पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी नेताओं का आरोप है कि उनकी पार्टी से जुड़े लोगों की हत्याएं हो रही हैं और पुलिस कुछ नहीं कर रही. इसी बीच 8 अक्टूबर को बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनकी तरफ बम फेंके, जब वो प्रदर्शन के दौरान सचिवालय की तरफ जा रहे थे.
बता दें कि बीजेपी नेता और कार्यकर्ता हत्याओं के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन विजयवर्गीय ने ट्विटर पर जो दावा किया, उसे साबित करना काफी मुश्किल है. क्योंकि जब हमने पश्चिम बंगाल के एक पत्रकार से बात की, जो उस वक्त वहीं मौजूद थे तो उन्होंने हमें बताया कि पुलिस ने भीड़ को अलग करने के लिए धुएं के गोले छोड़े थे.
क्या है दावा?
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने प्रदर्शन के ठीक बाद किए गए अपने ट्वीट में लिखा, "बीजेपी के आंदोलन पर कोलकाता पुलिस ने टीएमसी के गुंडों की तरह बर्ताव किया और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर छतों से बम फेंके. पुलिस की तरह ये कार्रवाई सरकार की शह पर हुई है. पुलिस के ऐसे हमलों की वजह से इस आंदोलन में 1500 से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हुए."
विजयवर्गीय ने जो वीडियो शेयर किया उसे ये खबर लिखे जाने तक 53 हजार से भी ज्यादा लोग देख चुके थे.
ABVP के ज्वाइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री लक्ष्मण जी ने भी विजयवर्गीय का ये वीडियो शेयर कर यही दावा किया.
फेसबुक यूजर गौरव प्रधान ने भी यही वीडियो शेयर की, जिसे आर्टिकल लिखे जाने तक करीब 7 हजार से भी ज्यादा लोग देख चुके थे. इसमें सवाल उठाया गया था कि पुलिस छतों से बम क्यों फेंक रही है.
इसके अलावा कई और फेसबुक यूजर्स ने भी ये वीडियो शेयर कर ऐसा ही दावा किया.
हमें पड़ताल में क्या मिला?
हमें सबसे पहले हावड़ा सिटी पुलिस का एक ट्वीट दिखा. 9 अक्टूबर को किए गए इस ट्वीट में लिखा गया था कि, पुलिस की जो वीडियो दिखाई जा रही है वो भ्रामक है. पुलिस छतों पर इसलिए तैनात थी, क्योंकि प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. पुलिस छतों पर आंसू गैस के गोले लेकर थी. वहां मीडियकर्मी भी मौजूद थे.
टाइम्स नाउ की रिपोर्टर श्रेयशी डे भी उसी छत से रिपोर्टिंग कर रही थीं, जहां पुलिस को दिखाया गया है. उन्हें इस वायरल वीडियो में भी देखा जा सकता है. उन्होंने इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा कि पुलिसकर्मियों ने भीड़ को अलग करने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया. उन्होंने अपने ट्वीट में ये भी बताया कि पत्थरबाजी हुई थी.
टाइम्स नाउ ने घटना के दिन इसका वीडियो भी चलाया था. जिसमें यही रिपोर्टर ग्राउंड से पूरे हालात को समझा रही हैं. इसमें वो बता रही हैं कि कैसे पुलिस ने वाटर कैनन, दंगा रोधी गाड़ियां और बैरिकेडिंग की है. जिसकी दूसरी तरफ बीजेपी के सैकड़ों समर्थक जुट रहे थे.
क्विंट ने एक रिपोर्टर से भी बात की, जो इस पूरी घटना के दौरान वहीं मौजूद थे. उन्होंने बताया कि वो असली बम नहीं थे, पुलिस ने जो भीड़ की तरफ फेंके थे, वो आंसू गैस के गोले थे. उन्होंने कहा,
ये सिर्फ एक दूसरी तरह के टियर गैस शेल्स थे. इससे भी आंसू गैस की तरह तीखी गंध निकलती है और धुएं से भीड़ इधर-उधर हो जाती है.
वहीं एक दूसरे रिपोर्टर ने भी नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि, मैं उस वक्त मौके पर मौजूद नहीं था, लेकिन जितना भी मैंने जाना है, उससे यही साबित होता है कि पुलिस ने जो भीड़ की तरफ फेंके थे वो आंसू गैस के ही गोले थे.
एक और रिपोर्टर ने ऑल्ट न्यूज से बातचीत में बताया कि पुलिस बम का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. अगर आप वीडियो में फेंके जा रही चीज को गौर से देखेंगे तो इसका आकार एक सिलिंडर की तरह है. जैसा कि टियर गैस और स्मोक बम शेल्स दिखते हैं. रिपोर्टर ने इसी पर आगे कहा कि अगर आप पुलिस के इन शेल्स को फेंकने के तरीके को भी देखें तो इससे साफ पता चलता है कि ये आंसू गैस के गोले थे. क्योंकि पुलिस अंडर आर्म बॉलिंग की तरह इन्हें फेंक रही है, जबकि किसी बम को पूरी ताकत के साथ भीड़ की तरफ फेंका जाता है. इसीलिए पुलिस ने भीड़ की तरफ कोई बम नहीं फेंके.
वहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और टियर गैस भी फायर की. साथ ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया.
अब जैसा कि मौके पर मौजूद रिपोर्टर इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं कि पुलिस ने बीजेपी प्रदर्शनकारियों की तरफ बम नहीं बल्कि टियर गैस शेल फेंके, तो बीजेपी नेता कैलाश विजयर्गीय का दावा बिना तथ्यों का है.
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