सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें एक व्यक्ति सड़क पर बैठा है और सुरक्षाकर्मी उसे घसीट रहे हैं. उसके हाथ में एक अन्य व्यक्ति का फोटो फ्रेम है.
दावा: शेयर करने वालों ने लिखा कि इसमें एक बांग्लादेशी हिंदू व्यक्ति अपने लापता बेटे का पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है.
इसे किसने शेयर किया?: यह दावा समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) ने भी किया था.
क्या यह सच है?: नहीं, यह दावा झूठा है.
ANI ने वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की पहचान बांग्लादेश के हिंदू समुदाय से होने की गलत पहचान की है.
असल में, उस व्यक्ति का नाम बाबुल हवलदार है, जो मुस्लिम समुदाय से है. वह अपने बेटे की फोटो के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहा था जिसका नाम मोहम्मद सनी हवलदार है. उनका बेटा 2013 से लापता है.
हमें क्या मिला: सबसे पहले हमने इस वीडियो को कई स्क्रीनशॉट में बांट दिया और उनमें से कुछ पर Google Lens की मदद से रिवर्स इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया.
हमें 13 अगस्त की Barta24 की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. इसमें वायरल वीडियो में दिख रहे व्यक्ति को दूसरों के साथ विरोध प्रदर्शन करते देखा जा सकता है.
वीडियो के 2:04वें मिनट में इस व्यक्ति ने बांग्ला में अपने बारे में बात की, जिसका हमने अंग्रेजी में अनुवाद किया. उन्होंने बताया कि उनका नाम बाबुल हवलदार है और उसके बेटे का नाम मोहम्मद सनी हवलदार है जो 2013 से लापता है.
हमने यह भी देखा कि न्यूज रिपोर्ट में वह व्यक्ति टोपी पहने हुए था. वायरल वीडियो में भी उसके हाथ में वही टोपी दिख रही थी. नीचे दोनों वीडियो के बीच समानताएं दिखाई गई हैं.
13 अगस्त को समकाल न्यूज की एक अन्य रिपोर्ट में भी इस व्यक्ति का ज़िक्र था. इस रिपोर्ट में इस व्यक्ति ने कहा कि उसे नहीं पता कि उसके बेटे ने क्या गलत किया है, लेकिन जनवरी 2013 में उसे दुर्गापुर से उठा लिया गया था.
14 अगस्त को प्रोथोमालो की एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश भर में अलग-अलग समय अवधियों से लापता लोगों के रिश्तेदार ढाका, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के लिए एक साथ आए थे. रिपोर्ट के कवर इमेज पर उस व्यक्ति की तस्वीर थी.
बांग्लादेश के पत्रकार और Fact-Checker शोहानुर रहमान ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर यह स्पष्ट किया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि यह व्यक्ति मुस्लिम है और उनका नाम भी वही था जो ऊपर दी गई खबरों में बताया गया है.
वह व्यक्ति अपने खोए हुए बेटे के लिए विरोध कर रहा था, जो 2013 से लापता था.
अंत में पत्रकार ने कहा कि यह विरोध बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति से संबंधित नहीं है.
ANI ने स्पष्टीकरण दिया: अपनी पोस्ट छापने और उस व्यक्ति की पहचान बांग्लादेश के हिंदू के रूप में करने के बाद, ANI ने एक अन्य पोस्ट जारी किया और कहा, "नीचे दिया गया ट्वीट हटा दिया गया है क्योंकि यह व्यक्ति अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से नहीं है. त्रुटि के लिए खेद है. "
ANI पर पहले भी मणिपुर वायरल वीडियो मामले में भ्रामक सांप्रदायिक गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया जा चुका है. उन्होंने मामले में एक आरोपी की पहचान मुस्लिम समुदाय से संबंधित व्यक्ति के रूप में की थी. आप हमारी स्टोरी यहां पढ़ सकते हैं.
निष्कर्ष: ANI ने मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति को बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक व्यक्ति का बताकर उसका वीडियो बांग्लादेश के हालिया प्रदर्शनों से जोड़कर भ्रामक दावों के साथ शेयर किया है.
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