हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा हाल ही में लोकसभा में दिए गए एक तीखे भाषण की विपक्ष ने आलोचना की है. ठाकुर ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर उनकी जातिगत पहचान को लेकर हमला किया, जिसके बाद दोनों के बीच बहस छिड़ गई.
टीम वेबकूफ ने अनुराग ठाकुर के भाषण को सुना और जांच की कि उनके द्वारा किए गए दावे सच हैं या नहीं.
पहला दावा: पूर्व प्रधानमंत्री 'आरजी 1' अन्य पिछड़ा जाति (ओबीसी) के लिए आरक्षण के खिलाफ थे.
भाषण में 35:00 मिनट पर अनुराग ठाकुर ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को 'आरजी 1' बोलते हुए कहा कि वो OBC आरक्षण के खिलाफ थे.
हालांकि, ये दावा झूठा है.
हमें जांच में क्या मिला?: हमने 6 सितंबर 1990 को संसद में मंडल आयोग की रिपोर्ट और प्रमोशन के उपायों पर चर्चा के दौरान राजीव गांधी द्वारा दिए गए भाषण को पढ़ा.
अपने भाषण में राजीव गांधी ने कभी नहीं कहा कि वो ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हैं.
राजीव गांधी ने अपने पूरे भाषण में संसद से 'जातिविहीन' समाज के लक्ष्य की ओर बढ़ने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षा, वित्तीय मदद या आरक्षण देने से जरूरतमंद लोगों की मदद नहीं होगी, क्योंकि इसके लिए एक "व्यापक योजना" की आवश्यकता होगी.
इसकी और जांच करने के लिए, हमने कॉलमनिस्ट और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (1999-2004) के कार्यकाल में पीएमओ के पूर्व डॉयरेक्टर ऑफ ऑपरेशन्स सुधींद्र कुलकर्णी से बात की. कुलकर्णी ने कहा, "राजीव गांधी ने ओबीसी आरक्षण का विरोध नहीं किया था."
उन्होंने आगे कहा कि जिस हड़बड़ी में वीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की थी, उसे लेकर राजीव गांधी को गहरी आपत्ति थी.
दूसरा दावा: ठाकुर ने कहा कि पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू आरक्षण के खिलाफ थे.
36:06 मिनट पर, ठाकुर ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भी हमला बोला और कहा कि वो आरक्षण के एकदम खिलाफ थे. अपने मुख्यमंत्रियों को उस दौरान लिखे गए नेहरू के पत्र का हवाला देते हुए, ठाकुर ने अपना दावा मजबूत करने की कोशिश की.
संयोग्य से, पीएम मोदी ने फरवरी में राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान इसी तरह का दावा किया था.
टीम वेबकूफ ने इस दावे की पड़ताल की थी और पाया था कि ये दावा भ्रामक है. आप इस खबर को यहां पढ़ सकते हैं.
हमें जांच में क्या मिला?: हमें वेबैक मशीन पर 'लेटर्स फॉर अ नेशन: फ्रॉम जवाहरलाल नेहरू टू हिज चीफ मिनिस्टर्स' नाम की किताब का आर्काइव मिला.
27 जून 1961 की तारीख के लेटर के मुताबिक, उन्होंने लिखा था, "हाल ही में हमने यहां राष्ट्रीय एकीकरण पर विचार करने के लिए जो बैठक की थी, जिसमें मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति थी, उसमें ये तय किया गया था कि मदद जाति के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर दी जानी चाहिए."
"मैं ऐसी किसी भी चीज के खिलाफ दृढ़ता से प्रतिक्रिया देता हूं, जो अकुशलता और दूसरे दर्जे के मानकों को बढ़ावा देती है. मैं चाहता हूं कि मेरा देश हर बात में फर्स्ट क्लास देश बने. जिस समय हम दूसरे दर्जे को बढ़ावा देंगे, हम अपने भटक जाएंगे."पीएम नेहरू, लेटर्स फॉर अ नेशन: फ्रॉम जवाहरलाल नेहरू टू हिज चीफ मिनिस्टर्स
नेहरू ने कहा कि पिछड़े समुहों की मदद करने का सही तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करना है, जिसमें तकनीकी शिक्षा भी शामिल है. पत्र में लिखा है कि सरकार ने दो महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, एक है सार्वभौमिक मुफ्त प्राथमिक शिक्षा और दूसरा बड़े पैमाने पर स्कॉलरशिप
संसद में नेहरू के पत्र का जिक्र करते समय, अनुराग ठाकुर ने गुमराह करते हुए, पिछड़े समूहों को अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करने वाले भाग को छोड़ दिया.
तीसरा दावा: एपीजे अब्दुल कलाम को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बनाया राष्ट्रपति
अनुराग ठाकुर ने बीजेपी के 'सबका साथ सबका विकास' और अल्पसंख्यकों की बेहतरी के बारे में बात की. 37:20 मिनट पर, उन्होंने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राष्ट्रपति बनाया था.
हालांकि, ये दावा भी भ्रामक है.
हमें जांच में क्या मिला?: 14 जून 2002 को The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वो सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक अलाएंस (NDA) के प्रस्तावित राष्ट्रपति उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम को समर्थन देंगे.
लेफ्ट ने 2002 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए कैप्टन लक्ष्मी संघल को अपना उम्मीदवार घोषित किया था.
कांग्रेस के पास अपने समर्थन के साथ कोई अलग उम्मीदवार नहीं था.
चौथा दावा: अग्निवीर योजना में नौकरी की 100% गारंटी
भाषण में 39:33 मिनट पर, ठाकुर ने दावा किया कि अग्निवीर योजना या अग्निपथ योजना में नौकरी की 100 फीसदी गारंटी है. हालांकि, हमने योजना के विस्तृत दस्तावेज की जांच की, जिसमें इस प्रकार की कोई बात नहीं कही गई है.
हमें जांच में क्या मिला?: दस्तावेज के 'डिस्चार्ज' सेक्शन में, सभी 'अग्निवीरों' को 'चार साल की सेवा' के पूरे होने पर डिस्चार्ज कर दिया जाएगा यानी कि छुट्टी दे दी जाएगी.
एक और प्वाइंट में दिया गया है कि चार साल के बाद, अग्निवीरों को 'सेवा निधी' पैकेज दिया जाएगा, जिससे वो दूसरे सेक्टरों में नौकरी की गुंजाइश के लिए समाज में वापस लौट सकें.
अग्निवीर किसी भी तरह की पेंशन या ग्रेचुएटी के योग्य नहीं होंगे, न ही वो भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS), कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (CSD) सुविधाओं, भूतपूर्व सैनिक की स्थिति और अन्य संबंधित लाभों के लिए पात्र होंगे.
जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की थी, तब टीम वेबकूफ ने एक विस्तृत फैक्ट-चेक में इस योजना और इसकी चेतावनियों से संबंधित कई दावों की पड़ताल की थी.
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