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कोरोना और वैक्सीन पर फेक न्यूज फैलाने वालों पर एक्शन क्यों नहीं?

ऑक्सीजन की कमी पर SOS से सरकारों को ऐतराज है कि पैनिक होता है. तो फिर फेक न्यूज पैडलर्स पर ऐक्शन क्यों नहीं होता?

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

मरकज, महाकुंभ से भी बड़े कोरोना सुपर स्प्रेडर इवेंट हो रहे.... रोज!

मरकज इनके सामने कुछ नहीं. ये लोग महाकुंभ से भी बड़ा जमावड़ा लगाते हैं और कोरोना फैलाते हैं. आज हम आपको कोरोना के कुछ सुपर स्प्रेडर से मिलाते हैं.

नींबू, फिटकरी, मास्क, विश्वरूप, रामदेव, गिरिजेश..

दीपक सारस्वत...

फेसबुक पर साढ़े तीन लाख से ज्यादा फॉलोअर्स. 30 अप्रैल को इन्होंने एक फेसबुक लाइव में बताया कि मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल गिरता है. इस झूठ को फेसबुक पर 80 लाख बार देखा जा चुका है. अगर इनमें से कुछ लोग भी मास्क पहनना बंद करते हैं तो सोचिए ये वीडियो कितना जानलेवा है? कोरोना से कराह रहे देश में ऐसे लोगों पर एक्शन होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए?

डॉ. विस्वरूप रॉय चौधरी...

2020 से ही ये कथित डॉक्टर कोरोना के अस्तित्व से इंकार कर रहे हैं. झूठा दावा कर चुके हैं कि वैक्सीन लगवाने से संतानहीनता की समस्याएं हो सकती हैं. फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब से इनके अकाउंट बैन होने के बाद भी इनको झूठ फैलाने से रोका नहीं जा सका. आज भी किसी न किसी यूट्यूब चैनल पर अवतरित होकर ज्ञान देने लगते हैं.

Truth Radar...

एक यूट्यूब चैनल जिसके सिर्फ नाम में ही ट्रुथ है. ये चैनल लगातार कोरोना वायरस को नकार रहा है और वैक्सीन को गैरजरूरी बता रहा है. लीगल कार्रवाई से बचने के लिए वायरस और वैक्सीन का सीधा नाम नहीं लेता है..कोड वर्ड में बात होती है.

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सोशल मीडिया पर कोरोना और वैक्सीन को लेकर फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों की लिस्ट बहुत लंबी है. जैसे डॉ. तरुण कोठारी, डॉ. बीके तुमाने, विकास जगदले और गिरिजेश वशिष्ठ जैसे लोग

ये तमाम लोग बिना किसी आधार के जो मन में आ रहा है, बोल रहे हैं. इनमें से ज्यादातर का पर्दाफाश वेबकूफ की टीम ने किया है. कुछ दावे ऐसे हैं जो पहली नजर में ही झूठे लगते हैं. सवाल ये है कि सरकार इनपर एक्शन क्यों नहीं लेती. गिरफ्तार क्यों नहीं करती?

फेक न्यूज पेडलर्स की लिस्ट में सत्ता में बैठे नेता भी हैं. कुछ दिन पहले बलिया से विधायक और बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह ने कोरोना से बचने के लिए गोमूत्र पीने की सलाह दी थी.

असम बीजेपी के नेता सुमन हरिप्रिया ने विधानसभा में कहा कि गौमूत्र और गोबर से कोरोना ठीक कर सकते हैं.

अप्रैल में बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने कह दिया कि असम कोरोना फ्री है, मास्क की जरूरत नहीं. मई में असम में कोरोना केस बेतहाशा बढ़े तो क्यों न हिमंता को भी जिम्मेवार माना जाए?

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हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी तो महामारी पर काबू पाने के लिए गोमूत्र पार्टी कर चुके हैं.

गुजरात में श्रीस्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्यालय प्रतिष्ठानम में लोग कोरोना से बचने के लिए गोबर और गोमूत्र का लेप लगाने के लिए आते हैं. कितना खतरा है सोचिए क्योंकि लोग एक जगह जमा होते हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जेए जयालाल चेतावनी देते हैं कि गोबर-गोमूत्र से इम्यूनिटी बढ़ती है, इसके वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं, लेकिन इनसे नुकसान जरूर हो सकता है.

लेकिन हमारा सवाल है इन झोलाछाप उपायों को करके कोई शख्स खुद को कोरोना प्रूफ मान ले तो क्या होगा? वो घर से निकल सकता है. बिना सावधानी के घूम सकता है. खुद संक्रमित हो सकता है. दूसरों की जान जोखिम में डाल सकता है. जब रोज लाखों नए केस आ रहे हैं और हमारा हेल्थ सिस्टम पस्त हो चुका है तो फिर कोरोना केस बढ़ाने वाला कोई भी काम रुकना चाहिए कि नहीं रुकना चाहिए? ऐसे तमाम फेक न्यूज को रोकना चाहिए कि नहीं रोकना चाहिए? इन्हें गिरफ्तार करना चाहिए कि नहीं गिरफ्तार करना चाहिए.

ऑक्सीजन, बेड की कमी पर SOS से सरकारों को ऐतराज है कि पैनिक होता है. तो कोरोना पर फेक न्यूज फैलाने वालों को गिरफ्तार क्यों नहीं करती? गिरफ्तार करेगी भी तो कैसे, जब हमारे देश के स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में रामदेव झूठ बोलते हैं कि कोरोनिल कोरोना की दवा है.

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