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उत्तरकाशी टनल हादसा: अमेरिकी मशीन से ड्रिलिंग, वॉकी-टॉकी से बात, जल्द आएगी अच्छी खबर

Uttarakhand Tunnel Escape Plan: उत्तरकाशी टनल के अंदर फंसे हैं 40 मजदूर

Published
न्यूज
3 min read
उत्तरकाशी टनल हादसा: अमेरिकी मशीन से ड्रिलिंग, वॉकी-टॉकी से बात, जल्द आएगी अच्छी खबर
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उत्तरकाशी टनल हादसे (Uttarakhand Tunnel Collapse) में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू-ऑपरेशन का आज, 16 नवंबर पांचवा दिन है. NDRF प्रमुख अतुल करवाल ने उम्मीद जताई है कि मजदूरों को 12 से 15 घंटे के भीतर सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा.

इंजीनियर्स नई-नई मशीनों के जरिए कोशिशें कर रहे हैं. अब तक सफलता न मिलने के चलते 'प्लान-बी' पर काम शुरू हो गया है. इसके लिए हरक्यूलस विमान दिल्ली से अमेरिकी मशीनें लेकर उत्तराखंड पहुंचे, जिनसे तेजी से ड्रिलिंग की जा रही है.

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अमेरिकी मशीनों से ड्रिलिंग शुरू

अमेरिका में बनी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन पहले वाली मशीनों की तुलना में काफी एडवांस है. इसे दिल्ली से मंगाया गया है. इस मशीन ने पहले आधे घंटे में ही 3 मीटर ड्रिल किया है. इसे बड़ी उम्मीद जगी है. "ट्रेंचलेस" तकनीक के जरिए 900 मिमी चौड़े हल्के स्टील पाइप के साथ एक रास्ता बनाने की कोशिश की जा रही, जिससे मजदूर रेंग कर बाहर आ सकें.

बचाव अभियान के लिए ड्रिलिंग उपकरण को IAF के C-130 J विमान से सुरंग-ढहने वाली जगह पर ले जाया जा रहा है.

(फोटो: PTI)

बचाव कार्यों का नेतृत्व कर रहे दीपर पाटिल ने कहा कि कुछ घंटों की बात और है. प्लान-बी सफल होने की संभावना काफी ज्यादा है, लेकिन हम सावधानी से काम कर रहे हैं ताकि उपकरण को नुकसान न पहुंचे.

उन्होंने कहा कि तीसरा प्लान की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए भी उपकरण मौजूद हैं, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि मौजूदा योजना काम करेगी. NDRF प्रमुख अतुल करवाल ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मजदूरों को 12 से 15 घंटे के भीतर सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा.

रेस्क्यू के दौरान टनल में मौजूद बचावकर्मी   

(फोटो: Accessed by Quint Hindi)

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वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों से बात

जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अंदर फंसे मजदूरों के परिवार वालों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. कई लोगों ने बीते दिन टनल के पास जमा होकर विरोध प्रदर्शन भी किया. इस बीच बचाव कर्मी वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों को परिवार से बात करा रहे हैं. उत्तराखंड के रहने वाले गब्बर सिंह नेगी भी अंदर फंसे हैं, उनके बेटे आकाश ने बाहर से वॉकी-टॉकी के जरिए उनसे बात की. उन्होंने कहा कि वे सुरक्षित हैं.

इसके अलावा पानी की आपूर्ति करने वाले पाइप के जरिए खाना और ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है. डिस्ट्रिक्ट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के अनुसार, हादसे में फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं.

सरकार ने बना रखी है नजर

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया कि उन्होंने पूरे राहत-बचाव के काम पर नजर बनाई हुई है. उन्होंने कहा, "हम उनके साथ लगातार संपर्क में हैं. उनके लिए सारी व्यवस्थाएं वहां की जा रही हैं. सभी सुरक्षित हैं. सुरंग बनने के कगार पर थी, सिर्फ 400 मीटर बाकी रह गया था. " उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने भी हादसे पर अपनी नजर बनाई हुई है और लगातार हम सभी के संपर्क में हैं.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने चल रहे बचाव अभियान की समीक्षा की.

फोटो: PTI

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कैसे हुआ था हादसा?

आपको बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर सिल्क्यारा-डंडालगांव के बीच सुरंग बन रही थी. इसी सुरंग का एक हिस्सा रविवार, 12 नवंबर की सुबह करीब 5.30 बजे ढह गया. इस सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है.

सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की तरफ से 1,750 मीटर तक निर्माण पूरा हो चुका था और 441 मीटर का निर्माण और बचा था. अधिकारियों के मुताबिक सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही.

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