ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना की तीसरी लहर का जिक्र करते आर्टिकल में आपत्तिजनक शब्द नहीं

कोरोना की तीसरी लहर के असर पर जो आर्टिकल ‘हिंदुस्तान’ में छपा था, उसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सोशल मीडिया पर एक न्यूजपेपर की मॉर्फ्ड कटिंग शेयर की जा रही है, जिसमें अपमानजनक भाषा में Covid-19 की तीसरी लहर के असर के बारे में लिखा हुआ है.

हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि ओरिजिनल कटिंग हिंदी न्यूजपेपर 'हिंदुस्तान' के लखनऊ एडिशन की है. जिसमें 10 जून को पब्लिश हुई खबर की हेडलाइन को बदलकर अपमानजनक शब्द लिखा गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दावा

न्यूजपेपर की कटिंग की हेडलाइन में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल ये बताने के लिए किया गया है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर का असर कम होगा.

हेडलाइन में लिखा है: ‘राहत: कोरोना की तीसरी लहर **** बराबर आएगी’.

कोरोना की तीसरी लहर के असर पर जो आर्टिकल ‘हिंदुस्तान’ में छपा था, उसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

फेसबुक पर इस कटिंग को अलग-अलग दावों के साथ शेयर किया गया है. इनके आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं. वहीं ट्विटर पर शेयर की गए दावे के आर्काइव आपको यहां, यहां और यहां देखने को मिलेंगे.

पड़ताल में हमने क्या पाया

वायरल कटिंग में पब्लिकेशन का नाम हिंदुस्तान दिया हुआ है. इसलिए, हमने हिंदुस्तान की वेबसाइट पर जाकर उन आर्टिकल को ढूंढा जो वायरल कटिंग में दिख रहे कंटेंट से मेल खाते हों. हमें 9 जून को पब्लिश एक आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल में इस बारे में लिखा गया था कि क्या कोरोना की तीसरी लहर, दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक होगी.

कोरोना की तीसरी लहर के असर पर जो आर्टिकल ‘हिंदुस्तान’ में छपा था, उसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

ये आर्टिकल 9 जून को पब्लिश हुआ था

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/Live Hindustan/Altered by The Quint)

इसके बाद, हमने ऊपर बताई गई तारीख के आस-पास की तारीखों में न्यूजपेपर के ई-पेपर वर्जन देखे और अलग-अलग शहरों के एडिशन पढ़े. हमें 10 जून को इस न्यूजपेपर के लखनऊ एडिशन में पब्लिश एक आर्टिकल मिला.

हमने पाया कि ओरिजिनल हेडलाइन में लिखा गया था: ‘राहत: कोरोना की तीसरी लहर छोटी रहने के संकेत’.

कोरोना की तीसरी लहर के असर पर जो आर्टिकल ‘हिंदुस्तान’ में छपा था, उसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

ये आर्टिकल 10 जून को पब्लिश हुआ था

(फोटो: Live Hindustan/Altered by The Quint)

वायरल फोटो और ओरिजिनल फोटो की तुलना करने पर, हमने पाया कि दोनों में कई एलीमेंट्स एक जैसे हैं. हालांकि, हमने ध्यान दिया कि हेडलाइन में में इस्तेमाल किए गए शब्दों में काफी अंतर था.

दोनों फोटो में हेडलाइन के फॉन्ट में भी काफी फर्क था.

कोरोना की तीसरी लहर के असर पर जो आर्टिकल ‘हिंदुस्तान’ में छपा था, उसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

बाएं वायरल फोटो, दाएं ओरिजिनल फोटो

(फोटो: Altered by The Quint)

मतलब साफ है कि न्यूजपेपर की कटिंग की मॉर्फ्ड फोटो का इस्तेमाल करके, गलत दावा किया जा रहा है कि आउटलेट ने अपमानजनक भाषा में कोरोनावयरस की तीसरी लहर के असर से संबंधित खबर छापी है. वेबकूफ की पड़ताल में ये वायरल कटिंग एडिटेड निकली.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×