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कोविड-19 वैक्सीन में Bluetooth चिप होने का दावा गलत है

कोवैक्सीन और कोविशील्ड की सामग्री से जुड़ी ऑफिशियल लिस्ट के मुताबिक वैक्सीन में कोई ब्लूटूथ चिप नहीं होती.

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WhatsApp पर एक मैसेज शेयर किया जा रहा है. एक ऑडियो क्लिप और ब्लूटूथ नेटवर्क लिस्ट का एक स्क्रीनशॉट भी साथ में शेयर किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों को Covid-19 वैक्सीन लगाई गई है, उनको ब्लूटूथ वाले डिवाइस और कोड के साथ डिटेक्ट किया जा सकता है.

ऑडियो क्लिप में जो शख्स बोल रहा है उसका कहना है कि वैक्सीन ले चुके लोगों के पास जाने पर उनके फोन की ब्लूटूथ नेटवर्क लिस्ट में कोड दिखे. ये कोड उनके ऑफिस और घर वापस आने के रास्ते पर भी दिख रहे हैं.

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हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि इस दावे का कोई आधार नहीं है. भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड में मानक केमिकलों का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही, कोविड-19 के वायरस को कमजोर या निष्क्रिय करके डाला गया है.

दावा

वॉइस नोट और स्क्रीनशॉट के साथ शेयर हो रहे टेक्स्ट मैसेज में लिखा है:

''भारतीय नेवल सर्विस (टेक्निकल) में काम कर रहे AIM सपोर्टर का ये ऑडियो मैसेज सुने. जब आप उन लोगों के पास हों जिन्हें कोविड की वैक्सीन लगी है तो अपने ब्लूटूथ की जांच करें. ऐसे लोग उस डिवाइस की तरह दिखेंगे जो आपके ब्लूटूथ ऐक्टिवेटेड स्मार्टफोन से कनेक्शन मांगने वाले डिवाइस की तरह दिखेंगे. जिन्हें वैक्सीन लगाई जा रही है उन्हें क्वांटम आईडी टेक्नॉलजी से इंजेक्शन लगाया जा रहा है. नीचे स्क्रीनशॉट देखें.''

दावे में भेजी जा रही ऑडियो क्लिप में विकास भाई से बात करते हुए, बोलने वाला शख्स उसे बताता है कि उसने अपने ऑफिस में एक ब्लूटूथ डिवाइस से कनेक्ट करने की कोशिश की. जहां उसे अपनी कनेक्शन लिस्ट में 5 या 6 अंकों के कोड दिखे. ऐसा तब हुआ जब उसके आस-पास 6 से 7 ऐसे लोग थे जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है.

ऐसा ही एक और वीडियो इसके पहले भी कई देशों में शेयर किया जा रहा था. अब वो कई टेलीग्राम ग्रुप पर भी शेयर होने लगा है.

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने "quantum ID technology" कीवर्ड सर्च करके देखा. हमें पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी से जुड़े सर्च रिजल्ट मिले. हालांकि, हमें ऐसा कोई वेबपेज नहीं मिला जिसमें ऐसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नॉलजी की बात की गई हो जो इंजेक्ट की जा सकती है. और न ही हमें कोविड-19 वैक्सीन या वैक्सीनेशन से जुड़ा कोई रिजल्ट मिला.

इसके बाद, हमने भारत बायोटेक की वेबसाइट में कोवैक्सीन से जुड़ी जानकारी देखी. हमें वैक्सीन से जुड़ी एक फैक्ट शीट मिली. इसमें वैक्सीन में पड़ने वाली सामग्री, उसके साइड इफेक्ट्स और कई दूसरी जानकारी मिलीं.

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इसी तरह, हमने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर जाकर, कोविशील्ड से जुड़ी जानकारी भी चेक की. वेबसाइट पर फैक्ट शीट का लिंक, प्रोडक्ट इंसर्ट(product insert) और 'FAQ' सेक्शन का लिंक मिला. हमने सभी तीनों पेजों पर जाकर डॉक्युमेंट्स देखे. लेकिन हमें दावे को सच साबित करने वाला कोई प्रमाण नहीं मिला जिसमें ब्लूटूथ या क्वांटम आईडी से जुड़ी जानकारी दी गई हो.

कोविशील्ड के FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) सेक्शन में वैक्सीन से जुडे उन मिथ के बारे में बताया गया है जो पहले वायरल हो चुके हैं. जैसे कि उसमें इस्तेमाल होने वाली जानवरों से जुड़े उत्पाद. या फिर उन अफवाहों से जुड़ी जानकारी भी दी गई है जिनके मुताबिक गलत दावा किया गया था कि माहवारी के दौरान वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए.

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हमने इस दावे से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए दिल्ली के हॉली फैमिली हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. सुमित रे से संपर्क किया

‘’मुझे नहीं लगता है अभी तक इस तरह की कोई चीज लिक्विड रूप में है. ऐसी कोई संभावना नहीं है कि लिक्विड रूप में कोई ऐसी चिप इंजेक्ट की जाए जिसे ब्लूटूथ से डिटेक्ट किया जा सकता हो. दुनियाभर की कई सरकारों ने हेल्थकेयर के लिए इलेक्टॉनिक ऐप का इस्तेमाल किया है. मुझे नहीं लगता है कि लिक्विड वैक्सीन में कोई ऐसी चीज मिलाई जा सकती है जिसे ब्लूटूथ से डिटेक्ट किया जा सकता हो.’’
डॉ. सुमित रे, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, हॉली फैमिली हॉस्पिटल, दिल्ली

उन्होंने आगे कहा कि दुनियाभर में वैक्सीन लगाई जा रही है. लेकिन ऐसी कोई चीज बनाना जिसे ब्लूटूथ के जरिए डिटेक्ट किया जा सके, उसकी कीमत और मात्रा के हिसाब से उतना आसान नहीं होगा जितना बताया जा रहा है.

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इसी तरह के एक और दावे को हम पहले भी खारिज कर चुके हैं जिसमें कहा गया था कि लोगों को ट्रैक करने के लिए "RFID चिप'' वाली वैक्सीन लगाई जा रही है.

Reuters ने भी इस दावे का फैक्ट चेक किया था. ये दावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरल हुआ था. Reuters ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से जुड़े दावों को खारिज किया था.

मतलब साफ है कि इस दावे का कोई आधार नहीं है कि जिन्हें कोविड वैक्सीन लगाई जा रही है वो ब्लूटूथ लिस्ट पर किसी डिवाइस की तरह दिख रहे हैं. इस तरह की अफवाहें वैक्सीनेशन अभियान को कमजोर करती हैं. जिससे ये बीमारी और खतरनाक हो सकती है.

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