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दुनिया भर के फैक्ट चेकर्स की तरफ से यूट्यूब CEO को खुला खत

यूट्यूब पर फैल रही भ्रामक सूचनाओं पर रोक को लेकर 20 देशों के 80 फैक्ट चेकिंग संस्थाओं ने यूट्यूब को पत्र लिखा है

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इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) से मान्यता प्राप्त 20 देशों की 80 फैक्ट चेकिंग संस्थाओं ने यूट्यूब सीईओ सुसान वोजिस्की (Susan Wojcicki) को खुला खत लिखा है. इस पत्र में यूट्यूब पर फैल रही भ्रामक और गलत सूचनाओं को रोकने के लिए जल्द कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया गया है.

Youtube को ऑनलाइन फैल रही भ्रामक सूचनाओं के "प्रमुख माध्यमों में से एक" कहते हुए, पत्र में दुनिया भर के यूट्यूब वीडियो के ऐसे कई उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनके जरिए वास्तविक नुकसान पहुंचा है. .

फैक्ट चेकर्स ने यूट्यूब पर हो रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए चार मोर्चों पर एक्शन लेने की मांग की है, साथ ही इससे निपटने के लिए जिन नीतियों पर काम हो रहा है उनमें पारदर्शिता लाने की भी मांग है.
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फैक्ट चेकर्स ने यूट्यूब से वो पूरा संदर्भ बताने की मांग की है, जिससे पता चल सके कि क्यों गलत जानकारी को हटाया नहीं जाता. उन लोगों पर एक्शन की भी मांग की गई है जो फेक न्यूज फैलाने के मामले में ''आदतन अपराधी'' हैं.

क्विंट समेत भारत की 10 फैक्ट चेकिंग संस्थाओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए यूट्यूब के साथ मिलकर गलत सूचनाओं को रोकने के लिए प्रयास करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. इसका मकसद है इसे ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना जो गलत सूचनाओं को रोकने के लिए बेहतर कदम उठा रहा है. इसके सीधे सार्थक परिणाम समाज में देखने को मिलेंगे.

यूट्यूब सीईओ को भेजा गया पत्र आप यहां पढ़ सकते हैं

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12 जनवरी, 2022

सुश्री सुसान वोजिस्की,

कोविड-19 महामारी को शरूु हुए लगभग दो साल हो चकुे हैं. दुनिया ने समय-समय पर देखा है किस प्रकार दुष्प्रचार और गलत जानकारी सामाजिक सद्भाव, लोकतंत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी हो सकती है; दुष्प्रचार की वजह से बहुतों की जिंदगी और आजीविका चली गई है, और बहुत से लोगों ने इसकी वजह से अपने प्रियजनों को खो दिया है. तथ्य जांचने वाले यानी फैक्ट चेकिंग संगठनों के एक अतंर्राष्ट्रीय नेटवर्क के रूप में, हम इसकी निगरानी करते हैं कि किस प्रकार ऑनलाइन झूठ फैलता है और हम प्रतिदिन देखते हैं कि YouTube दुनियाभर में ऑनलाइन दुष्प्रचार और गलत जानकारी के प्रमुख माध्यमों में से एक है. यह हमारे फैक्ट चेकिंग समदुाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है. हमें नहीं लगता कि YouTube ऐसी नीतियों को लागू करने का बहुत प्रयास कर रहा है जो इन समस्याओं का प्रभावी तौर पर समाधान करती हो. इसके उलट, YouTube अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद ऐसे समूहों को ना सिर्फ संगठित होने तथा फण्ड इकठ्ठा करने का अवसर दे रहा है, बल्कि समाज को भ्रमित करने तथा उनके शोषण की अनमुति भी दे रहा है. इस सबंध में प्लेटफॉर्म द्वारा ईजाद किए गए मौजूदा उपाय अपर्याप्त एवं अप्रभावी साबित हो रहे हैं. इसीलिए हम आपसे मांग करते हैं कि आप दुष्प्रचार और गलत जानकारी के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें, और आप जानकारी के ईकोसिस्टम में सुधार के लिए नीति और उत्पादों में हस्तक्षेप सबंधी रोडमपै को विस्तारित करें, इसके साथ ही हम आपसे यह भी मांग करते हैं कि आप ये कदम दुनिया के स्वतंत्र, निष्पक्ष, फैक्ट-चेकिंग संगठनों के साथ मिलकर उठाएं.

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पिछले साल हमने देखा था कि षड्यत्रंकारी समूह विभिन्न देशों में स्थित होने के बावजदू भी एक दूसरे के सहयोग से अपना प्रोपेगैंडा आगे बढ़ा रहे हैं, इनमे एक ऐसा अतंर्राष्ट्रीय आंदोलन भी शामिल है जो जर्मनी से शरूु होकर पहले स्पेन और फिर लैटिन अमेरिका तक फैल गया, ये सब YouTube पर हुआ. इसी बीच, लाखों की संख्या में साधारण यूूजर्स यूनानी और अरबी भाषाओं में ऐसे वीडियो देख रहे थे जिनसे उन्हें टीकाकरण का बहिष्कार करने या अपने कोविड-19 संक्रमण का इलाज फर्जी उपचारों से करने का प्रोत्साहन मिला.

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कोविड-19 के अलावा, YouTube के वीडियो कई सालों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के झूठे उपचारों को भी बढ़ावा दे रहे हैं. ब्राज़ील में इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कमजोर वर्गों के खिलाफ नफरत से भरे भाषणों को बढ़ावा देने में किया जाता रहा है, जिनकी ऑनलाइन पहुंच लाखों में है. ऐसे में चुनाव भी सुरक्षित नहीं है.फिलीपींस में, मार्शल लॉ के दौरान हुए मानवाधिकार हनन और भ्रष्टाचार को झूठ बताते हुए शेयर किए गए कंटेंट को 2 मिलियन से भी अधिक व्यूज मिले हैं, इस वीडियो का इस्तेमाल वहां के दिवंगत तानाशाह के बेटे की छवि सुधारने के लिए किया जा रहा है, जो 2022 के चुनावों में एक उम्मीदवार है. ताइवान में भी पिछला चुनाव धांधली के निराधार आरोपों से बुरी तरह प्रभावित हुआ था.

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पूरी दुनिया दुष्प्रचार के कुप्रभावों की तब साक्षी बनी, जब एक हिंसक भीड़ ने पिछले साल की शुरुआत में अमेरिकी ससंद भवन पर हमला किया था. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पूर्व संध्या से लेकर अगले दिन तक, झूठे नैरेटिव का समर्थन करने वाले YouTube वीडियो 33 मिलियन से ज्यादा बार देखे गए.

हमारे पास ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं. उनमें से कई वीडियो और चैनल आज भी प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं. और वे सभी YouTube की नीतियों के रडार के अतंर्गत चलते हैं, खासतौर पर गैर-अंग्रेजी भाषी देशों और ग्लोबल साउथ में. हमें खुशी है कि कंपनी ने बाद में इस समस्या को हल करने के लिए कुछ कदम उठा लेकिन प्लेटफॉर्म पर जो हम रोजाना देख रहे हैं, उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि ये कोशिशें कारगर साबित नहीं हो रही हैं और ना ही YouTube ने उनके प्रभावी होने को लेकर कोई गुणवत्तापूर्ण डेटा प्रस्तुत किया है.

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आपके प्लेटफॉर्म ने अभी तक दुष्पर्चार के बारे में हो रही चर्चा को कंटेंट हटाने या न हटाने के बीच एक विरोधाभासी प्रारूप में ढाला है. ऐसा करके, YouTube उन उपायों को लागू करने की संभावना से बच रहा है जो कारगर साबित हो चुके हैं: फैक्ट-चेकर्स के रूप में हमारे अनभुव तथा अकादमिक साक्ष्य यह बताते हैं कि सत्यापित जानकारी को सामने लाना किसी कंटेंट को हटाने से कहीं ज्यादा प्रभावी है. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बेहतर एवं प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराने का एक सफल माध्यम भी है. चूंकि YouTube पर व्यूज का एक बड़ा हिस्सा प्लेटफॉर्म द्वारा सुझाए गए कंटेंट से आता है इसीलिए YouTube को यह भी सनिुनिश्चित करना चाहिए कि वह दुष्प्रचार को बढ़ावा न दे और अपने यूदर्स को ऐसे कंटेंट भी ना सुझाए जो कि अविश्वसनीय चैनलों द्वारा शेयर किए जाते हैं.

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इन सभी बातों को ध्यान में रखतेहुए, हम कुछ ऐसे समाधान प्रस्तुत कर रहें हैं जो YouTube पर दुष्प्रचार और गलत जानकारी के प्रसार को काफी हद तक कम करने में अत्यधिक कारगर साबित होंगे.

1. प्लेटफॉर्म पर दुष्प्रचार को लेकर एक सार्थक पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता: YouTube को विभिन्न दुष्प्रचार अभियानों के मूल , उनकी पहुंच तथा प्रभाव को लेकर स्वतंत्र शोध और गलत जानकारी का पर्दाफाश करने के सबसे प्रभावशील तरीकों का समर्थन करना चाहिए. साथ ही उस दुष्प्रचार और गलत जानकारी के सबंध में अपनी सपंर्णू मॉडरेशन नीति का प्रकाशन करना चाहिए. इसके साथ ही इसे AI (आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) के प्रयोग तथा इसको संचालित करने वाले डेटा के बारे में भी बताना चाहिए.

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2. काननू के अनुपालन के लिए कंटेंट को हटाने के अलावा, YouTube का फोकस क सी गलत जानकारी को लेकर सही सदं र्भ प्रदान करने और उनका सच बताने पर होना चाहिए, जो कि वीडियो पर स्पष्ट रूप से सुपरइंपोज्ड या अतिरिक्त वीडि यो कंटेंट के रूप में हो सकते हैं. ऐसा सिर्फ जिम्मेदारी लेते हुए सार्थक और सरंचनात्मक सहयोग के माध्यम से तथा दुनियाभर के उन स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग प्रयासों में निवेश करने से ही आ सकता है, जो इन समस्याओं को हल करने के लिए काम कर रहे हैं. 3. बार-बार अपराध करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करना तथा अपने एल्गोरिदम द्वारा सुझाये गए कंटेंट में दुष्प्रचार के ऐसे स्रोतों को बढ़ावा ना देना जो लगातार ऐसा कंटेंट बनाते हैं जो कि दुष्प्रचार और गलत जानकारी के रूप में चिह्नित की गई है, विशेषकर ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स जो ऐसे कंटेंट को प्लेटफॉर्म पर और उससेबाहर मॉनेटाइज़ करते हैं.

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4. अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में सचुमभी दुष्प्रचार और गलत जानकारी के खिलाफ मौजूदा और संभावी प्रयासों को विस्तार देना, देश और भाषा के आधार पर डेटा के साथ ही साथ ऐसी ट्रांसक्रिप्शन सेवाएं उपलब्ध कराना, जो किसी भी भाषा में काम करें. हमें उम्मीद है कि आप सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए इन विचारों को लागू करने पर विचार जरूर करेंगे और YouTube को सचमुच एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाएंगे, जो दुष्प्रचार और गलत जानकारियों को अपने यूजर्स और समाज के खिलाफ बड़े पैमाने पर औजार बनाने से रोकने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करता हो. हम YouTube की मदद के लिए तैयार और सक्षम हैं. हम इन मामलों पर चर्चा करने के लिए और सहयोग पर आगे के रास्ते तलाशने के लिए आपसे मुलाकात के इच्छुक हैं. हमारे इस प्रस्ताव को लेकर हमें आपके जवाब का इंतजार है.

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