सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में एक शख्स ये दावा कर रहा है कि मास्क लगाना नुकसानदायक है. 12 मिनट के इस वीडियो में एक शख्स ये कहता दिख रहा है कि मास्क लगाने की वजह से लोग कम ऑक्सीजन इन्हेल कर पा रहे हैं, जिस वजह से उनकी मौत हो रही है. वीडियो में ये भी दावा किया गया है कि मास्क वायरस रोकने में प्रभावी नहीं है, क्योंकि वायरस के पार्टिकल इतने छोटे होते हैं कि मास्क कि अंदर भी घुस सकते हैं.
ये दावे झूठे हैं. अमेरिकी रिसर्च जर्नल JAMA में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एक स्टडी में ये साबित हो चुका है कि मास्क लगाने से ऑक्सीजन लेवल नहीं गिरता. वेबकूफ से बातचीत में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य ने भी वायरल वीडियो में किए गए सभी दावों को फेक बताया.
दावा
वीडियो के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा मैसेज है - मास्क पर खुलासा.. पूरा सुनोगे तो खुद जान जाओगे.. l मास्क के दुरूपयोग से ही अस्पतालों में ऑक्सीजन लगवा रहें हैँ लोग. सच खुद जानिये, और निष्पक्ष फैसला कीजिये..
दीपक सारस्वत नाम के अकाउंट से 30 अप्रैल, 2021 को किए गए फेसबुक लाइव में ये दावा किया गया. इसके बाद इसी फेसबुक लाइव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. दीपक सारस्वत के इस फेसबुक लाइव को रिपोर्ट लिखे जाने तक 8 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने वायरल वीडियो में किए जा रहे दावों की एक-एक कर पड़ताल की.
8 घंटे मास्क लगाने से हम कम ऑक्सीजन ले पाते हैं, कुछ समय बाद ऑक्सीजन की कमी होती है
इस दावे का सच जानने के लिए हमने मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ी रिसर्च रिपोर्ट्स सर्च करनी शुरू कीं. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के रिसर्च जर्नल JAMA में छपी एक रिपोर्ट हमें मिली. वृद्ध लोगों पर की गई इस स्टडी में सामने आया कि मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल में गिरावट होने का दावा झूठा है. पब्लिक प्लेस में मास्क पहनना असुरक्षित नहीं है.
हम (हेल्थ वर्कर्स) N95 मास्क पूरा दिन पहनते हैं, ऑक्सीजन लेवल गिरने जैसी दिक्कत अब तक नहीं आई. ये बात सच है कि शुरुआत में शरीर को आदत नहीं होती, जो धीरे-धीरे अपने आप हो जाती है.डॉ. विकास मौर्य, पल्मोनोलॉजिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल
मास्क पहनने से सांस लेने में तकलीफ होना या ऑक्सीजन लेवल गिरने जैसे भ्रामक दावे पहले भी किए जा चुके हैं. क्विंट ने अगस्त 2020 में ऐसे ही दावे की पड़ताल की थी और ये दावा फेक निकला था. लंग केयर फाउंडेशन के फाउंडर ट्रस्टी डॉ. अरविंद कुमार के मुताबिक, सर्जिकल मास्क के ऊपर लगातार 8 घंटे एन95 या एन99 मास्क पहनने से शरीर में कार्बन डायक्साइड का स्तर 2-4% तक बढ़ता है. लेकिन ट्रिपल लेयर मास्क या सर्जिकल मास्क पहनने में ऐसा कोई खतरा नहीं है.
सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स को मास्क की एक एक्स्ट्रा लेयर पहननी होती है. N95 या N99 मास्क के साथ एक सर्जिकल मास्क भी पहनना होता है. ये दो मास्क 8 घंटे लगातार पहने रहने से शरीर में कार्बन डायक्साइड का लेवल 2-4% बढ़ जाता है. लेकिन, आम लोग अगर ट्रिपल लेयर मास्क या सर्जिकल मास्क पहनते हैं तो ऑक्सीजन लेवल गिरने का कोई खतरा नहीं है. .डॉ. अरविंद कुमार, फाउंडर ट्रस्टी, लंग्स केयर फाउंडेशन
वायरस इतना छोटा होता है कि मास्क के छिद्रों में से भी घुस जाता है, मास्क सिर्फ डस्ट को रोकता है
रिसर्च जर्नल Lancet में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी में वो वर्ग कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन के संक्रमण से ज्यादा सुरक्षित पाया गया, जिसने मास्क पहना था. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये दावा भी झूठा है कि वायरस मास्क के एयरोसोल्स के अंदर से शरीर में घुस जाता है, इसलिए मास्क पहनने का कोई मतलब नहीं.
डॉ. विकास मौर्य इस दावे पर कहते हैं कि,
एन-95 मास्क 95% तक सुरक्षा देता है. वहीं जो हेल्थ वर्कर कोरोना संक्रमित मरीज के पास जाते हैं, वो एक सर्जिकल मास्क और N95 मास्क दोनों पहनते हैं. ये दोनों मास्क लगाने से वायरस से 100% सुरक्षा मिलती है . आम जनता के लिए सर्जिकल और N95 मास्क साथ पहनना अनिवार्य नहीं है. सामान्य ट्रिपल लेयर्ड मास्क ही पर्याप्त सुरक्षा देता है.
कुछ समय पहले वकील प्रशांत भूषण ने भी एक ट्वीट कर ये दावा किया था कि मास्क कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रभावी नहीं है. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा फेक साबित हुआ था.
द क्विंट से बातचीत में डॉ, अरविंद कुमार ने भी समझाया था कि कैसे मास्क शरीर को संक्रमण से बचाता है.
अगर मैं संक्रमित हूं और N95 मास्क पहनकर उस व्यक्ति के पास बैठा हूं जो संक्रमित नहीं है. तो 95% एयरोसोल तो मास्क की वजह से ही रुक जाएंगे. बाकी के 5% की वेलोसिटी भी कम हो जाएगी. बचे हुए एयरोसोल भी 1 मीटर दूर बैठे शख्स तक नहीं पहुंच पाएंगे. और अगर सामने वाले शख्स ने भी मास्क पहना है तो ये और भी ज्यादा सुरक्षित है.डॉ. अरविंद कुमार, फाउंडर ट्रस्टी, लंग्स केयर फाउंडेशन
मास्क पहनने से हाइपोकैप्निया होता है ?
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य इस दावे को फेक बताते हुए कहते हैं,
किसी व्यक्ति में अचानक हाइपोकैप्निया डायग्नोस नहीं होता. ये एक सिम्पटोमैटिक बीमारी है. किसी भी इंसान में बिना लक्षण दिखे के ये कहना मुश्किल है कि उसे हाइपोकैपिया है. चक्कर आना हाइपोकैपिया का लक्षण है.
अमेरिकी रिसर्च संस्था NCBI की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, हाइपोकैपिया में शरीर में कार्बन डायऑक्साइड बनना काफी कम हो जाती है. ऐसी कोई रिसर्च रिपोर्ट हमें नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि मास्क पहनने से हाइपोकैपिया की समस्या आ सकती है.
WHO ने सभी अस्पतालों से रेमडेसिविर इंजेक्शन हटाने का आदेश दिया
WHO ने सभी अस्पतालों से रेमडेसिवर इंजेक्शन हटाए जाने का आदेश नहीं दिया है. हां, नवंबर 2020 में WHO ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के संबंध में बयान जारी कर ये जरूर कहा है कि अब तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने नहीं आया है, जिससे पुष्टि होती हो कि रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है. WHO ने सिर्फ कोरोना संक्रमण के गंभीर मामलों में रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाने की सलाह दी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDS) और भारत की शीर्ष रिसर्च संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की तरफ से संक्रमण रोकने के लिए मास्क पहनने को अनिवार्य बताया जा चुका है.
मतलब साफ है - वायरल वीडियो में किया जा रहा ये दावा झूठा है कि मास्क पहनने से ऑक्सीजन लेवल गिरता है और मास्क कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रभावी नहीं है. वायरल वीडियो में किए गए अन्य सभी दावे भी वेबकूफ की पड़ताल में भ्रामक साबित हुए.
(ये स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधिरित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)
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