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फैक्ट चेक: Brucellosis चीन का फैलाया हुआ कोई नया वायरस नहीं है

सोशल मीडिया में इस खबर को चीन द्वारा फैलाया गया एक नया वायरस बता कर शेयर किया जा रहा है

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कोविड19 महामारी के बीच, उत्तर पश्चिमी चीन में हजारों लोग Brucellosis नाम के बैक्टीरिया के चपेट में आ चुके हैं. इसकी पुष्टि पिछले हफ्ते संबंधित अधिकारियों ने की है.


ज्यादातर बड़े न्यूज संस्थाओं ने इस खबर को आंकड़ों के साथ शेयर किया. चूंकि कोविड19 महामारी से पहले ही आम जनता डरी सहमी हुई है, तो सोशल मीडिया में इस खबर को चीन द्वारा फैलाया गया एक नया वायरस बता कर शेयर किया जा रहा है. एक ऐसा ही दावा “The Tatva India” नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर हुआ. इसके 60 हजार फॉलोअर्स हैं. “The Tatva India” के पोस्ट का स्क्रीनशॉट फेसबुक और ट्विटर पर लगातार शेयर किया जा रहा है.

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कुछ वेरिफाइड हैंडल्स ने भी दावा किया है कि चीन ने नया वायरस फैलाया है. BJP के तेजिंदर सिंह बग्गा और न्यूज आउटलेट PolymerNews के हैंडल्स भी इनमें शामिल थे.

क्या है “The Tatva India” के पोस्ट में ?

“The Tatva India” के पोस्ट में जो दावा है उसके मुताबिक Brucellosis एक नया वायरस है जो कि चीन के एक लैब से फैलाया गया है. और इस वायरस से डेथ रेट कोविड19 से 50 फीसदी ज्यादा है.

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हमने क्या पाया?

WHO के मुताबिक Brucellosis ब्रुसेला समूह के एक बैक्टीरिया से होने वाली एक प्रकार के जूनोटिक बीमारी है. ये जानवरों में आम है, ज्यादातर पालतु पशुओं में. और वहीं से ये इंसानों तक फैलती है. मांसाहार और डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से फैलने के ज्यादा मामले सामने आते हैं.

अमेरिका के स्वास्थ्य नियंत्रण केंद्र या CDC ने कहा है कि इस बीमारी का इंसानों से इंसानों तक फैलने के आसार काफी कम हैं. और Mortality rate भी 2 फीसदी है.
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बीमारी के लक्षण आम तौर पर बुखार, सिहरन, सिरदर्द, वजन कम होना, थकान और जोड़ों में दर्द हैं. ये सारे लक्षण समय के साथ कम हो जाते हैं, लेकिन जोड़ों के दर्द और अंगों में सूजन जैसी समस्याएं लंबें समय तक रहती हैं.

South China Morning Post में छपी में एक रिपोर्ट में यांगजू विश्वविद्यालय के वेट मेडीसिन कॉलेज के जू ग्वाकियांग ने कहा है कि गंभीर मामलों में Brucellosis ज्यादा से ज्यादा एक इंसान का रिप्रोडडक्टिव सिस्टम पूरी तरह से खराब कर सकता है.

सही समय पर सही इलाज नहीं होने पर पुरुषों को इस बीमारी से इंफर्टिलिटी की शिकायत होती है.

क्या ये बीमारी भारत के लिए नयी है?

बेलगाम के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने एक शोध में बताया है कि ये बीमारी अपने आप में 100 साल पुरानी है. भारत में भी वेटर्नरी और आम जनता के स्वास्थ्य के लिए ये बीमारी हमेशा से चिंता का विषय है. भारत में इस बीमारी के फैलने का कारण ग्रामीण आबादी के रहन सहन की खराब व्यवस्था, और जंगली और पालतु पशुओं के साथ नज़दीकी है.

पहले हुए शोधों में भी यही पता चला है कि Brucellosis से सबसे खतरा डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को है. हरियाणा और गुजरात में खास कर ज्यादा संभावनाएं हैं.

Brucellosis के परीक्षण भारत में बहुत होता है. जिसका नतीजा ये है कि सिर्फ लक्षण के आधार पर दवाइयां देकर काम चल जाता है.

अभी अचानक कैसे बढ़ रहे हैं मामले?

2019 में एक बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी के लीक होने से हुआ है. ये लीक तब हुआ जब कंपनी पालतु पशुओं के लिए Brucella वैक्सीन बना रही थी. फैक्टरी में एक्पायर्ड डिसइंफेक्टेंट और सैनिटाइजर का इस्तमाल किया जा रहा था. इसलिए वेस्ट गैस के साथ बैक्टीरिया भी शहर के हवा में घुल गया.

CNN के मुताबिक, गांसु राज्य की राजधानी, लांजू के हेल्थ कमीशन ने 3,245 लोगों में इस बीमारी की पुष्टि की है. 1401 अन्य लोगों में भी इस बीमारी के परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए हैं. लेकिन अब तक इस बैक्टीरिया से एक भी मौत की खबर नहीं मिली है.
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WHO, CDC और बेलगाम के माइक्रोबायोलॉजी के विभाग के शोध के मुताबिक Brucellosis एक प्रकार के बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी, ना कि वायरस से होने वाली. हालांकि Brucellosis का डेथ रेट अभी 2 फीसदी ही है, इसलिए अभी इसे कोविड 19 महामारी से ज्यादा खतरनाक मानना बेतुकी बात होगी. कोरोना वायरस का डेथ रेट अब भी शोध की प्रक्रिया में है.

दिसंबर 2019 से कोविड 19 से अब तक 31,240,317 लोग संक्रमित हो चुके हैं, और 965,068 लोगों की मौत हो चुकी है.

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