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उत्तरकाशी सुरंग में फंसे UP के अखिलेश ने बताए कैसे काटे दिन, कहा-दोबारा काम पर जाऊंगा

Uttarkashi Tunnel Rescue: वापस घर पहुंचे अखिलेश सिंह ने बताया कि "हमने इस घटना से सीखा की विपत्ति के समय में धैर्य नहीं खोना चाहिए."

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उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel) की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर अब अपने-अपने घर पहुंच रहे हैं. इनमें से एक अखिलेश सिंह भी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर (Mirzapur) जिले में अपने घर पहुंचे, जहां उनका पूरे गांव ने फूल-मालाओं के साथ स्वागत किया और कंधे पर बैठा कर घर पर छोड़ा.

घर पहुंचने पर अखिलेश का पूरा परिवार खुश दिखाई दिया, उसकी आरती की गई, अखिलेश ने अपने मां-बाप और दादा का आशीर्वाद लिया और बताया कि उन्होंने आखिरकार, सुरंग में 17 दिन कैसे बिताए?

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अखिलेश उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के अदलहाट थाना क्षेत्र के घरवासपुर गांव के रहने वाले हैं, जो अब वापस अपने घर लौट आए हैं. वे शुक्रवार, 1 दिसबंर को अपने घर पहुंचे हैं. इससे पहले, वे वाराणसी पहुंचे और उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से मुलाकात की, जहां अनुप्रिया ने अखिलेश का स्वागत किया और हौसला बढ़ाया. इसके बाद रात 7:30 बजे तक अखिलेश अपने घर पहुंचे.

अखिलेश ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हम सभी 17 मजदूरों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने हमारा हौसला अफजाई भी किया. मुख्यमंत्री ने 17 दिन टनल में कैसे गुजरे, इसकी जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि हम सभी को सरकारी आवास और जमीन सरकार मुहैया कराएगी.

"दोबारा काम पर जाऊंगा"

अखिलेश से जब पूछा गया कि अब आगे वे क्या करेंगे? तो उन्होंने कहा कि, "मैं दोबारा काम पर जाऊंगा." आगे उनसे पूछा गया सुरंग में फंसे रहने के दौरान कैसे हालात थे? इस पर उन्होंने कहा...

"टनल की लंबाई 2.5 किलोमीटर थी. हम लोग उसमें टहलकर ही अपना समय व्यतीत करते थे. वहां की सरकार और प्रधानमंत्री ने हम लोगों के फंसने के बाद पल-पल की जानकारी लेते रहे. खाने से लेकर किसी भी चीज के लिए कोई दिक्कत नहीं हुआ. यहीं वजह रही कि हम सुरक्षित निकलने में कामयाब हुए."

उन्होंने रेस्क्यू में लगे अधिकारी और कंपनी की तारीफ की. उन्होंने कहा-"कंपनी ने हम लोगों को बहुत सुविधाएं दी हैं. हम लोग दोबारा अपने काम पर वापस लौटेंगे. हमने इस घटना से सीखा की विपत्ति के समय में धैर्य नहीं खोना चाहिए."

हालांकि अखिलेश की मां ने कहा कि वो नहीं चाहती कि उनका बेटा वापस उसी जगह पर काम करने जाए.

इनपुट: बृजेंद्र दुबे

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