केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने 6 फरवरी ( शनिवार) को देशव्यापी चक्का जाम का आव्हान किया. इस दौरान ट्विटर पर #chakkajam टॉप ट्रेंडिंग में शामिल रहा. चक्का जाम से जोड़कर ट्विटर पर एक फोटो शेयर की जा रही है. फोटो में बड़ी संख्या में भीड़ सड़क पर बैठी दिख रही है.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि फोटो 2 महीने पुरानी है, इसका संबंध किसान आंदोलन से जरूर है लेकिन 6 फरवरी को हुए चक्काजाम से नहीं.
दावा
फोटो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है- #Power of the people is much stronger than the people in power. हिंदी अनुवाद - लोगों की शक्ति, सत्ता में बैठे लोगों से कहीं ज्यादा मजबूत है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें यही फोटो द गार्डियन की 16 दिसंबर, 2020 के आर्टिकल में भी मिली.
गार्डियन की वेबसाइट पर दिए गए फोटो के कैप्शन का हिंदी अनुवाद है - दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में हिस्सा लेते किसान. पिछले तीन हफ्तों से राजधानी की ओर जाने वाली सड़क पर बैठे हैं. सरकार और किसानों के बीच कई चरणों की वार्ता भी विफल रही. वेबसाइट पर फोटो का क्रेडिट AFP और Getty Images को दिया गया है.
Getty Images की वेबसाइट पर भी हमें यही फोटो मिली. कैप्शन से पता चलता है कि फोटो 4 दिसंबर को दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर क्लिक की गई है. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान सड़क पर बैठे हैं. फोटो न्यूज एजेंसी AFP के फोटोग्राफर मनी शर्मा ने क्लिक की है.
मतलब साफ है कि 6 फरवरी को हुए किसानों के चक्का जाम की बताकर 2 महीने पुरानी फोटो को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है. फोटो 4 दिसंबर को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों की है, चक्का जाम की नहीं.
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