उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अब सरकार के खिलाफ खबर लिखना या आलोचना करना पत्रकारों या मीडिया संस्थानों के लिए मुश्किल हो सकता है.
यूपी सरकार ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सरकार या प्रशासन की छवि खराब करने वाली "नकारात्मक खबरों" को वेरिफाई करें और यदि प्रकाशित रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित अखबार या मीडिया आउटलेट से जवाब मांगें.
'नकारात्मक खबरों' पर एक्शन ले सकेंगे जिलाधिकारी
16 अगस्त को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने सभी 18 मंडलायुक्तों और 75 जिलाधिकारियों और अन्य विभाग प्रमुखों को ये निर्देश जारी किए हैं. प्रमुख सचिव की चिट्ठी में 3 बिंदुओं में मुख्य बातें लिखी हैं -
1- "यदि संज्ञान में आता है कि किसी दैनिक समाचार पत्र/मीडिया में घटना को तोड़-मरोड़ कर या गलत तथ्यों के आधार पर नकारात्मक खबर प्रकाशित कर सरकार या जिला प्रशासन की छवि खराब करने की कोशिश की गई है, तो संबंधित जिलाधिकारी इस मामले में मीडिया ग्रुप/समाचार पत्र से स्थिती स्पष्ट करने के लिए कह सकते हैं." साथ ही आदेश में लिखा है कि सूचना विभाग को भी इसकी जानकारी देनी होगी.
सरकार ने अपने निर्देश में साफ-साफ लिखा है कि नकारात्मक समाचारों के तथ्यों की तुरंत जांच कराना जरूरी है, क्योंकि इससे शासन की छवि खराब होती है.
2- उत्तर प्रदेश सरकार के इन निर्देशों में एक बिंदू ये है कि अगर किसी लेख को अधिकारी गलत पाते हैं तो उसे IGRS (जन सुनवाई पोर्टल) पर दर्ज करवाना होगा. इसमें अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
3- जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिस विभाग से संबंधित खबर गलत पाई जाएगी उस विभाग को भी पत्र लिखकर उस खबर के बारे में सूचित करना होगा और पत्र की एक स्कैन्ड कॉपी IGRS पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. इसके लिए पोर्टल पर व्यवस्था की जा रही है.
हालांकि, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक शिशिर ने कहा, ''ऐसा नहीं है कि हम अखबारों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने जा रहे हैं. ये फैक्ट्स को वेरिफाई करना है. हम ऐसा तब करेंगे जब किसी मुद्दे पर कोई खबर प्रकाशित होगी.”
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