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9 बजे 9 मिनट के बाद ऐसी दिखी भारत की सैटेलाइट इमेज? फेक है फोटो

सर्कुलेट की जा रही इन तस्वीरों का सच जानिए

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रविवार, 5 अप्रैल को भारतीयों ने 9 मिनट के लिए रात 9 बजे लाइट्स को बंद करके दीयों, मोमबत्तियों और मोबाइल फ्लैश लाइट जलाकर कोरोनोवायरस के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के साथ एकजुटता से खड़े होने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का पालन किया.

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दावा

महाराष्ट्र बीजेपी के महासचिव अतुल भाटखलकर ने एक नक्शे की तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया कि यह रविवार की रात को दीया और मोमबत्तियाँ जलाने वालों की संख्या का एक सैटेलाइट इमेज है.

एक अन्य यूजर ने दूसरे नक्शे की एक तस्वीर शेयर की, जिसमें दावा किया गया कि ये 'भारत का सैटेलाइट व्यू ' है.

दावा सही या गलत?

ये दावे पूरी तरह से झूठे हैं. इनमें से एक इमेज साल 2003 की है,जबकि दूसरी इमेज साल 2016 की है.

इमेज 1

नासा ने 2015 में इस नक्शे से जुड़े एक और फर्जी दावे का खुलासा किया था. ये नक्शा दरअसल 2003 का है, जिसे नेशनल ओशेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) की वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

  असल में ये नक्शा “2003 में रात की रोशनी की एनुअल कम्पोजिट” को दर्शाता है. NOAA वेबसाइट में मानचित्र का कलर-कम्पोजिट वर्जन भी मौजूद है.

नासा की अर्थ ऑब्जरवेटरी ने कहा था, “ये इमेज अमेरिकी रक्षा मौसम विज्ञान उपग्रह कार्यक्रम (डीएमएसपी) पर आने वाले ऑपरेशनल लाइन्सकैन सिस्टम के आंकड़ों के आधार पर था, यह इमेज 2003 में एनओएए वैज्ञानिक क्रिस एलविज द्वारा समय के साथ जनसंख्या वृद्धि को उजागर करने के लिए बनाया गया एक कलर-कम्पोजिट है.“

इमेज 2

हमने गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया, जिससे हम 2017 में प्रकाशित इंडिया टुडे के एक आर्टिकल तक पहुंचे.

आर्टिकल में कहा गया है कि कैसे नासा ने साल 2016 और 2012 में देखे गए दो अलग-अलग विजुअल के साथ फोटो जारी किए थे.

साल 2017 में नासा ने “Lights of Human Activity Shine in NASA's Image of Earth at Night.” शीर्षक के साथ एक वीडियो जारी किया था.

आप कोरोनोवायरस पर हमारे सभी फैक्ट-चेक स्टोरी यहां पढ़ सकते हैं.

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