सोशल मीडिया पर एक वायरल फोटो में दावा किया जा रहा है कि ये 2015 की तस्वीर है और इसमें तब के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और इफेंक्शियस डिजीज के डायरेक्टर डॉ एंथनी फॉशी, और मेलिंडा गेट्स वुहान की एक लैब में देखे जा सकते हैं.
हालांकि, हमने जांच में पाया कि ये फोटो 2014 दिसंबर में मैरिलैंड में बेथस्डा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के कैंपस में ली गई है. और इस फोटो में मेलिंडा गेट्स नहीं हैं.
दावा
इस फोटो के साथ आगे दावा किया गया है कि इस फोटो में दिखने वाले लोगों ने इस लैब में एक 'चमगादड़ प्रोजेक्ट' के लिए 3.7 मिलियन डॉलर का फंड दिया.
अमेरिकी सिंगर Teg Nugent ने भी अपने फेसबुक अकाउंट पर इस वायरल फोटो को शेयर किया. ये खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को करीब 7,000 यूजर्स शेयर कर चुके थे.
कई ट्विटर यूजर्स ने भी इसी दावे के साथ फोटो को शेयर किया.
हमें जांच में क्या मिला?
रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के इन्ट्रामुरल रिसर्च प्रोग्राम पर पब्लिश हुआ एक आर्टिकल मिला, जिसमें यही वायरल फोटो थी.
फोटो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि ये दिसंबर 2014 में ली गई है, और तब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इबोला वायरस को लेकर NIH के काम के प्रति आभार व्यक्त करने यहां पहुंचे थे.
डिस्क्रिप्शन में कहीं ये नहीं लिखा है कि मेलिंडा गेट्स भी वहां मौजूद थीं.
इस फोटो में लोगों की पहचान इस तरह से की गई है: "बाएं से: NIAID डायरेक्टर एंथनी फॉशी, डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस सेक्रेटरी सिलविया बरवेल, राष्ट्रपति ओबामा, और नैंसी सुलिवन."
ये दावा कि ये फोटो वुहान की लैब में खींची गई है, गलत है. हमें डॉ फ्रांसिस कॉलिन्स का एक आर्टिकल मिला,जो NIH डायरेक्टर ब्लॉग पर पब्लिश हुआ था. इस आर्टिकल में यही वायरल फोटो है और इसमें लिखा है कि ये मैरीलेंड के बेथस्डा में NIH कैंपस में खींची गई है.
'चमगादड़' प्रोजेक्ट
जहां तक चमगादड़ वाले प्रोजेक्ट की बात है, अप्रैल में NPR के आर्किटल के मुताबिक, अमेरिकी सरकार ने चीन में एक प्रोजेक्ट को फंड किया है, जो कि नॉनप्रॉफिट संगठन EcoHealth Alliance चलाता है.
इसमें पहला फंड 2015 में, 3.25 मिलियन डॉलर का करीब पांच साल के लिए दिया गया था, इसमें से 3.1 मिलियन डॉलर वितरित किए गए थे. 3.7 मिलियन डॉलर को पिछले साल पांच साल के रिन्यूअल के लिए अप्रूव किया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, “इसके अलावा, केवल 10 प्रतिशत- लगभग $76,000 प्रति वर्ष- वुहान संस्थान के लिए उम्मीद थी.”
संगठन चमगादड़ों को फंसाने और नए कोरोना वायरस के मूल्यांकन के लिए नमूने लेने के लिए लोगों को चीन भेज रहा था जो कि 'अगली वैश्विक महामारी शुरू कर सकते थे.'
हालांकि, अप्रैल में, ट्रंप प्रशासन ने कुछ कॉन्सपिरेसी थियोरी के बाद इस फंडिंग को बंद कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कोरोना वायरस महामारी के लिए वुहान की लैब जिम्मेदार थी.
इससे साफ होता है कि 2014 की एक तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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