे. उन्होंने पॉज बटन दबाया और दरवाजा खोलने के लिए उठे. इसके बाद वह अपने दरवाजे पर लगभग 17 पुलिसकर्मियों को देखकर हैरान रह गए. त्यागी के मुताबिक, उन्होंने पुलिसकर्मियों से आने की वजह पूछी, लेकिन उन्होंने इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा.

त्यागी ने क्विंट को बताया, ''उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया और कहा- 'तू ही है योगी-मोदी वाला.' फिर उन्होंने मुझे मेरे घर से बाहर खींच लिया और अपनी पुलिस जीप में धकेल दिया. मैं उनसे पूछता रहा कि वे मुझे क्यों ले जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने मुझे नहीं बताया.''

त्यागी ने बताया कि उन्हें लगा था कि शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन से जुड़ने के लिए उन्हें उठाया गया होगा.

पत्रकारिता छात्र ने कहा- ‘’मैं उत्तर प्रदेश में सुरक्षित महसूस नहीं करता’’
एक प्रोटेस्ट में जाकिर अली त्यागी
(फोटो: द क्विंट)

पुलिस उन्हें उनके गांव से लगभग 5-6 किलोमीटर दूर किला परीक्षितगढ़ स्टेशन ले गई. त्यागी का दावा है कि उन्होंने लॉक-अप में रात बिताई, लेकिन किसी भी पुलिस अधिकारी ने उससे पूछताछ नहीं की और न ही कोई वजह बताई.

''स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं का था दबाव''

बाद में सुबह, त्यागी के ग्राम प्रधान सहित कुछ लोग उनकी जमानत के लिए पुलिस स्टेशन आए. तब पता चला कि त्यागी को गोहत्या के संदेह में गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि पुलिस ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी और उन्हें वहां से जाने को कह दिया.

त्यागी ने आरोप लगाया, ‘’मुन्नेश्वर (स्थानीय ग्रामीण) अन्य ग्रामीणों के साथ स्टेशन में मौजूद थे. मुन्नेश्वर ने बड़ा गांव में अपने खेत पर गाय के अवशेष मिलने की शिकायत की थी. मुन्नेश्वर ने कोई नाम नहीं लिया था; पुलिस ने बिना नाम के ही शिकायत दर्ज की थी.’’

बड़ा गांव ग्राम पंचायत प्रमुख तालिब के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि त्यागी को राजनीतिक दबाव में गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि मुन्नेश्वर ने शिकायत में उसका नाम नहीं बताया था.

त्यागी ने बताया, ''मुन्नेश्वर ने 23 अगस्त को पुलिस को सूचित किया था कि उनके खेत में गाय के अवशेष मिले हैं. पुलिस ने शिकायत दर्ज की और गोहत्या के संदेह में एक 17 वर्षीय स्थानीय ग्रामीण को गिरफ्तार कर लिया, और उसे परीक्षितगढ़ के थाने में बंद कर दिया.''

त्यागी ने आरोप लगाया, ''उस लड़के को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसके पिता इरफान पहले गांव में होने वाले छोटे-मोटे अपराधों में शामिल थे, इसलिए पुलिस ने बिना किसी सबूत के यह मान लिया कि इरफान गोहत्या में भी शामिल रहे होंगे. लेकिन, इरफान पिछले एक महीने से गांव से बाहर थे, तो पुलिस ने उनके बेटे को इस मामले में उठा लिया, क्योंकि उस पर स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता दबाव डाल रहे थे.''

इस मामले पर इरफान ने बताया, ''वे मुझे गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन मैं उस समय गांव में नहीं था, मैं एक निजी वजह से पूर्णिया (बिहार) गया था, इसलिए उन्होंने मेरे बेटे को गिरफ्तार कर लिया.''

इरफान का दावा है कि वह 25 अगस्त को अपने गांव लौटे, और 27 अगस्त को अपने बेटे से मिलने गए, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली. ‘’ उन्होंने कहा, ‘’उन्होंने मुझे गाली दी और जाने के लिए कहा. मैं सिर्फ अपने बेटे को कुछ कपड़े देने गया था.’’

जेल में क्या हुआ था?

त्यागी का दावा है कि 25 अगस्त की दोपहर को, पुलिस गायों को मारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों से भरा एक बैग लेकर आई. उन्होंने कथित तौर पर त्यागी और दूसरे लड़के को अपराध स्वीकार करते हुए बैग और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया. दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने के बाद, पुलिस त्यागी को आगे की कार्यवाही के लिए स्थानीय अदालत लेकर गई. त्यागी ने कहा कि सब-इंस्पेक्टर को पता था कि "मुझे जबरदस्ती मामले में फंसाया जा रहा है."

त्यागी ने दावा किया, ''सब-इंस्पेक्टर ने कहा कि अदालत को पता है कि मुझे मामले में फंसाया जा रहा है क्योंकि ये हथियार पुलिस ने खुद प्लांट किए हैं.''

जब द क्विंट ने किला परीक्षितगढ़ के एसएचओ मिथुन दीक्षित से पूछा कि त्यागी को किस आधार पर उठाया गया, तो उन्होंने दावा किया, "एक मुखबिर ने हमें जाकिर की संलिप्तता के बारे में बताया था."

आगे सवाल पूछने पर एसएचओ ने कहा, ‘’आप लोगों को नहीं समझ आएगा.’’ जब ये पूछा गया कि त्यागी के खिलाफ क्या सबूत मिले थे तो उन्होंने कहा, ‘’क्या करोगे जानकर?’’

अदालत की कार्यवाही के बाद, त्यागी को 16 दिनों की कस्टडी में भेज दिया गया. त्यागी को 35 अन्य कैदियों के साथ छोटू राम कॉलेज अस्थायी जेल में बंद कर दिया गया.

त्यागी की सुनवाई एक हफ्ते में दो बार स्थगित कर दी गई, और आखिरकार उन्हें 7 सितंबर को जमानत दे दी गई, और 9 सितंबर को रिहा कर दिया गया. दूसरे लड़के को भी उसी दिन जमानत मिल गई थी.

''असली गुनहगारों को अलग आरोप में गिरफ्तार किया गया''

बड़ा गांव के पूर्व ग्राम पंचायत प्रमुख, जिन्होंने जमानत दिलाने में त्यागी की मदद की थी, क्विंट को बताया कि त्यागी की गिरफ्तारी के दो दिन बाद उसी गांव के भाइयों नासिर और बॉबी ने गोहत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था, हालांकि, दोनों भाइयों को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

''मैं उत्तर प्रदेश में सुरक्षित महसूस नहीं करता''

यह पहली बार नहीं है जब त्यागी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है. साल 2017 में, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट की धारा 66 के तहत गिरफ्तार किया गया था.

पत्रकारिता छात्र ने कहा- ‘’मैं उत्तर प्रदेश में सुरक्षित महसूस नहीं करता’’

उन्हें 40 दिनों के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था, लेकिन पुलिस ने चार्जशीट में राजद्रोह से संबंधित धारा जोड़ दी थी.

2017 में त्यागी की गिरफ्तारी से ठीक पहले, योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था. आदित्यनाथ ने अपने भाषण में अपने गृहनगर गोरखपुर को गुंडा राज से छुटकारा दिलाने का वादा किया था. त्यागी ने कथित तौर पर फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें मुख्यमंत्री पर उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर सवाल उठाया था.

त्यागी का कहना है कि वह भलाई के लिए उत्तर प्रदेश छोड़ देंगे, क्योंकि वह अब राज्य में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं.

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