सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार, 22 जनवरी को तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu) को नोटिस जारी करते हुए कहा कि राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण की अनुमति को खारिज नहीं किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुमति को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि पड़ोस में अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार से कहा कि, "यह एक समरूप (होमोजिनीयस) समाज है, इसे केवल इस आधार पर न रोकें (कि अन्य समुदाय भी हैं).
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि डीएमके सरकार ने कथित तौर पर 'प्राण प्रतिष्ठा' के लाइव प्रसारण पर रोक लगा दी है.
याचिका में आगे कहा गया है कि राज्य सरकार ने 'प्राण प्रतिष्ठा' के अवसर पर सभी तरह की 'पूजा', 'अर्चना' और 'अन्नदान', 'भजन' पर प्रतिबंध लगा दिया है. याचिका में कहा गया कि यह आदेश संविधान के तहत भारतीय नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
शीर्ष अदालत के आदेश को लेकर दक्षिणी राज्य के नागरिकों को सूचित किया कि "भगवान श्री राम के भक्त किसी भी निजी परिसर के अंदर एक एलईडी स्क्रीन पर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट करने और सूचना देने के लिए स्वतंत्र हैं."के अन्नामलाई, तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख
उन्होंने अपना वीडियो बनाकर ट्वीट कर कहा, "भजन आयोजित करने, विशेष पूजा या अन्नदान करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है."
शीर्ष अदालत का आदेश तब आया जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कामाक्षी अम्मन मंदिर से एलईडी स्क्रीन हटाए जाने का एक वीडियो साझा करके तमिलनाडु सरकार की आलोचना की. डीएमके पार्टी को "हिंदू विरोधी" बताते हुए उन्होंने कहा कि "वे पुलिस बल का इस्तेमाल करके और लोगों की आकांक्षाओं को दबाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी "नफरत" व्यक्त कर रहे हैं."
डीएमके ने दावे को बताया गलत
वहीं डीएमके ने निर्मला सीतारमण के आरोप का खंडन किया है.
तमिलनाडु सरकार के मंत्री शेखर बाबू ने वित्त मंत्री के बयान का खंडन किया है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'DMK की यूथ विंग कॉन्फ्रेंस से ध्यान भटकाने के लिए ये अफवाहें फैलाई जा रही है. हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने तमिलनाडु के किसी मंदिर में राम के लिए पूजा करने या अन्नधनम देने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और दूसरे लोग इस तरह के झूठ का प्रचार कर रहे हैं."
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