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Tomb of Sand को Booker Prize: गीतांजलि श्री बोलीं-मैंने कभी ये सपना नहीं देखा था

‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को Booker Prize के लिए चुना गया है. इसकी अनुवादक Daisy Rockwell हैं.

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वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ (Tomb of Sand) को इंटरनेशनल बुकर प्राइज (Booker Prize 2022) के लिए चुन लिया गया है. हिन्दी की यह पहली किताब है, जिसने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किया है. ‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. इसकी अनुवादक डेजी रॉकवेल हैं.

इस घोषणा पर ‘रेत-समाधि’ की लेखक गीतांजलि श्री, अनुवादक डेजी रॉकवेल और इसको हिंदी में प्रकाशित करने वाले राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने खुशी जताई है.

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‘रेत-समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज प्रदान किए जाने की घोषणा लंदन में की गई. इस अवसर पर गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और अशोक महेश्वरी लंदन में मौजूद थे.

कभी बुकर का सपना नहीं देखा था- गीतांजलि श्री

गीतांजलि श्री ने कहा, मेरे लिए यह बिल्कुल अप्रत्याशित है, लेकिन अच्छा है. "मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूं, यह बहुत बड़े स्तर की मान्यता है जिसको पाकर मैं विस्मित हूं. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने 'रेत- समाधि' को चुना." उन्होंने आगे कहा कहा,

जब से यह किताब बुकर की लांग लिस्ट आई तब से हिंदी के बारे में पहली बार में बहुत कुछ लिखा गया. मुझे अच्छा लगा कि मैं इसका माध्यम बनी, लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं की अत्यंत समृद्ध साहित्यिक परंपरा है.

गीतांजलि श्री ने अपने मूल प्रकाशक अशोक महेश्वरी, अनुवादक डेजी रॉकवेल और अंग्रेजी प्रकाशक का भी आभार प्रकट किया.

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हिन्दी दुनिया का ध्यान खींच रही- राजकमल

इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि ‘रेत-समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिया जाना हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के लिए विशिष्ट उपलब्धि है. इससे स्पष्ट हो गया है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का उत्कृष्ट लेखन दुनिया का ध्यान तेजी से आकर्षित कर रहा है.

उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज अंग्रेजी में प्रकाशित (मूल या अनूदित) कृति को ही दिया जाता है. ‘रेत-समाधि’ हिन्दी उपन्यास है, जिसके अंग्रेजी अनुवाद को इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिया गया है. मूल उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.

अशोक महेश्वरी ने कहा, "यह हमारे लिए और समूचे भारतीय साहित्य-जगत के लिए बेहद खुशी की बात है कि एक हिन्दी उपन्यास को इंटरनेशनल बुकर प्राइज प्रदान किया गया. यह पुरस्कार ‘रेत-समाधि’ के मशहूर अनुवादक डेजी रॉकवेल द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद के माध्यम से हिन्दी तक पहुंचा है, लेकिन इससे ये स्पष्ट है कि ‘रेत-समाधि’ ने हिन्दी से बाहर वैश्विक स्तर पर पाठकों, लेखकों और प्रकाशकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है."

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उन्होंने कहा, "रेत-समाधि ने इंटरनेशनल बुकर प्राइज की लांग लिस्ट में शामिल होकर अपनी क्षमता पहले ही साबित कर दी थी. फिर यह शार्ट लिस्ट में पहुंचा, जिससे इसकी क्षमता और पुष्ट हुई. अब इसने वह पुरस्कार हासिल कर लिया है तो इस निर्णय को मैं इसी रूप में देखता हूं कि हिन्दी समेत भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट लेखन की तरफ दुनिया का ध्यान तेजी से जा रहा है. राजकमल प्रकाशन के लिए यह निजी खुशी का अवसर भी है, क्योंकि उसके द्वारा प्रकाशित एक कृति के अनुवाद को इंटरनेशनल बुकर प्राइज समिति ने पुरस्कृत किया है. हम गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और समूचे साहित्य-जगत को बधाई देते हैं."

गौरतलब है कि गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत-समाधि’ 2018 में राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया था. इसका डेजी रॉकवेल द्वारा किया गया अंग्रेजी अनुवाद 2021 में ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था.

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