सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि किसान आंदोलन में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए. वीडियो असल में मई 2016 का है, जब कुछ उग्रवादी सिख समूहों ने हिंदू दक्षिणपंथी संगठन शिवसेना को चुनौती देने के लिए ललकार रैली निकाली थी.
दावा
वीडियो के साथ शेयर किया जा रहा कैप्शन है - “नाम किसान आंदोलन,और हाथों में हथियार और खालिस्तान के नारे |“
पड़ताल में हमने क्या पाया
वीडियो के की-फ्रेम को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें एक यूट्यूब वीडियो मिला. जिसका टाइटल है - Rajkarga khalsa khalistan zindabad ( shiv Sena not come to Amritsar).
यूट्यूब पर दिए डिस्क्रिप्शन से क्लू लेकर हमने इससे जुड़े कीवर्ड सर्च किए. अब हमें 25 मई, 2016 को अपलोड किया गया ओरिजनल वीडियो मिला. ये वीडियो खालसा गटका ग्रुप के यूट्यूब चैनल पर लाइब स्ट्रीमिंग के जरिए अपलोड किया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की 25 मई, 2016 की एक रिपोर्ट भी हमें मिली. जिसके मुताबिक तीन दिन पहले शिवसेना ने ललकार रैली का आव्हान किया था. इसके जवाब में कुछ सिख अतिवादी शिव सेना को चुनौती देने के लिए नेशनल हाईवे -1 पर प्रस्तावित ब्यास ब्रिज पर इकट्ठे हुए थे . रैली का आयोजन ध्यान सिंह मंड ने किया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी ये जिक्र है कि सिख अतिवादी संगठनों ने पुलिस की मौजूदगी में भड़काऊ नारे लगाए थे. पुलिस ने टकराव को रोकने के लिए शिवसेना और सिख नेताओं को नजरबंद भी कर दिया था. हालांकि कुछ सिख युवा किसी तरह प्रदर्शन स्थल पर नारेबाजी के लिए पहुंचने में कामयाब रहे.
द ट्रिब्यून और पंजाब के क्षेत्रीय चैनल AOne Punjabi ने भी इस घटना को रिपोर्ट किया था. मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर चार साल पुराना वीडियो किसान आंदोलन से जोड़कर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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