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अग्निपथ योजना पर नेता विपक्ष और रक्षा मंत्री में से किसका दावा सच ?

अग्निवीरों के मुआवजा, शहीद का दर्जा, पेंशन से जुड़े सभी दावों का सच यहां मिलेगा

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1 जुलाई को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के नेता और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना की आलोचना की. इस बात पर विरोध जताया कि सरकार की तरफ से अग्निवीरों को न पेंशन दी जाती है ना शहादत का दर्जा.

इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आरोप लगाया कि राहुल ने अपने भाषण में योजना को लेकर गलत तथ्य पेश किए. राजनाथ सिंह ने दावा किया कि अग्निवीरों को शहादत पर 1 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाता है. जरा सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं कि राहुल और राजनाथ सिंह के दावों में कितनी सच्चाई है.

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राहुल ने क्या कहा ? :

कुछ दिन पहले मैं पंजाब में अग्निवीर के परिवार से मिला. छोटा सा घर था. अग्निवीर शहीद हुआ, लैंडमाइन ब्लास्ट में शहीद हुआ. मैं उसे शहीद कह रहा हूं पर हिंदुस्तान की सरकार उसे शहीद नहीं कहती. नरेंद्र मोदी उसे शहीद नहीं कहते. नरेंद्र मोदी उसे अग्निवीर कहते हैं. उस घर को पेंशन नहीं मिलेगी, उस घर को कंपनसेशन नहीं मिलेगा, शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा. बेचारे बैठे हुए थे, तीन बहनें थीं, एक साथ रो रही थीं. आम जवान को पेंशन मिलेगी, जरूर दुख होगा, मगर हिंदुस्तान की सरकार आम जवान की मदद करेगी. मगर अग्निवीर को जवान नहीं कहा जा सकता. अग्निवीर यूज एंड थ्रो मजदूर है. उसको आप 6 महीने की ट्रेनिंग देते हो, दूसरी तरफ चाइना के जवान को 5 साल की ट्रेनिंग मिलती है. राइफल लेकर उसके सामने खड़ा कर देते हो. उसके दिल में भय पैदा करते हो. एक जवान और दूसरे जवान के बीच फूट डालते हो. एक को पेंशन मिलेगी, एक को शहीद का दर्जा मिलेगा, दूसरे को नहीं मिलेगा. फिर अपने आपको देशभक्त कहते हो, ये कैसे देशभक्त हैं?
राहुल गांधी

संसद टीवी के यूट्यूब चैनल पर राहुल के भाषण के इस वीडियो में 45 मिनट के बाद ये हिस्सा सुना जा सकता है.

राजनाथ सिंह ने क्या कहा ? : राहुल के भाषण के बीच में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोलने की मांग करते हैं और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला उन्हें बोलने की इजाजत देते हैं. इसके बाद राजनाथ सिंह ने कहा,

अध्यक्ष महोदय, मैं नेता विपक्ष से कहना चाहूंगा कि गलत बयानी करके सदन को गुमराह न करें. अग्निवीर योजना के तहत अगर हमारा कोई जवान शहीद होता है, तो 1 करोड़ रुपए की धनराशि उसके परिवार को उपलब्ध कराई जाती है. इस तरह की गलत बयानी से संसद को गुमराह करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए.
राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
अब एक एक कर नेता विपक्ष और रक्षा मंत्री के दावों का सच जानते हैं. पहले बात करते हैं राहुल के दावों की.
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अग्निपथ योजना के जवान को शहीद का दर्जा नहीं मिलता, क्या राहुल गांधी का ये दावा सच है?

'शहीद का दर्जा' मिलने जैसे शब्द का जिक्र अग्निवीर योजना से जुड़े किसी उपलब्ध दस्तावेज में हमें नहीं मिला. हालांकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि साल 2015 में ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि Martyr यानी शहीद शब्द का इस्तेमाल किसी भी भारतीय सेना, CRPF या असम राइफल्स के जवान के लिए नहीं किया जाता.

हालांकि, अग्निपथ योजना के नियमों में ये साफ लिखा है कि 4 साल की नौकरी खत्म होने के बाद अग्निवीर को वो कोई सुविधा नहीं मिलेगी, जो पूर्व सैनिकों को मिलती है. जैसे कि ग्रेचुइटी, स्वास्थ्य योजना, कैंटीन या अन्य कोई लाभ.

अक्टूबर 2023 में पंजाब के रहने वाले अग्निवीर अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया था, जिसको लेकर विपक्ष ने सवाल भी उठाए थे. अमृतपाल का शव भी एक निजी वाहन में उनके घर तक पहुंचाया गया था.

हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद भारतीय सेना की तरफ से स्पष्ट किया गया था कि चूंकि अमृतपाल सिंह ने खुद को चोटें पहुंचाई थीं, जिसके चलते उनकी मौत हुई थी, इस वजह से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया.

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अग्निवीर के शहीद होने पर परिवार को पेंशन नहीं मिलती है ?

राहुल गांधी का ये दावा सच है. भारतीय सेना की वेबसाइट पर ये साफ लिखा है कि मृत्यू के बाद अग्निवीर को पेंशन की वो सुविधाएं नहीं मिलेंगी, जो भारतीय सेना के नियमों के तहत दी जाती हैं.

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क्या अग्निवीर जवान के शहीद होने पर परिवार को 1 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई जाती है ? राजनाथ सिंह का दावा कितना सच?

  • नियमों के मुताबिक, ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले अग्निवीर के जवान को 48 लाख रुपए का बीमा कवर और 44 लाख रुपए मुआवजा मिलता है. इसके अलावा कुल 4 साल में से जवान की जितनी नौकरी बची है, उसका वेतन भी परिवार को मिलता है. जवान के सेवा निधि फंड में तब तक जितनी राशि जमा हुई है, उसमें सरकार की तरफ से दिया गया योगदान और ब्याज मिलता है.

  • अगर अग्निवीर सर्विस में है पर उसकी मौत ड्यूटी के दौरान नहीं हुई है, तो केवल 48 लाख रुपए की बीमा कवर और सेवा निधि फंड में सरकार का योगदान मिलाकर जितनी राशि है, वो ब्याज सहित जवान के परिवार को मिलती है.

  • वहीं ड्यूटी के दौरान विकलांग होने वाले अग्निवीर को विकलांगता के प्रतिशत के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है, 15 लाख/25 लाख/45 लाख रुपए. इसके साथ ही विकलांग सैनिक को सेवा निधि फंड में अब तक जमा हुई धनराशि, उसका ब्याज और उसमें सरकार का योगदान मिलाकर जो राशि बनती है वो मिलती है. बची हुई नौकरी का सारा वेतन भी जवान को मिलता है.

जाहिर है अलग-अलग परिस्थितियों में अग्निवीर की मृत्यू होने या विकलांग होने की स्थिति में मुआवजा अलग है. ऐसा नहीं है कि शहीद होने वाले हर जवान को 1 करोड़ रुपए मिलता है. जैसा कि राजनाथ सिंह ने दावा किया. राहुल गांधी का ये दावा भी पूरी तरह सच नहीं है कि अग्निवीर को कोई मुआवजा नहीं मिलता.
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पिछले साल ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले अग्निवीर अक्षय गावटे के पिता ने ये पुष्टि की है कि उनके परिवार को 1.08 करोड़ रुपए की राशि मिली, हालांकि इसमें राज्य सरकार की तरफ से मिला मुआवजा भी शामिल है.

अक्षय की मौत 20,000 फीट ऊंचे सियाचिन ग्लेशियर पर तैनाती के दौरान हुई थी. शुरुआती रिपोर्ट्स में मौत की वजह सामने नहीं आई थी, हालांकि अक्षय के पिता ने बाद में जानकारी दी कि उन्हें सेना अधिकारियों ने बताया है कि अक्षय की मौत ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.

द हिंदू में 2 जुलाई को छपी रिपोर्ट में अग्निवीर अजय कुमार गावटे के पिता लक्ष्मण गावटे का बयान है. इसमें लिखा है कि परिवार को 48 लाख रुपए बीमा कवर के मिले, 50 लाख रुपए केंद्र सरकार की तरफ से और 10 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मिले हैं. पिता ने ये भी मांग की है कि उनकी बेटी यानी अग्निवीर अक्षय की बहन को नौकरी दी जाए.

3 जुलाई को भारतीय सेना के ऑफिशियल हैंडल से पंजाब के शहीद अग्निवीर अजय सिंह को लेकर एक पोस्ट किया गया. इसमें बताया गया कि शहीद के परिवार को 98 लाख रुपए की राशि दी जा चुकी है, वहीं मुआवजा समेत 67 लाख रुपए और दिए जाएंगे, जो कि कुल मिलाकर 1.65 करोड़ रुपए होगा.

सेना के बयान के बाद अग्निवीर के पिता का बयान भी आया, जिसमें उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जो 98 लाख रुपए उन्हें मिले हैं उसमें केंद्र की तरफ से मिला मुआवजा शामिल नहीं है.

हमें बीमा कवर से 98 लाख रुपये मिले हैं. इसमें सेना की ओर से 48 लाख रुपये का चेक शामिल है जो बीमा कवर है. एक निजी बैंक से 50 लाख रुपये और मिले हैं, जो मेरे बेटे की बीमा पॉलिसी का क्लेम है. पंजाब सरकार ने हमें 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. लेकिन राजनाथ सिंह का यह दावा कि केंद्र ने हमें 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है, पूरी तरह से झूठ है. हमें अभी तक केंद्र या सेना से कोई मुआवजा नहीं मिला है.
अग्निवीर अजय सिंह के पिता चरणजीत सिंह ने द इंडियन एक्स्प्रेस को बताया
इन दोनों मामलों से ही साबित हो रहा है कि अग्निवीर के परिवार को पूरे 1 करोड़ रुपए केंद्र सरकार की तरफ से नहीं मिल रहे हैं.
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अग्निवीर योजना क्या है ? : अग्निपथ योजना भारत की थल सेना, जल सेना और वायु सेना में भर्ती के लिए भारत सरकार की तरफ से 16 जून 2022 को शुरू की गई थी. इस योजना के तहत जवानों की 4 साल के लिए सेना में भर्ती की जाती है. योजना के तहत 17.5 वर्ष की आयु से लेकर 23 वर्ष की आयु तक के जवान आवेदन कर सकते हैं. पहले आयु सीमा 21 वर्ष थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया.

(एडिटर्स नोट : इस रिपोर्ट में पंजाब के अग्निवीर अजय सिंह के मामले की जानकारी बाद में जोड़ी गई है)

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