सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है, जिसमें कई लोग लड़ते दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड के जसपुर में दरगाह जाने वाले कुछ 'धर्मनिरपेक्ष' लोगों की मुस्लिमों के एक समूह ने पिटाई की.
मामले की जांच करने वाले अधिकारी और लड़ाई में शामिल दोनों पक्षों ने वेबकूफ से हुई बातचीत में बताया कि लड़ाई में शामिल लोग एक ही समुदाय के थे. वीडियो के साथ सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा झूठा है.
दावा
कई मौकों पर भ्रामक जानकारी फैलाने वाले न्यूज चैनल, Sudarshan News ने इस वीडियो को शेयर कर दावा किया था कि 'धर्मनिरपेक्ष लोगों' को मजार के खादिमों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा.
इस पोस्ट को इस दावे से शेयर किया गया है, ‘’ उत्तराखंड में जसपुर दरगाह पर चादर चढाने गए धर्मनिरपेक्षों को मज़ार के खादिमों ने दौड़ा - दौड़ा कर मारा. कईयो ने छिप कर बचाये प्राण कुछ समय पहले वामपन्थियों ने पवित्र डासना मन्दिर की घटना पर मचाया था कोहराम.”
इस गलत दावे को सुदर्शन न्यूज चैनल के एडिडर इन चीफ सुरेश चौहान, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल उमराव के साथ-साथ और भी कई लोगों ने शेयर किया है. (इन ट्वीट का आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.)
फेसबुक पर कई यूजर्स ने इसी दावे को कॉपी-पेस्ट कर शेयर किया है. (इन पोस्ट का आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं)
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमें ETV Bharat की 29 मार्च को पब्लिश इस मामले से संबंधित एक न्यूज रिपोर्ट मिली. इन रिपोर्ट में बताया गया था कि जसपुर के ऊधम सिंह नगर में स्थित मजार के केयरटेकर और वहां आए श्रद्धालुओं के बीच विवाद हो गया और मारपीट हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ श्रद्धालु शब-ए-बारात के मौके पर दरगाह आए थे जहां मामूली सी बात में विवाद होने के बाद मारपीट हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक इस विवाद में 3 लोगों को चोट पहुंची थीं. जिनमें से एक को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा.
हमें ऊधम सिंह नगर पुलिस के फेसबुक पेज पर, ऊधम सिंह नगर पुलिस की ओर से जारी स्टेटमेंट भी मिला. जिसमें सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को गलत बताया गया है. इसमें लिखा है कि इस मामले में शामिल दोनों पक्ष एक ही समुदाय के हैं.
‘’सोशल मीडिया पर गलत दावा किया जा रहा है कि चादर चढ़ाने को लेकर हिन्दुओं को दौड़ा - दौड़ा कर पीटा गया है. ये खबर भ्रामक और झूठी है, जबकि सत्यता यह है कि दोनों पक्ष मुस्लिम समुदाय के लोग थे.’’पुलिस स्टेटमेंट
पुलिस स्टेटमेंट के मुताबिक, विवाद चंदे और निर्माण की बात पर हुआ. दोनों पक्षों के लोगों का नाम अमजद अली और अब्दुल हमीद है. IPC की उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
विवाद में शामिल दोनों पक्षों का क्या कहना है?
हमने इस मामले में शामिल दोनों पक्षों से भी संपर्क किया और दोनों पक्षों ने किसी भी तरह के सांप्रदायिक एंगल से इनकार कर दिया.
पहले हमने दरगाह गए श्रद्धालु और इस विवाद में शामिल अमजद से बात की. अमजद के मुताबिक, विवाद तब शुरू हुआ जब दरगाह के केयरटेकर ने उससे ज्यादा रुपये दान करने के लिए बोला. अमजद ने आरोप लगाया कि जब उसने उस पैसे के बारे में बोला जो वो पहले ही दे चुका था, तो विवाद शुरू हो गया.
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रूप देकर किए जा रहे दावे गलत हैं. हम सभी एक ही समुदाय के हैं और प्रार्थना करने के लिए दरगाह गए थे. विवाद तब शुरू हुआ जब हमने 10 रुपये दान किए लेकिन केयरटेकर ने हमसे और पैसे दान करने के लिए बोला.’’अमजद अली
उसने आगे बताया कि उसका भाई मोहम्मद वसीम (सोनू) को गंभीर चोटें लगी थीं और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
हमने केयरटेकर और शिकायकर्ताओं में से एक हमीद के बेटे सादिक अली से भी संपर्क किया. सादिक के मुताबिक, ये विवाद चंदे या निर्माण को लेकर नहीं हुआ है, बल्कि इस घटना के पीछे की वजह दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है. हालांकि, उसने भी सांप्रदायिक रूप देकर शेयर किए जा रहे दावे को गलत बताया.
मतलब साफ है कि दरगाह में हुए विवाद को सांप्रदायिक रूप देकर गलत दावा सोशल मीडिया पर किया जा रहा है.
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