वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
पुलवामा हमले से लेकर CAA के खिलाफ ‘हल्ला-बोल’ तक और आम चुनाव से लेकर कश्मीर पर लगी बंदिशों तक. साल 2019 में फर्जी खबरों का कारोबार खूब चला. लेकिन खबरों के शोरशराबे के बीच जो फेक न्यूज का शिकार बनें उनकी टीस ना जाने कब दूर होगी? वे लोग बुरे हालातों का सामना कर जीने को मजबूर है.
जेएनयू की फीस में बढ़ोतरी को लेकर छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच पंकज मिश्रा को 43 साल का मोइनुद्दीन बताकर दुष्प्रचार किया गया. वो कहते हैं कि आज भी वो सिर ढंककर और चेहरा छिपाकर सफर करते हैं. उन्हें जेएनयू स्टूडेंट के तौर पर जानकर लोगों के बातचीत का अंदाज उग्र हो जाता है.
मुझे मोइनुद्दीन क्यों कहा गया. मुझे कुछ और भी कहा जा सकता था. मुझे क्रिश्चियन कहा जा सकता था. हिंदू में भी तो कई जातियां हैं, मुझे उनसे जोड़ा जा सकता था. मुस्लिम ही क्यों कहा गया? जेएनयू का मुद्दा शुरू हुआ. अब सीएए का मुद्दा आया है. हिंदू-मुस्लिम की राजनीति में फेक न्यूज का बहुत बड़ा एजेंडा है .पंकज मिश्रा, उम्र 30 साल, जेएनयू छात्र
ठीक इसी तरह जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो के साथ बदसलूकी करने वाले छात्रों के तौर पर गलत तरीके से शिल्पी का नाम उछाला गया.
आफरीन अब भी डर महसूस करती हैं. वो कहती हैं- सोशल मीडिया पर मुझे रेप, मारने की धमकी मिली. ऐसे कमेंट्स थे कि मैं पढ़ नहीं पा रही थी.
दबाव की वजह से मुझे अपना फेसबुक अकाउंट उसी रात डीएक्टिवेट करना पड़ा. पैरेंट्स को पता चला तो वो भी डर चुके थे. मुझे बाहर निकलने से मना किया गया था. एक महीने से ज्यादा समय तक मैं अपने घर में बंद रही, कैद रही, क्योंकि वो लोग मेरे लिए सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे थे. कोई नहीं चाहता था कि मैं उस समय घर से बाहर निकलूं. किसी भी परेशानी में मैं निकलती थी, तो कोई मेरे साथ जाता था. काफी समय तक मुंह पर स्कार्फ बांधकर मुझे निकलना पड़ा.शिल्पी आफरीन, छात्र, जादवपुर यूनिवर्सिटी
बेंगलुरु के पुलिसकर्मी मंजूनाथ की पत्नी आज भी दुख से उबर नहीं पाईं हैं. मंजूनाथ पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का इल्जाम लगा. मीडिया में खबरें चलाई गईं. जबकि मंजूनाथ फ्ल्कचुएटिंग बीपी से जूझ रहे थे. सितंबर में कार्डियक अरेस्ट की वजह से मृत्यु हो गई.
टीवी चैनलों को ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्हें फर्जी खबर नहीं दिखानी चाहिए. उन्हें मौके पर पहुंचना चाहिए, ये पुष्टि करनी चाहिए कि क्या सही है और क्या नहीं और फिर सही जानकारी प्रसारित की जानी चाहिए. मेरे पति ऐसी कवरेज देखकर काफी दुखी थे. (दुर्घटना के अगले दिन) मैं अपने पति को पिछले दिन की दुर्घटना का सही कवरेज दिखाना चाहती थी ताकि वो बेहतर महसूस कर सकें कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है क्योंकि अगली सुबह भी वो काफी सुस्त और उदास थे लेकिन वो कुछ भी देखने में सक्षम नहीं थे.के शैलश्री, मंजूनाथ की पत्नी
कोलकाता के एनआरएस हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर परिबाहा मुखर्जी को सोशल मीडिया पर फैलाए गए फेक पोस्ट में मृत घोषित कर दिया गया था. उन्हें कई न्यूज चैनल से कॉल आए. वे लोग यही कंफर्म करना चाहते थे कि डॉ. परिबाहा जीवित हैं या नहीं. परिबाहा इससे काफी परेशान हुए.
सिर्फ इतना ही नहीं 2019 में बच्चा चोरी की अफवाहों ने भी खूब जोर पकड़ा और कई लोग इसके शिकार बने. बिहार के फ्रीलांसर लियाकत अली इसका शिकार बने. वो बताते हैं कि उनके घरवाले सदमे में हैं. लेयाकत से भीड़ बर्दाश्त नहीं होती. यहां तक कि छोटे बच्चे, स्कूल से निकलते बच्चों की भीड़ से भी उन्हें दहशत हो गई है. अली ने एक एफआईआर दर्ज कराई और कानूनी कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि बगैर पुष्टि के फैलाई गई खबरों ने उन्हें असल नुकसान पहुंचाया.
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