सोशल मीडिया पर एक शख्स की फोटो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि फोटो में लखनऊ के राजेश तिवारी दिख रहे हैं, जो UPSC की परीक्षा इसलिए नहीं पास कर पाए, क्योंकि उनके अंक जनरल कैटेगरी की कट-ऑफ से कम थे. जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति लोगों के नंबर राजेश तिवारी से भी कम थे. लेकिन कम कट-ऑफ होने की वजह से उन्होंने परीक्षा पास कर ली.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि वायरल फोटो में दिख रहे शख्स का नाम सईद रिमोन है, जो बांग्लादेश से हैं और एक टेक्सटाइल इंजीनियर हैं. सईद सामाजिक मुद्दों से जुड़े जागरूकता अभियान चलाते हैं. ये फोटो साल 2016 की है.
दावा
फेसबुक यूजर नंदन झा के वेरिफाइड हैंडल से इस फोटो को शेयर कर दावा अंग्रेजी में लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद है: "ये लखनऊ के 29 साल के राजेश तिवारी हैं. जो अपने सात लोगों के परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य हैं. उन्होंने इस साल UPSC की परीक्षा में 643 अंक पाए, लेकिन पास नहीं हो पाए क्योंकि जनरल कैटेगरी का कट-ऑफ 689 था. वहीं एससी/एसटी के लिए ये कट-ऑफ 601 था.
तो इस हिसाब से जिसे 601 अंक मिले हैं ,वही हमारा अगला ब्यूरोक्रेट होगा. राजेश तिवारी और उनके जैसे हजारों लोगों का दोष बस इतना है कि वे जनरल कैटेगरी में पैदा हुए हैं. इसलिए, आर्थिक संकट से जूझने के बावजूद उन्हें ऊंची जाति का कहा जाता है.
लेकिन, मायावती जैसे लोग जिनके पास करोड़ों की संपत्ति है, उन्हें नीची जाति का कहा जाएगा और उन्हें पीढ़ियों तक आरक्षण दिया जाएगा. मैं किसी जाति के खिलाफ नहीं हूं. मुझे सामनता चाहिए."
हालांकि, बाद में इस पोस्ट को हटा लिया गया. इस दावे को 'Say NO To Reservation System in India' नाम के एक फेसबुक पेज पर भी साल 2018 में पोस्ट किया गया था. जिसे 27,000 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया था.
ट्विटर पर भी ये दावा शेयर किया गया है, जिनके आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं. ये दावा 2017 से शेयर हो रहा है और सालों से शेयर हो रहे ऐसे पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
क्विंट की WhatsApp टिपलाइन में भी इस दावे से जुड़ी क्वेरी आई है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें बांग्लादेश के टीवी चैनल Ekushey TV की वेबसाइट पर एक आर्टिकल मिला. जिसमें इस वायरल हो रही फोटो का इस्तेमाल किया गया था. 11 अप्रैल 2019 में पब्लिश इस आर्टिकल में सईद रिमोन नाम के एक शख्स और उसके जागरूकता अभियानों के बारे में लिखा गया था.
आर्टिकल में बताया गया था कि रिमोन एक टेक्सटाइल इंजीनियर हैं. रिमोन ने ड्रग्स के इस्तेमाल, रोड एक्सीडेंट्स और बेरोजगारी जैसी सामाजिक समस्याओं से जुड़े व्यापक जागरूकता अभियान चलाए.
इसके अलावा, हमने पाया कि रिमोन के फेसबुक अकाउंट पर इस फोटो को नवंबर 2016 में अपलोड किया गया था. इसके कैप्शन में बढती बेरोजगारी के बारे में लिखा गया था.
2 जून को रिमोन ने वायरल दावे वाली एक फेसबुक पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा कि वो एक बांग्लादेशी हैं.
BBC Bangla और Dhaka Tribune जैसे मीडिया आउटलेट में भी रिमोन के जागरूकता अभियानों के बारे में विस्तार से लिखा जा चुका है.
हमने UPSC की वेबसाइट भी चेक की और पाया कि 2017 के बाद सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है कि फाइनल कट-ऑफ 700 अंकों के नीचे आई है. ऐसा 2019 में हुआ था जब दिव्यांगों की कैटेगरी के लिए 653 अंक निर्धारित किए गए थे.
मतलब साफ है कि बांग्लादेश के एक शख्स की फोटो शेयर कर झूठा दावा किया जा रहा है कि वो लखनऊ के राजेश तिवारी हैं, जो जनरल कैटेगरी से होने की वजह से UPSC की परीक्षा पास नहीं कर पाए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)