बेंगलुरु दक्षिण से BJP सांसद तेजस्वी सूर्या ने हाल ही में मौजूदा बीजेपी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई दावे किए. सूर्या ने कहा कि देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 110 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 230 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
सूर्या ने कहा, ''पीएम मोदी से पहले महंगाई दहाई के अंकों में थी. अब वो घटकर सिंगल डिजिट में हो गई है. पहले देश की GDP का साइज 110 लाख करोड़ रुपये था. मोदी के बाद ये बढ़कर 230 लाख करोड़ रुपये हो गया है. मोदी से पहले भारत का निर्यात 2.85 लाख करोड़ रुपये था. मोदी के बाद, ये 4.7 लाख करोड़ रुपये है.''
उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सेसे पहले विदेशी मुद्रा भंडार 275 अरब डॉलर था और आज ये 630 अरब डॉलर है.
(नोट: ऊपर लिखी गई बातों को नीचे के वीडियो में 3:30 मिनट से सुना जा सकता है)
कई विपक्षी नेताओं के देश में बेरोजगारी की स्थिति को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सूर्या का ये स्टेटमेंट आया. सूर्या ने दावा किया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बेरोजगारी भी कम हुई है.
हालांकि, हमने पाया कि GDP के बारे में ऐब्सोल्यूट नंबर्स के संदर्भ में किया गया सूर्या का दावा गलत है और ये भी गलत है कि कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार में यह तेज दर से बढ़ी.
यहां ऑफिशियल डेटा पर नजर डालकर ये जानते हैं कि बीजेपी सांसद ने संसद में अपने भाषण में जो कुछ भी बोला, उसमें क्या गलत है.
बीजेपी सरकार में कितनी बढ़ी जीडीपी?
सूर्या ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार में GDP 110 लाख करोड़ रुपये थी, जो BJP सरकार में बढ़कर 230 लाख करोड़ रुपये हो गई.
हमने RBI का हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन द इंडियन इकॉनमी (Handbook of Statistics on the Indian Economy) देखा, जिसे RBI हर साल प्रकाशित करता है. ये सरकारी डेटा को इकट्ठा कर सभी तरह के वित्तीय आंकड़ों को एक जगह रखता है.
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के मुताबिक, 2013-14 में भारत की जीडीपी (स्थिर कीमतों पर), वर्तमान बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से पहले, 98 लाख करोड़ रुपये थी. ये कोविड महामारी की वजह से आई गिरावट के बाद, 2020-21 में बढ़कर 135 लाख करोड़ रुपये हो गई.
हमने जीडीपी के आंकड़ों (स्थिर कीमतों पर) पर इसलिए गौर किया, क्योंकि इसे एडजस्ट कर महंगाई के प्रभावों के लिए समायोजित किया जाता है और इसे इकॉनोमी के असल ग्रोथ को मापने का संकेतक माना जाता है.
कोरोना महामारी की वजह से GDP नंबर्स में आई गिरावट से पहले, भारत की GDP 2019-20 में, अगर पैसों में देखें तो ये 145 लाख करोड़ रुपये थी. भारत की जीडीपी 2014 से तो बढ़ी है, लेकिन ये 230 लाख करोड़ रुपये नहीं पहुंच पाई है.
लेकिन, असली सवाल दोनों सरकारों, यूपीए और एनडीए के तहत विकास दर के बारे में है.
बीजेपी बनाम कांग्रेस: किस सरकार में कैसा रहा आर्थिक विकास?
हमने यूपीए के दो कार्यकाल (2004-2009 और 2009-2014 से) और बीजेपी के पहले कार्यकाल (2014-19 और 2019 से अब तक) के आंकड़ों पर गौर किया.
निष्पक्ष तुलना के लिए, हमने रियल सेक्टर स्टैटिस्टिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर किया. ये रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के नेशनल स्टैटिस्टिक्स कमीशन द्वारा गठित की गई थी. 1993 से 2014 के जो भी जीडीपी नंबर थे उन्हें 2011-12 के बेस ईयर में कन्वर्ट कर दिखाए गए हैं.
यूपीए 1 के तहत यानी 2004-09 के बीच जीडीपी में सालाना आधार पर औसत वृद्धि 8.37 प्रतिशत थी और यूपीए 2 के तहत 7.69 प्रतिशत थी.
दूसरी ओर, 2014-19 से जीडीपी में साल-दर-साल वृद्धि 7.44 प्रतिशत थी.
2019-20 में (संशोधित आंकड़ों के अनुसार) जीडीपी में वृद्धि लगभग 3.7 प्रतिशत (पिछले वर्ष के 6.5 प्रतिशत से कम) थी.
इस साल की शुरुआत में सरकार द्वारा जारी संशोधित अनुमान के मुताबिक, 2020-21 में जीडीपी में 6.6 प्रतिशत की कमी आई (इस साल कोरोना को महामारी घोषित किया गया). अस्थायी (प्रोविजनल) आंकड़ों में इस कमी को 7.25 प्रतिशत पर रखा गया था.
आर्थिक सर्वे के मुताबिक, अनुमान है कि भारत में 2021-22 में 9.2 प्रतिशत और 2022-23 में 8-8.5 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है.
दूसरे दावों पर डालते हैं नजर
निर्यात (Exports)
सूर्या ने ये भी कहा कि कांग्रेस सरकार में भारत का निर्यात 2.85 लाख करोड़ रुपये था और पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद ये बढ़कर 4.7 लाख करोड़ रुपये हो गया.
हालांकि, आरबीआई पर उपलब्ध वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का कुल निर्यात 2013-14 (FY14) में काफी ज्यादा 19 लाख करोड़ रुपये था और वित्त वर्ष 2019 में बढ़कर 23 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि, इसके पहले वित्त वर्ष 2016 में 17.2 लाख करोड़ रुपये तक गिरा भी था. अगर हम सेवाओं के निर्यात को शामिल करें, तो संख्या बहुत ज्यादा होगी.
हालांकि, निर्यात बढ़ा है, लेकिन पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में साल-दर-साल वृद्धि यूपीए 2 की तुलना में बहुत धीमी (4.27 प्रतिशत) थी. जबकि यूपीए 2 में 18.3 प्रतिशत थी.
महंगाई
सूर्या ने अपने भाषण में महंगाई पर भी बात की. हालांकि, कर्नाटक के सांसद की ओर से दिए गए आंकड़े सही थे, लेकिन ये पूरी तस्वीर पेश नहीं करते. यूपीए 2 सरकार में उच्च मुद्रास्फीति के जो नंबर हैं उनकी वजह दुनिया भर में आई वित्तीय मंदी थी.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यूपीए के दूसरे कार्यकाल के आखिर में, महंगाई कम होकर 5.8 प्रतिशत तक हो गई, जो पिछले साल 9.4 प्रतिशत थी.
हालांकि, एनडीए सरकार मुद्रास्फीति की दरों को 10 से कम रखने में कामयाब रही है, लेकिन ये 2019 में आरबीआई की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को तोड़ते हुए बढ़ने लगी.
हालांकि, आर्थिक सर्वे के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल-दिसंबर) में 5.2 प्रतिशत हो गई, जबकि 2020-21 में इसी अवधि में 6.6 प्रतिशत थी.
विदेशी मुद्रा भंडार
हालांकि ये सच है कि आरबीआई के हाल के साप्ताहिक अपडेट के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 630 बिलियन डॉलर को पार कर गया है, लेकिन जैसा कि सूर्या ने बोला था कि ये 275 बिलियन डॉलर से बढ़ा है, ऐसा नहीं है. बता दें कि साल 2013-14 में विदेशी मुद्रा भंडार 304 बिलियन डॉलर था.
ऊपर बताए गए आर्थिक संकेतकों के आधार पर, सूर्या ने कहा कि मोदी सरकार में देश में बेरोजगारी कम हुई है.
हालांकि, हम 2012 और 2016 के बीच बेरोजगारी दर का पता नहीं लगा पाए, लेकिन पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (2017-18) के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत थी, जो कि 45 सालों में सबसे ज्यादा थी.
सर्वे में शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर के बारे में भी बताया गया है.
अगले साल बेरोजगारी की दर घटकर 5.8 प्रतिशत और उसके बाद 4.8 प्रतिशत रह गई.
ये ध्यान देना जरूरी है कि इंडिपेंडेंट थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी दिसंबर 2021 में चार महीने के उच्च स्तर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच गई.
मतलब साफ है, तेजस्वी सूर्या ने जो डेटा पेश किया वो कई मामलों में बढ़ा-चढ़ाकर और भ्रामक तरीके से पेश किया गया है. वहीं दूसरे कई मामलों में ये बिना किसी संदर्भ के पेश किया गया है. हमने सूर्या से स्पष्टीकरण के लिए भी संपर्क किया है. उनकी प्रतिक्रिया आते ही स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
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