भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बने सुपरटेक एमरॉल्ड (Supertech Twin Tower) के 102 मीटर ऊंचाई वाले दो टॉवर आज रविवार को दोपहर ढाई बजे गिर जाएंगे. 3700 टन बारूद से मात्र 9 सेकेंड में दोनों टॉवर जमींदोज हो जाएंगे. ये टॉवर उस वक्त सिर्फ 70 करोड़ रुपए में बनकर खड़े हुए थे और आज इन्हें गिराने में ही करीब 20 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो रहे हैं. आइये जानते हैं, इस भ्रष्टाचार की बुनियाद कैसे रखी गई ?
एफएआर के साथ बढ़ाते गए टॉवरों की ऊंचाई
23 नवंबर 2004- सुपरटेक एमरॉल्ड को नोएडा के सेक्टर-93ए में 48263 वर्गमीटर जमीन हाउसिंग सोसाइटी के लिए आवंटित हुई. पहली बार में 14 फ्लोर का नक्शा पास हुआ, इसके बाद 21 जून 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने 6556.21 वर्गमीटर जमीन और दी. 26 नवंबर 2009 को अथॉरिटी ने सुपरटेक के कहने पर दूसरी बार प्लान रिवाइज किया.
इस प्लान में T-16 टॉवर में ग्राउंड प्लस 11 और दूसरे टॉवर में ग्राउंड प्लस 24 फ्लोर की मंजूरी दी गई. तीसरी बार के रिवाइज प्लान में अथॉरिटी ने दोनों टॉवरों को ग्राउंड फ्लोर प्लस 24 से बढ़ाकर 40 फ्लोर की मंजूरी दे दी. इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई.
सुपरटेक परचेबल FAR खरीदता गया और फ्लोर की ऊंचाई बढ़ाता गया. शुरुआत में FAR 1.5 था, जो सबसे आखिर में 2.75 तक पहुंच गया. महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों टॉवरों के बीच कीज दूरी 9 मीटर रखी गई, जबकि निमयानुसार कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए थी. ये दोनों ही टॉवर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर खड़े किए गए थे.
2009 में शुरू हुई लड़ाई, 2022 में अंजाम तक पहुंची
RWA अध्यक्ष उदयभान यादव बताते हैं, साल-2009 के आसपास हमने इस पर आपत्ति जताई और ग्रीनरी जमीन को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया. सबसे पहले 2009 में RWA बनाया. नोएडा अथॉरिटी में शुरुआती शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई तक नहीं हुई.
फिर कोर्ट केस के लिए सोसाइटी के चुनिंदा लोगों से 500-500 रुपए इकट्ठा किए और इलाहाबाद हाईकोर्ट में साल-2012 में याचिका दायर कर दी गई. आखिरकार कई बरसों की लड़ाई के बाद साल-2014 में हाईकोर्ट इलाहाबाद ने सुपरटेक एमरॉल्ड के ट्विन टॉवरों को तोड़ने का आदेश कर दिया.
इतना ही नहीं, हाईकोर्ट के सख्त रूख के बाद शासन स्तर पर हाईलेवल जांच कमेटी गठित हुई और करीब 24 अफसरों और कर्मचारियों पर FIR भी हुई.
चंदा इकट्ठा करके लड़ी कानूनी लड़ाई
सुपरटेक इस आदेश से संतुष्ट नहीं हुआ और हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर दी. यहां पर भी कई साल तक कानूनी दांवपेंच में मामला उलझता रहा. सुप्रीम कोर्ट में जब केस पहुंचा तो RWA ने सोसाइटी से पहले तीन-तीन हजार रुपए का चंदा इकट्ठा किया, इसके बाद 17-17 हजार रुपए और जुटाए गए. आखिरकार 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टॉवरों को तीन महीने में ढहाने का आदेश दे दिया.
बाद में यह तारीख बढ़कर 22 मई 2022 और फिर 28 अगस्त 2022 हो गई. आज 28 अगस्त 2022 है और दोपहर 2.30 पर इन्हें गिराया जाना है.
टॉवर बने 70 करोड़ में, गिराने में खर्च हो रहे 20 करोड़
सुपरटेक के ट्विन टॉवरों को बनाने में लागत 933 रुपए वर्गफुट आई थी. यानि इन दोनों टॉवरों के निर्माण पर करीब 70 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. अब दोनों टॉवरों को ढहाने में खर्च करीब 20 करोड़ रुपए आ रहा है. सुपरटेक ने करीब पांच करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है. बाकी पैसा मलबा बेचकर करने की बात कही है. मलबे से करीब चार हजार टन स्टील निकलेगा. जबकि कुल मलबा 60 हजार टन के आसपास होगा. वर्तमान में सुपरटेक के दोनों टॉवरों की बाजार कीमत 200 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
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