सोशल मीडिया पर करीब 3 मिनट का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में आगजनी, पत्थर फेंकते लोग और तबाही दिख रही है. इसके अलावा, कुछ लोग सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) के बारे में बोलते नजर आ रहे हैं. वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो त्रिपुरा (Tripura) का है.
वीडियो शेयर करते हुए यूजर्स ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर रिपोर्टिंग करने के लिए BBC की तारीफ की.
हालांकि हमने पाया कि ये वीडियो 2020 की एक BBC रिपोर्ट है. वीडियो के आखिर में, रिपोर्टर को दिल्ली और दिल्ली पुलिस के बारे में बोलते हुए सुना जा सकता है. इस वीडियो में दिख रही हिंसा की घटनाओं से संबंधित क्विंट के पास भी अपनी रिपोर्ट और फुटेज हैं.
दावा
वीडियो शेयर कर इंग्लिश और हिंदी दोनों में दावे किए जा रहे हैं. दावों के मुताबिक, वीडियो त्रिपुरा में हुई हिंसा का है. इसके अलावा, दावे में ये भी लिखा जा रहा है कि BBC ने इन घटनाओं पर रिपोर्टिंग की, जबकि किसी और भारतीय मीडिया ने ऐसा नहीं किया.

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(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)
ये वीडियो फेसबुक पर कई लोगों ने शेयर किया है, जहां वीडियो का बड़ा वर्जन देखा जा सकता है.

वीडियो को फेसबुक पर कई लोगों नेशेयर किया है
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)
पड़ताल में हमने क्या पाया
वीडियो में 1 मिनट 10वें सेकंड के आसपास पुलिसकर्मी एक शख्स पर हमला करते देखे जा सकते हैं. जिस शख्स पर हमला हुआ उसकी पहचान फैजान बताई जा रही है. इसके बाद, कुछ घायल पड़े लोगों को भारत का राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
वीडियो का ये हिस्सा जिसमें खून से लथपथ लोग जमीन पर पड़े हुए दिख रहे हैं, सामने आते ही ये विजुअल इंटरनेट पर वायरल हो गए थे. क्विंट ने इस क्लिप को लेकर कई रिपोर्ट्स भी छापी थीं.

साल 2020 में ये विजुअल वायरल हुए थे
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)
फेसबुक पर शेयर किए गए इस वायरल वीडियो के 2 मिनट 28वें सेकंड में, रिपोर्टर को इस बारे में कहते हुए सुना जा सकता है कि दिल्ली पुलिस की ओर से आरोपों के जवाब नहीं मिले हैं. इसके बाद रिपोर्टर दिल्ली के बारे में बात करना जारी रखती है.
वीडियो के आखिर में रिपोर्टर खुद को दिल्ली में BBC न्यूज की रिपोर्टर योगिता लिमाए बताती सुनी जा सकती हैं.
यहां, उन्होंने BBC की रिपोर्ट शेयर कर लिखा कि Amnesty International की रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस की भूमिका के बारे में जो कुछ बताया गया है, उसमें से बहुत कुछ BBC के पास है.
पूरे वीडियो में अलग-अलग नामों वाले साइनबोर्ड दिख रहे हैं. वीडियो की शुरुआत में 'Krishna Electrical' नाम की एक दुकान देखी जा सकती है. इसके बगल में 'Aggarwal Standard Sweets' नाम की भी दुकान दिख रही है.
हमने दुकानों के नाम देखे, तो हमें पूर्वोत्तर दिल्ली के भजनपुरा में स्थित एक 'Krishna Electrical' नाम की एक दुकान से जुड़ी जानकारी मिली.

दोनों फोटो में एक ही दुकान का नाम देखा जा सकता है
(सोर्स: फेसबुक/गूगल मैप्स/Altered by The Quint)
इसके बाद, हमें इस दुकान से 'Aggarwal Standard Sweets' के बीच की दूरी देखी. गूगल मैप्स के मुताबिक दोनों दुकानों के बीच की दूरी पैदल चलकर 1 मिनट में पूरी की जा सकती है.
इसके अलावा, वीडियो का एक हिस्सा 'खजूरी खास' में एक पुलिस चौकी के सामने फिल्माया गया, जो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में है.

रिपोर्टर को खजूरी खास पुलिस चौकी केसामने खड़े देखा जा सकता है
(सोर्स: ट्विटर/स्क्रीनशॉट)
क्या हुआ था दिल्ली में?
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी विधायक कपिल मिश्रा ने धमकी दी थी कि अगर दिल्ली पुलिस नाकाबंदी या प्रोटेस्टर्स को नहीं हटाती है, तो वो पुलिस की नहीं सुनेंगे. इसके बाद, दिल्ली के मौजपुर में सीएए विरोधी और सीएए समर्थकों के बीच पहली झड़प हुई थी.
कपिल मिश्रा के बयान को दंगे भड़काने की अहम वजहों में से एक माना गया.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने मुस्लिमों के खिलाफ बल प्रयोग किया और 23 वर्षीय फैजान को पीट-पीट कर मार डाला.
मतलब साफ है, सोशल मीडिया यूजर्स ने 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में भड़की हिंसा में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर BBC की रिपोर्ट को इस गलत दावे से शेयर किया है कि ये त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी रिपोर्ट है.
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