सोशल मीडिया पर अलीगढ़ (Aligarh) का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में एक लड़का दूसरे से हिंदू, मुस्लिम और इस्लाम के बारे में बात करता नजर आ रहा है. वीडियो में जो लड़का साइकिल पर है और मुस्लिम होने का दावा करता है, वो इस्लाम का प्रचार और धर्म परिवर्तन को प्रोत्साहित करता हुआ दिख रहा है.
टीवी चैनल Sudarshan News में काम करने वाले एक पत्रकार ने वीडियो को शेयर कर दावा किया है कि ये राज्य में धर्मांतरण का ''सबूत'' है. वीडियो को चैनल के यूपी ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया गया है.
हालांकि, हमने पाया कि वीडियो में दिख रहे दोनों लड़के हिंदू समुदाय से हैं. क्विंट ने सीओ राघवेंद्र कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे दोनों लड़के नाबालिग हैं और एक ही धर्म के हैं.
दावा
Sudarshan News के पत्रकार रजत मिश्रा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "धर्मान्तरण के लिए कैसे होता है ब्रेनवाश.. देखिये सबूत.. नाबालिग लड़के के भविष्य को देखते हुए हम उसका चेहरा नहीं दिखा रहे है। वीडियो हरिगढ़ (अलीगढ़) का है।"
ये वीडियो मिनट 20 सेकंड का है. इसमें एक लड़का ये बात करता नजर आ रहा है कि अगर हिंदू धर्मांतरण नहीं करेंगे तो क्या होगा. वीडियो में एक जगह लड़का ये कहता दिखाई दे रहा है कि समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद मुस्लिम समुदाय फिर से उठेगा.
इस वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ और भी यूजर्स ने शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
हमें टेलीग्राम पर भी शेयर किए जा रहे 2 मिनट 50 सेकंड का यही वीडियो मिला.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमें अलीगढ़ पुलिस के ऑफिशियल हैंडल से किया गया ट्वीट मिला, जो वायरल वीडियो के साथ शेयर किए गए ट्वीट्स के रेप्लाई में किया गया था. अलीगढ़ पुलिस ने अपने रेप्लाई में कहा कि बातचीत करने वाले लड़के नाबालिग हैं और एक ही समुदाय के हैं.
इसके बाद, क्विंट ने सर्कल ऑफिसर राघवेंद्र कुमार से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि साइकिल पर सवार लड़का और वीडियो शूट करने वाला दोनों हिंदू थे.
Times of India पर 29 सितंबर को पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों लड़के हिंदू हैं. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि उनके खिलाफ स्थानीय बीजेपी के सदस्य राम गोपाल की शिकायत पर, आईपीसी की धारा 505 के तहत एफआईआर भी दर्ज की गई थी. ये धारा शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयानों पर लगती है और ये एक गैर-जमानती अपराध है.
हालांकि, कुमार ने हमें स्पष्ट किया कि मामले की जांच के बाद, ये पाया गया कि लड़के नाबालिग थे इसलिए गिरफ्तारी नहीं की गई.
TOI ने एक लड़के के चाचा से भी बात की, जो हाथरस से बीजेपी का सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि लड़कों के बीच "दोस्ताना बहस" हो रही थी और वो "किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे".
मतलब साफ है कि अलीगढ़ का वीडियो जिसमें दो लड़के इस्लाम, हिंदू और मुस्लिम के बारे में बात करते हुए नजर आ रहे हैं, इस भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये इस बात का ''सबूत'' है कि धर्मांतरण में लोगों का ब्रेनवॉश कैसे किया जाता है.
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