सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में ये दावा किया जाता है कि भारत के संविधान (Indian Constitution) की धारा 28,29 और 30A के मुताबिक, स्कूलों में इस्लाम धार्मिक ग्रंथ कुरान पढ़ने की इजाजत है, लेकिन हिंदू धार्मिक ग्रंथ गीता, रामायण पढ़ने की नहीं.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने जब इस दावे की पड़ताल की, तो सामने आया कि संविधान के किसी भी अनुच्छेद में ये नहीं कहा गया है कि स्कूलों में कुरान पढ़ने की अनुमति है पर गीता की नहीं. वहीं वायरल मैसेज में जिस धारा 30A का जिक्र है, ऐसी कोई धारा संविधान में है ही नहीं.
दावा
सोशल मीडिया पर शेयर होने वाला मैसेज है
धारा 28,29,30A क्या है?
इन धाराओं में साफ लिखा हुआ है कि
#मुस्लिम स्कूल में #कुरान पढ़ाया जा सकता है,
#इसाई स्कूल में #बाइबिल पढ़ाया जा सकता है,
मगर किसी भी #हिंदी_स्कूल में #वेद, #गीता या #रामायण नहीं पढ़ाया जा सकता।
ऐसा मैंने नहीं कहा है यह संविधान की धारा 28,29,30A में लिखा है।......आप सब का क्या विचार हैं....
फेसबुक और ट्विटर पर ये दावा करते एक नहीं ढेरों मैसेज देखे जा सकते हैं.
संविधान में धारा 30A है ही नहीं
वायरल मैसेज में संविधान की धारा 30A का जिक्र है, जबकि भारत के संविधान में धारा 30A है ही नहीं. संविधान के अनुच्छेद 30 का उप खंड (Sub Claus) अनुच्छेद 30 (1A) है. हमने दुर्गादास बसु की किताब Introduction to The Constitution of India देखी. किताब 25वें एडिशन के पेज नंबर 128 पर अनुच्छेद 30 के बाद सीधे 30(1A) का ही जिक्र है.
केंद्र सरकार के विधायी विभाग (Legislative Department) की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध संविधान की कॉपी में भी हमने अनुच्छेद 30 देखा. यहां भी अनुच्छेद 30 के बाद 30(A) जैसा कुछ नहीं है.
धारा 30 में स्कूलों में कुरान पढ़ाए जाने जैसा कुछ नहीं
नहीं, भारत के संविधान का अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषाई आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों को शिक्षण संस्थान (Educational Institute) खोलने और उनका संचालन करने का अधिकार देता है. कुरान या धार्मिक ग्रंथ पढ़ाए जाने का कोई जिक्र इस आर्टिकल में नहीं है.
वहीं अनुच्छेद 30(1A) अल्पसंख्यक समूहों के शुरू किए गए शैक्षणिक संस्थान का अधिग्रहण होने की स्थिति में लागू होने वाले नियमों का जिक्र है.
साफ है कि अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्था खोलने की अनुमति दी गई है. चूंकि वायरल मैसेज में ये दावा किया गया है कि अनुच्छेद 30 कुरान और बाइबल पढ़ने की इजाजत देता है, ये जान लेना जरूरी है कि यहां अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम और सिख समुदाय से नहीं है.
दुर्गादास बसु की किताब Introduction to The Constitution of India के मुताबिक, यहां अल्पसंख्यक समूह के दो मतलब हैं. पहले वो जो भाषाई आधार पर अल्पसंख्यक हैं दूसरे वो जो धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि यहां राज्य के आधार पर भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक माना गया है, न की पूरे देश के आधार पर.
यानी जिस राज्य में शिक्षण संस्थान खोला जा रहा है, शिक्षण संस्थान खोलने वाले समूह उस राज्य में अल्पसंख्यक होना चाहिए. इसे और आसान भाषा में कहें तो ये जरूरी नहीं है कि एक ही समुदाय को देश के हर राज्य में शिक्षण संस्थान खोलने की अनुमति हो. क्योंकि वो हर राज्य में अल्पसंख्यक नहीं होगा. हो सकता है कोई समुदाय मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यक हो पर पंजाब में नहीं.
2019 में भी ये दावा किया गया था कि संविधान की धारा 30 स्कूलों में कुरान पढ़ने की इजाजत देती है और धारा 30(A) स्कूलों में हिंदू धार्मिक ग्रंथ पढ़ने से रोकती है. क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस दावे की पड़ताल भी की थी.
क्विंट से बातचीत में लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप ने कहा था कि संविधान में ऐसा कोई अनुच्छेद या प्रावधान नहीं है, जो स्कूलों में कुरान पढ़ने की इजाजत देता हो और भगवत गीता पढ़ने से रोकता हो.
अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक समूह शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं और उनका संचालन भी कर सकते हैं. ये भी तय कर सकते हैं कि किस मीडियम में पढ़ाई होगी. पर भगवत गीता और कुरान स्कूल में पढ़ाए जाने को लेकर हो रहे दावे का अनुच्छेद 30 से कोई संबंध नहीं है.सुभाष कश्यप, संविधान विशेषज्ञ
धारा 28 और 29 क्या हैं?
वायरल मैसेज में संविधान की धारा 28 और 29 का भी जिक्र है, तो उनके बारे में भी जान लेते हैं. संविधान के अनुच्छेद 28 के मुताबिक, राज्य सरकार से फंड लेने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किसी तरह के धार्मिक निर्देश देने की अनुमति नहीं है.
ये नियम उन शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा जो किसी ट्रस्ट आदि द्वारा शुरू किया गया है, जहां धार्मिक शिक्षा जरूरी है.
गौर करने वाली बात ये है कि यहां किसी भी धर्म का जिक्र नहीं है. जैसा कि वायरल मैसेज में दावा है.
अब जानते हैं धारा 29 के बारे में
अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करता है. इसके मुताबिक,
भारत में रहने वाले नागरिक की अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार होगा.
किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर राज्य द्वारा संचालित या राज्य से सहायता प्राप्त किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता.
साफ है कि इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ नहीं है, जैसा कि वायरल मैसेज में दावा है.
संविधान के अनुच्छेद 28,29 और 30A में ऐसा कहीं जिक्र नहीं है कि स्कूलों में कुरान पढ़ाई जा सकती है पर गीता नहीं. संविधान में कहीं भी ऐसा नहीं कहा गया है. सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होने वाला ये दावा वेबकूफ की पड़ताल में भ्रामक निकला.
संविधान से जुड़े ऐसे ही एक और भ्रामक दावे का सच जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें.
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