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वेबकूफ: अक्टूबर में वायरल हुई फेक न्यूज को पकड़ पाए आप?  

वो फर्जी खबरें जिनका भंडाफोड़ टीम ‘वेबकूफ’ ने अक्टूबर में किया

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

डॉक्टर ‘वेबकूफ’ फिर से हाजिर हैं उन फर्जी खबरों को लेकर जिनका भंडाफोड़ टीम ‘वेबकूफ’ ने अक्टूबर में किया.अब देखिए ना, भले ही ये त्योहारों का मौसम है, लेकिन फर्जी खबरों की भरमार ने हमें महसूस करा दिया कि मौसम चाहे कोई भी हो, लेकिन फर्जी खबरें कभी भी छुट्टियों पर नहीं होतीं.

लिंचिंग और प्लॉगिंग

पीएम नरेंद्र मोदी के महाबलीपुरम दौरे को खूब ग्लोबल अटेंशन मिला. वो था ही इतना अहम लेकिन कुछ ऐसी चीजों को भी खूब अटेंशन दिया गया, जो इसके लायक था ही नहीं.

फेक न्यूज फैक्ट्री ने मोदी जी की प्लॉगिंग यानी जॉगिंग के दौरान कूड़ा उठाने के कॉम्बिनेशन को निशाने पर लिया. कैमरा क्रू की एक तस्वीर ट्विटर पर शेयर की गई, इस दावे के साथ कि ये उस 25 मेंबर वाले क्रू का हिस्सा है, जिसने मोदीजी की भारत को ‘स्वच्छ’ करने वाली मुहिम को शूट किया, लेकिन ये फोटो दरअसल किसी और कैमरा क्रू की थी, जो एक ऑस्ट्रेलियाई बीच पर शूटिंग कर रहा था.

इसके बाद तो ऐसे फोटोज की बाढ़ सी आ गई. ऐसी एक के बाद एक कई तस्वीरें उसी दावे के साथ शेयर होती रहीं! क्या करें ट्विटर अब भी ऐसे फेक न्यूज का अथाह सागर बना हुआ है और बिना वेरिफाई किए, आंख बंद कर कुछ भी फॉरवर्ड करने वाले तो बाज ही नहीं आते!
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इस बीच, 18 अक्टूबर को, नेटवर्क 18 के राहुल जोशी के साथ एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात से इनकार किया कि देश में बीजेपी शासन के दौरान लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं.

”बीजेपी शासन में तथाकथित मॉब-लिचिंग की घटनाएं नहीं बढ़ी हैं. इस बारे में एक खास तरह का प्रोपगंडा फैलाया जा रहा है.”
अमित शाह

क्या इस दावे का कोई आधार है? लोकसभा में भारत में मॉब लिंचिंग पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी कि 2014 से 2017 के बीच 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भीड़ द्वारा की गई हिंसा की 40 घटनाओं में 45 लोगों को लिंच कर मौत के घाट उतार दिया गया.

मीडिया के खतरे और फर्जी तस्वीरें

4 अक्टूबर को न्यूज एजेंसी PTI ने रिपोर्ट किया कि इंडियन एयरफोर्स ने अपनी एनुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘बालाकोट स्ट्राइक’ की एक वीडियो क्लिप दिखाई. ये असल में इंडियन एयरफोर्स का प्रमोशनल वीडियो था, जिसे प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले दिखाया गया था. लेकिन रिपब्लिक टीवी, जी, फर्स्टपोस्ट और टाइम्स नाउ समेत कई मीडिया आउटलेट्स ने ’the untold story of Balakot airstrikes’’”बालाकोट हवाई हमले की अनकही कहानी’ बताकर इसे चलाया. ये इस महीने की मीडिया स्ट्राइक है!

असली खबर के साथ नकली तस्वीरें दिखाकर नैरेटिव बदलने की कोशिश अक्टूबर महीने का ‘फेक न्यूज ट्रेंड’ रहा. जैसे कि रियाद का ये वीडियो जिसमें एक आदमी एक बच्चे की पिटाई कर रहा है. उसे ये कहकर फैलाया गया कि डीपीएस का एक टीचर एक स्टूडेंट की बेरहमी से पिटाई कर रहा है. या फिर लॉकर खाली करने वाले PMC डिपॉजिटर्स का वायरल वीडियो जिसे PMC प्रमोटर्स का वीडियो बताकर शेयर किया गया.

मोरल ऑफ द स्टोरी ये है कि सोशल मीडिया पर शेयर होने वाली सभी खबरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता. खासकर अगर ये फोटो या किसी वीडियो के साथ शेयर हो तब!

और हां, रणबीर और आलिया की अगले साल शादी के बंधन में बंधने वाला नकली इन्विटेशन भी इस लिस्ट में शामिल है.

फेक न्यूज पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो द क्विंट और क्विंट हिंदी की वेबसाइट के वेबकूफ सेक्शन पर आइए. मिलते हैं अगले महीने.

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