सूरजकुंड मेला दो साल बाद फिर से गुलजार है. कोविड के कारण एनसीआर में सजने वाली ये रौनक दो साल दूर रही. इस बार भी मेला तो लगा लेकिन पहले वाली बात नहीं दिख रही. कहीं न कहीं आज भी मेले मजमों पर कोरोना की छाया है. लोग उतनी संख्या में भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहते हैं.
मेले में जम्मू के हस्तशिल्प पर जोर
मेले में इस बार थीम स्टेट है जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय पार्टनर है उज्बेकिस्तान. जाहिर है जम्मू-कश्मीर के स्टाल्स पर इस बार जोर है. क्विंट की टीम ने खासकर जम्मू के हस्त शिल्पकार शौकत एहमद खान से बात की, जो यहां पश्मीना से बनी चीजों को प्रदर्शित कर रहे हैं. शौकत ने हमें बताया कि पश्मीना के शॉल बनाने में कितनी मेहनत लगती है. इसी तरह जम्मू के हस्त शिल्पकार फयाज एहमद खान ने हमें समझाया कि कश्मीरी पेपरमेशी के सामान कैसे बनते हैं. ऊपर आप वीडियो में देख सकते हैं पूरी प्रक्रिया.
जम्मू के हस्त शिल्पकार बताते हैं कि जब भी जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प की बात होती है तो चर्चा कश्मीर की ही होती है, और जम्मू पीछे रह जाता है. उनका मानना है कि बहुत जरूरी है कि जम्मू का हस्तशिल्प भी लाइमलाइट में आए.
मेले में समस्याओं की शिकायत
35वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला वापस आने से वैसे से शिल्पकार और दर्शक खुश हैं लेकिन कुछ समस्याओं का भी लोग जिक्र करते हैं. हरियाणा पर्यटन विभाग से लोगों की शिकायत है कि यहां पार्किंग महंगी है. टॉयलेट गंदे हैं. मेले में आए कुछ लोगों ने शिकायत की कि सामान ज्यादा महंगा है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)