सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में ये दावा किया गया था कि कोविड वैक्सीन में एक माइक्रोचिप होगी. जिसे वैक्सीन के साथ लोगों में इंजेक्ट किया जाएगा, ताकि उन्हें ट्रैक और नियंत्रित किया जा सके
हालांकि, हमने पाया कि वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन को ट्रैक करने के लिए वैक्सीन सीरिंज में RFID चिप लगाए जाएंगे. यानी ये चिप वैक्सीन में नहीं होंगी. जिससे ये लोगों को इंजेक्ट भी नहीं की जाएंगी.
दावा
वायरल वीडियो में से एक में, एक मौलवी उन चिप वाली वैक्सीन के बारे में बात करते हुए दिख रहा है. मौलवी का कहना था कि इन चिप से लोगों के व्यवहार को नियंत्रित किया जाएगा और उन्हें बदल भी दिया जाएगा. ये वीडियो मई 2020 में शेयर किया गया था, जो दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह में तब वायरल हुआ जब वैक्सीन का डिस्ट्रीब्यूशन अपने अंतिम चरण में था.
अप्रैल 2020 में वायरल हुआ एक अन्य वीडियो दिसंबर 2020 में भी शेयर किया गया था. वीडियो में कर्मचारी एक स्टोर में खुद को एक ऐसी चिप इंजेक्ट करते हुए दिख रहे हैं, जिसकी मदद से किसी कार्ड या कैश के बिना खरीदारी की जा सकती है. इस वीडियो में जो टेक्स्ट उभर कर आता है, उसमें लिखा है, "अगले 18 महीनों में सभी कोरोनावायरस वैक्सीन शॉट्स में आने वाले RFID चिप''
इसी तरह के दावों के साथ वायरल तीसरे वीडियो में बिल गेट्स, मेलिंडा गेट्स और जैक मा की क्लिप है, जिसमें वो लोगों को चिप वाले इंजेक्शन लगाने की बात करते नजर आ रहे हैं.
ये वीडियो ट्विटर पर भी वायरल था.
Forbes को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिकी रैप आर्टिस्ट कान्ये वेस्ट ने कॉन्सपिरेसी थ्योरी पर बल देते हुए कहा, ''वो हमारे अंदर चिप डालना चाहते हैं, वो हर तरह की चीजें करना चाहते हैं, ताकि हम स्वर्ग के फाटकों को पार न कर सकें.''
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने “chips in vaccines” कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया. हमें अमेरिका के रक्षा विभाग की ओर से कोविड वैक्सीन के इंजेक्टर बनाने के लिए, ApiJet को कॉन्ट्रैक्ट देने के फैसले से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट मिली. ApiJet पहले से भरी हुई सिरिंज बनाने वाली कंपनी है.
CBN news को दिए एक इंटरव्यू में, कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन जे वॉकर, इंजेक्टर में ऑप्शनल रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) चिप डालने से जुड़े उद्देश्य के बारे में बताते हैं.
वॉकर कहते हैं, ''ये इसलिए बनाया गया, ताकि कोई जाली काम न हो. इसे इसलिए डिजायन किया गया है, ताकि हम जान सकें कि सही डोज की समयसीमा खत्म तो नहीं हुई है. इससे पब्लिक हेल्थ ऑफिशियल्स को ये जानने में मदद मिलती है कि कब बीमारी का प्रकोप ज्यादा है. साथ ही, ये जानने में भी मदद मिलती है कि क्या हमने उन इलाकों में पर्याप्त लोगों को वैक्सीन दे दी है.''
वॉकर ने इस टेक्नॉलजी की तुलना बार कोड से की और आश्वस्त किया था कि ये लोगों की किसी भी व्यक्तिगत जानकारी को न तो लेगा और न ही उसे रजिस्टर करेगा.
उन्होंने आगे कहा था ''माइक्रोचिप पूरी तरह से वैकल्पिक है. अमेरिकी सरकार ने अभी तक ये तय नहीं किया कि वो इसका इस्तेमाल करेंगे या नहीं.''
दूसरा वीडियो अमेरिका के विस्कॉन्सिन का है. जहां एक वेंडिंग मशीन कंपनी ने कंप्यूटर में लॉग इन करने, स्नैक्स खरीदने और ऑफिस सेवाओं का इस्तेमाल करने के लिए, अपने कर्मचारियों के हाथों में एक माइक्रोचिप लगाने की पेशकश की थी. ये वीडियो NBC News पर 25 जुलाई 2017 को पब्लिश हुई लंबी न्यूज रिपोर्ट से लिया गया है यानी कोरोनावायरस महामारी शुरू होने से बहुत पहले.
इसके अलावा, ऐसे दावे कि Microsoft के को-फाउंडर बिल गेट्स COVID-19 वैक्सीन के माध्यम से चिप लगाने की कोशिश कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर तब से शेयर हो रहे हैं, जब से उन्होंने और उनकी पत्नी मेलिंडा गेट्स ने कोरोनावायरस वैक्सीन से जुड़ी रिसर्च और ट्रीटमेंट के प्रयासों के लिए 100 मिलियन डॉलर का दान दिया है.
तीसरा वायरल वीडियो काफी अच्छे से एडिट कर बनाया गया है. जिसमें 2013 से बिल गेट्स के इंटरव्यू की फुटेज शामिल हैं. उन्होंने डिजिटल भविष्य और वित्तीय समावेश के बारे में एक स्पीच दी थी. इस स्पीच को इस तरह से एडिट किया गया कि बिल गेट्स कुछ ऐसा कहते दिख रहे हैं, ''इनोवेशन वैक्सीन की तरह है, हमें एक ऐसे मापने वाले सिस्टम की जरूरत है जिससे वैक्सीन को ट्रैक किया जा सके.'' इस वायरल वीडियो में कई और भी एडिट किए हुए हिस्से और इंटरव्यू शामिल किए गए हैं, ताकि झूठा नैरेटिव सेट किया जा सके.
(ये स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधिरित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)
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