ADVERTISEMENTREMOVE AD

पंजाब: रोजगार,अपराध और अर्थव्यवस्था में कैसा रहा कांग्रेस सरकार का प्रदर्शन

जानिए पंजाब में पिछली BJP-SAD सरकार की तुलना में वर्तमान कांग्रेस सरकार का कैसा रहा प्रदर्शन

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पंजाब (Punjab) में वर्तमान में कांग्रेस (Congress) की सरकार है. फिलहाल पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी हैं, जिन्हें हाल में ही पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह इस पद की जिम्मेदारी मिली है. दोनों ही मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कई वादे किए. इन वादों में हर परिवार में एक नौकरी देना, कर्ज माफी और नशीली दवाओं के व्यापार को खत्म करने जैसे दावे शामिल हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
कुछ साल पहले तक पंजाब देश के सबसे अमीर राज्यों में से एक था. हालांकि, किसानी से जुड़ी अस्थिर कार्य प्रणाली और औद्योगिकीकरण में कमी की वजह से पंजाब उन राज्यों से पीछे रह गया है जो कभी पंजाब के बराबर हुआ करते थे.

पंजाब की सत्ता की बागडोर कांग्रेस के हाथों में तब आई जब पंजाब वित्तीय मंदी से गुजर रहा था. लेकिन, क्या पंजाब में कांग्रेस के नेतृत्व में हालातों में सुधार आए हैं? कोरोना महामारी की वजह से राज्य की प्रगति पर कैसा असर पड़ा?

हमने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) की पिछली सरकार और पंजाब की मौजूदा सरकार के बीच तुलना के लिए, राज्य और केंद्र सरकार की रिपोर्ट और स्वतंत्र निकायों के किए गए सर्वे को स्टडी किया.

कैसा रहा आर्थिक विकास?

वर्तमान कांग्रेस सरकार में राज्य की अर्थव्यवस्था पिछली सरकार की तुलना में धीमी गति से बढ़ी.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2017-18 (FY18) में स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 37,540,561 लाख रुपये था. FY21 में, GSDP 38,616,980 लाख रुपये है और इसमें COVID-19 के कारण गिरावट शामिल है.

महामारी की वजह से हुई गिरावट को अलग करके देखें, तो GSDP सालाना 5.45 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि BJP-SAD सरकार के दौरान 5.76 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हुई थी.

महामारी की वजह से आई मंदी से पहले FY20 में GSDP बढ़कर 41,357,818 लाख रुपये हो गया था.

कांग्रेस कार्यकाल के पहले तीन सालों में, राज्य की प्रति व्यक्ति आय FY13-FY17 के बीच 4.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की तुलना में 4 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ी.

इस अवधि के दौरान इस दर का राष्ट्रीय औसत 4.6 प्रतिशत था. इसका मतलब है कि इस अवधि के दौरान पंजाब की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम थी.

कोरोना महामारी की वजह से, FY18 से FY21 तक ये दर घटकर 1.06 प्रतिशत रह गई.

प्रति व्यक्ति आय FY17 1,05,848 रुपये से बढ़कर FY20 में 1,19,162 रुपये हो गई. हालांकि, ये वित्त वर्ष 2021 (FY21) में घटकर 1,09,848 रुपये हो गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बेरोजगारी के आंकड़ों के मामले में पंजाब कहां खड़ा है?

2017 के चुनावों में, कांग्रेस ने "घर घर नौकरी" योजना के तहत हर घर में एक नौकरी देने का वादा किया था. हालांकि, राज्य ने पिछले पांच सालों में 2017 से पहले की तुलना में कम लोगों को रोजगार दिया है.

3 जनवरी को प्रकाशित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 की अंतिम तिमाही में राज्य में बेरोजगारों की संख्या आठ लाख से ज्यादा थी. 2017 की पहली तिमाही में ये संख्या 4.19 लाख थी. इसका मतलब है कि पिछले पांच सालों में चार लाख लोगों की नौकरी चली गई है.

CMIE एक इंडिपेंडेंट थिंक टैंक है जो भारत में रोजगार पर मासिक डेटा बुलेटिन प्रकाशित करता है.

महामारी से पहले बेरोजगार युवाओं की संख्या 2019 की अंतिम तिमाही में 10 लाख से ज्यादा थी.

जानिए पंजाब में पिछली BJP-SAD सरकार की तुलना में वर्तमान कांग्रेस सरकार का कैसा रहा प्रदर्शन

2017 में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशत से भी ज्यादा थी

(फोटो: Pixabay)

केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत एक सरकारी एजेंसी, नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के अनुसार, 2017-2018 में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशत से भी ज्यादा थी.

वर्ष 2018-2019 में पंजाब की बेरोजगारी दर गिरकर 7.4 प्रतिशत हो गई, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.8 प्रतिशत था.

हालांकि, 2019-2020 में, जहां राष्ट्रीय बेरोजगारी दर घटकर 4.8 प्रतिशत हो गई, वहीं पंजाब की बेरोजगारी दर 7.4 प्रतिशत पर ही रही.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इससे पता चलता है कि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर में कमी आई है, लेकिन पंजाब में पिछले पांच सालों में बेरोजगारी दर में सुधार नहीं हुआ है.

इससे भी जरूरी बात ये है कि युवाओं (15-29 साल की आयु) में बेरोजगारी चिंता का विषय बनी हुई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज्य में क्या है अपराध की स्थिति?

जब पंजाब में अपराध की बात आती है, तो नशीली दवाओं से जुड़े अपराध और बेअदबी की वजह से हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे दूसरे जघन्य अपराधों से ज्यादा सुर्खियों में रहते हैं.

अपराध

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछली सरकार की तुलना में वर्तमान कांग्रेस सरकार में अलग-अलग धाराओं में दर्ज होने वाले आपराधिक मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है.

2017 में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 39,388 थी, जो 2020 में बढ़कर 49,870 हो गई. इसके अलावा, राज्य में 2020 में अपराध के मामलों में वृद्धि देखी गई, जबकि कई दूसरे राज्यों में कोरोना लॉकडाउन की वजह से रिपोर्ट किए गए अपराधों में गिरावट देखी गई.

2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई. ये 5,886 से करीब 17 प्रतिशत घटकर 2020 में 4,838 हो गई थी. हालांकि, हत्याओं की संख्या में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ड्रग्स

कांग्रेस के 2017 में किए गए चुनावी वादों में से एक था पंजाब से नशीली दवाओं (Drugs) का खात्मा करना. पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 4 हफ्तों में नशीली दवाओं क खत्म करने की कसम खाई थी.

हालांकि, ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि पंजाब में पंजाब ने 2016 की तुलना में 2017 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत दोगुने से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. जहां ये 2016 में 5,906 थे, वहीं 2017 में इनकी संख्या 12,356 हो गई.

एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की संख्या 2019 की तुलना में 2020 में घट गई. ये संख्या पिछले वर्ष 11,536 से 2020 में घटकर 6,909 हो गई. अधिकारियों के मुताबिक, रिपोर्ट किए गए मामलों में गिरावट की वजह कोरोना लॉकडाउन था.

हालांकि, राज्य में 2019 में बरामद हेरोइन की मात्रा 460 किलोग्राम थी, जो 2020 में बढ़कर 759 किलोग्राम हो गई. इसके अलावा, ड्रग्स से संबंधित मामलों में राज्य में दोष साबित होने की दर में वृद्धि हुई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

धर्म से संबंधित अपराध

सैक्रिलेज यानी बेअदबी का मामला, 2017 में राजनीतिक बहस का हिस्सा था. पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में हाल की घटनाओं के बाद फिर से इस पर बात होनी शुरू हो गई है.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में धारा 295 और 297 के तहत रिपोर्ट किए गए अपराधों की संख्या, पूरे देश के सभी राज्यों में 2018 से 2020 के बीच दर्ज किए गए मामलों में शीर्ष पांच में रही. ये धाराएं बेअदबी के मामलों से संबंधित हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिशु मृत्यु दर और जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) की स्थिति

शिशु मृत्यु दर (IMR) किसी क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और प्राकृतिक स्थितियों की स्थिति को दर्शाती है. ये प्रति हजार पैदा हुए जीवित बच्चों पर होने वाली एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या होती है.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS) के मुताबिक, पंजाब में IMR प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 28 मृत्यु थी, जोकि राष्ट्रीय औसत 35.2 से कम है. 2015-2016 में किए गए पिछले NFHS-4 सर्वे से ये आकंड़ा थोड़ा बेहतर है. NFHS-4 सर्वे में ये आंकड़ा 1000 पैदा हुए बच्चों में 29.2 बच्चों की मौत का था, जबकि इस समय राष्ट्रीय औसत 40.7 था.

किसी व्यक्ति के कितने सालों तक जीने की उम्मीद की जा सकती है, उसे ही जीवन प्रत्याशा कहा जाता है. राज्य में 2011 से 2018 तक जीवन प्रत्याशा 72 सालों से थोड़ा ऊपर था और स्थिर था. हालांकि, LER में 2014-2018 में मामूली बढ़त देखी गई थी, जो 72.7 साल थी. जबकि ये 2012-2016 में 72.5 थी.

राज्य की जीवन प्रत्याशा दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही है. इसका राष्ट्रीय औसत 68.3 साल (2011-15), 68.7 साल (2012-16), 69 साल (2013-17), और 69.4 साल (2014-18) था. हालांकि, LER में वृद्धि राष्ट्रीय औसत से धीमी रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पंजाब में बिजनेस कितना आसान है?

"ईज ऑफ डूइंग बिजनेस", निवेश के अनुकूल कारोबारी माहौल का एक संकेतक होता है और जब इसकी बात आती है, तो RBI द्वारा प्रकाशित ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब की रैंक 2017 में 20 थी, लेकिन 2019 में इसमें सुधार हुआ और ये 19 हो गई है.

हालांकि, यहां ये ध्यान देना जरूरी है कि EoDB की रैंक जहां 2015 में 12 थी, वहीं ये 2017 में खिसककर 16 हो गई.

विश्व बैंक की ओर से 2021 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट बंद कर दी गई है. 2018 के बाद से 14 स्थानों में सुधार के बाद, 2019 में 190 देशों में भारत की रैंक 63 थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×