दावा
बहुजन मुक्ति मोर्चा नाम के फेसबुक पेज पर अखबार की एक कटिंग शेयर की गई है. इस कटिंग में ये दावा किया जा रहा है कि तीन लोगों को ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में लैपटॉप लेकर घुसने के लिए गिरफ्तार किया गया है. फेसबुक पर इस पोस्ट को 258 लोगों ने शेयर किया है.
ये रहा वो फेसबुक पोस्ट:
इस अखबार की कटिंग को ट्विटर पर भी शेयर किया जा रहा है.
दावा सही या गलत?
खबर तो सही है लेकिन पिछले साल हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के दौरान की है. इस खबर को फिर से शेयर किया जा रहा है. इसे सबसे पहले इसे न्यूज एजेंसी एएनआई ने 7 दिसंबर 2018 को रिपोर्ट किया था. साथ ही उस वक्त मध्यप्रदेश कांग्रेस ने भी ट्विटर पर शेयर किया था.
क्विंट एक सिर्फ कीवर्ड सर्च करने से इस खबर तक पहुंचा और सच्चाई के बारे में पता लगा पाया.
एएनआई के ट्वीट से पता चलता है कि इसमें 2 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. लेकिन नेशनल हेराल्ड की खबर के मुताबिक इस केस में 3 लोग गिरफ्तार हुए थे.
ये घटना छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के दौरान की है. गिरफ्तार हुए लोग रिलायंस जियो के कर्मचारी बताए गए थे. ये तीनों जगदलपुर के वीमन पॉलीटेक्निक कॉलेज में बने स्ट्रॉन्ग रूम में घुसे थे. इस स्ट्रॉन्ग रूम में क्षेत्र की सभी वीवीपैट और ईवीएम मशीनें रखी गई थी जिनकी मतगणना 11 दिसंबर 2018 को होनी थी.
हिंदी अखबार जनसत्ता की एक खबर में बताया गया था कि कांग्रेस के कैंडिडेट रेखाचंद जैन ने इन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की थी.
स्ट्रॉन्ग रूम में घुसे तीनों लोगों की पहचान उमापति तिवारी, विजय सरकार और सूरज मांडवी के तौर पर की गई. इनके खिलाफ हुई शिकायत में कांग्रेस के कैंडिडेट ने ये मांग की थी कि इनके खिलाफ चुनाव आयोग के नियमों के उल्लंघन के चार्ज लगाए जाएं.
उसी बीच जिलाधिकारी और जिला निर्वाचन आयुक्त ने दो सुरक्षाकर्मियों को भी सस्पेंड किया था. साथ ही कहा गया था कि लैपटॉप से ईवीएम या वीवीपैट हैक नहीं की जा सकती.
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