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असम के ग्रामीण इलाकों में कम हुई वैक्सीन को लेकर झिझक, सरकार पर बढ़ा भरोसा

क्विंट, रेडियो ब्रह्मपुत्र और बोट क्लीनिक की ओर से जो जागरूकता फैलाई गई, उसकी वजह से भी लोगों में भरोसा बढ़ा

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क्विंट के लिए ब्रह्मपुत्र कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन (BCRS) और बोट क्लीनिक इंटरवेंशन आइलैंड विलेजेस की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक, ग्रामीण असम के 13 जिलों में जितने लोगों को सर्वे में शामिल किया गया उनमें से करीब 100 प्रतिशत लोगों ने कोरोना वैक्सीन (Covid Vaccine) लगवाई है यानी Covid-19 के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन के प्रति झिझक कम हुई है.

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28 फरवरी से 30 मार्च के बीच हुए इस सर्वे में कुल 540 लोगों (311 पुरुष और 229 महिलाओं) को शामिल किया गया था, ताकि ये पता किया जा सके कि कोरोना से संबंधित गलत और भ्रामक सूचनाओं से लड़ने के उद्देश्य से बनाए गए सालभर लंबे प्रोजेक्ट का क्या असर हुआ.

क्विंट, रेडियो ब्रह्मपुत्र और बोट क्लीनिक की ओर से जो जागरूकता फैलाई गई, उसकी वजह से भी लोगों में भरोसा बढ़ा

इस सर्वे में कुल 540 लोग शामिल किए गए थे

(फोटो: रेडियो ब्रह्मपुत्र)

सर्वे में शामिल ज्यादातर लोग इस बात से सहमत थे कि तीनों संगठनों की ओर से जारूकता फैलाने के लिए उपलब्ध कराई गई सामग्री की वजह से वैक्सीन को लेकर झिझक कम हुई और अफवाहों से लड़ने में भी मदद मिली.

सर्वे में शामिल करीब 90 प्रतिशत आबादी का मानना है कि वैक्सीनेशन से महामारी को खत्म करने में मदद मिलेगी.

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94% ने माना वैक्सीन से मिलेगी कोरोना के खिलाफ सुरक्षा

इस सर्वे में पिछले साल जून-जुलाई 2021 में हुए सर्वे की तुलना में कोरोना वैक्सीन के प्रति धारणा में सकारात्मक बदलाव दिखा.

पुराना सर्वे 20 जिलों के 202 गांवों में किया गया था. इसके मुताबिक, 84 प्रतिशत लोग कोरोना वैक्सीन लेना चाहते थे. और 76 प्रतिशत का मानना था कि शॉट से वायरस के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी.

वहीं हाल में हुए सर्वे में, हमने पाया कि सर्वे में शामिल 100 प्रतिशत लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई. इसके अलावा, 94.4 प्रतिशत का मानना था कि वैक्सीन महामारी में लोगों की रक्षा करेगी.

97 प्रतिशत इस बात को नहीं मानते थे कि कोविड सरकार की साजिश है. इसका मतलब ये है कि सरकार पर ज्यादा भरोसा था.

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सर्वे के मुताबिक, सुनी-सुनाई बातें गलत सूचना का प्राथमिक स्रोत थीं. इसमें ये भी पाया गया कि सर्वे किए गए इलाके में रेडियो के जरिए मिली सूचना सबसे विश्वसनीय स्रोत था.

हालांकि, सर्वे में ये भी पता चला कि ज्यादातर लोग अपने गांवों में फैली अफवाहों पर भरोसा नहीं करते थे.

जब इसकी वजह पूछी गई तो लोगों ने बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमें क्विंट, बोट क्लीनिक और रेडियो ब्रह्मपुत्र की वजह से सही सूचनाएं मिल रही थीं. इसकी वजह से अफवाहों से लड़ने और वैक्सीन के प्रति झिझक कम करने में मदद मिली.

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सर्वे में शामिल 98 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने कहा कि वो दूसरों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और 98.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाएंगे.

बूस्टर डोज से संबंधित सवाल पर लोगों ने इसमें भी स्वीकृति दिखाई और 95 प्रतिशत से ज्यादा ने कहा कि वो बूस्टर डोज लेंगे.

पहले सर्वे में वैक्सीन लेने की इच्छा जाहिर करने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी. ये पाया गया था कि फैक्ट चेक और एक्सप्लेनर सहित दूसरी टेक्स्ट स्टोरीज, वीडियो और ऑडियो के रूप में जो भी सामग्री पहुंचाई गई, उससे असम के इन हिस्सों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने और सूचित करने में मदद मिली.

इसके उलट, क्विंट के साथ पार्टनरशिप में वॉयसलॉग की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक, यूपी, एमपी और बिहार में वैक्सीन को लेकर काफी ज्यादा झिझक थी.

हालांकि, अब इन इलाकों में भी वैक्सीन को लेकर झिझक कम हुई है और हमारे हाल में किए गए सर्वे में पाया गया है कि सर्वे में शामिल 89 प्रतिशत लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हैं.

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