ADVERTISEMENTREMOVE AD

फ्रिज, एसी साफ करने से खत्म नहीं होगा ब्लैक फंगस का खतरा

फ्रिज में जमी ब्लैक फंगस और Mucormycosis में अंतर है. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर ये डेवलप होता है  

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा


वीडियो एडिटर -  प्रशांत चौहान

एक तरफ कोरोना से रीकवर हो रहे लोगों के ऊपर ब्लैक फंगस नाम का नया खतरा मंडरा रहा है. तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर बैठे कुछ स्वघोषित डॉक्टर ये दावा कर रहे हैं कि घर की फ्रिज और एसी साफ करने के बाद ब्लैक फंगस का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा.

एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है कि फ्रिज के दरवाजे की रबर पर जमा होने वाली काली फफूंद ही वह mucormycosis है, जो लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. मैसेज में आगे ये भी कहा गया है कि ये फफूंद घर के कूलर, एसी और खाने पीने की चीजों में भी होती है. अगर घर के सामान से फफूंद साफ कर ली जाए और खाने का सामान खुला न छोड़ा जाए तो mucormycosis आपको छू भी नहीं सकता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या ये सच है? घर के सामान पर जमा होने वाली फफूंद ही लोगों की जान ले रही है? नहीं.

ये सच है कि mucormycosis से बचने के लिए बाहरी फंगस और बैक्टीरिया को शरीर में घुसने से रोकना जरूरी है. लेकिन फ्रिज की गंदगी को साफ कर ब्लैक फंगस का खतरा खत्म नहीं होगा. क्योंकि mucormycosis की चपेट में आने की सबसे बड़ी वजह है शरीर में इम्युनिटी की भारी कमी, न की फ्रिज की फंगस.

ये सच है कि mucormycosis से बचने के लिए बाहरी फंगस और बैक्टीरिया को शरीर में घुसने से रोकना जरूरी है. लेकिन फ्रिज की गंदगी को साफ कर ब्लैक फंगस का खतरा खत्म नहीं होगा. क्योंकि mucormycosis की चपेट में आने की सबसे बड़ी वजह है शरीर में इम्युनिटी की भारी कमी, न की फ्रिज की फंगस.

वायरल मैसेज में किए गए दावे कितने सही हैं, ये जानने के लिए हमने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की वह एडवाइजरी चेक की, जो कोरोना की दूसरी लहर के बीच फैल रहे mucormycosis यानी ब्लैक फंगस से बचाव के लिए जारी की गई है.

इस एडवाइजरी में ब्लैक फंगस से बचाव के लिए धूल मिट्टी के संपर्क में न आने और अपना ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर लगातार साफ करते रहने जैसी सलाह दी गई है. साथ ही ये भी कहा गया है कि लक्षण दिखते ही फोरन डॉक्टर की सलाह लें. लेकिन एडवाइजरी में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि फ्रिज और खाने की चीजों पर जमा होने वाली काली फफूंद ही mucormycosis है.

अमेरिकी रिसर्च संस्था सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल (CDC) की वेबसाइट पर भी mucormycosis से जुड़ी जानकारी है, लेकिन ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है जैसा वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है.

वायरल मैसेज में किए गए दावे कितने सही हैं, ये जानने के लिए हमने इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट बेला शर्मा से संपर्क किया. क्विंट से बातचीत में उन्होंने बताया, बाहरी फंगस के अलावा कई सारे फैक्टर मिलकर शरीर में mucoromycosis बनाते हैं. ये अंदर जाकर Mucoromycosis का रूप तब लेते हैं जब शरीर कमजोर हो.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
हमारे वातावरण में फंगस मौजूद रहती है. खाने-पीने की चीज़ों की तरफ फंगस और बैक्टीरिया आकर्षित होते है. लेकिन, शरीर मे Mucormycosis डेवलप होने के पीछे फंगस के अलावा कई फैक्टर शामिल होते हैं. जैसे इम्युनिटी कम होना, शुगर लेवल हाई होना. ऐसे मामले भी आए हैं जहां स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक दवाइयों के हाई डोज़ से Mucormycosis हो गया. खाने-पीने की चीजों और हमारे आसपास फफूंद होना हानिकारक है. लेकिन Mucormycosis के पीछे कारण सिर्फ फंगस नहीं है.
डॉ. बेला शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट

क्या खाने-पीने की चीजों पर जमा होने वाली काली फफूंद ही mucormycosis है?

इस सवाल का जवाब देते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य बताते हैं कि खाने की चीजों पर या फिर हमारे सामान्य वातावरण में जो फफूंद होती है वो Mucormycosis नहीं है. ये बात सही है कि जहां साफ-सफाई नहीं होती वहीं फफूंद जमती है. लेकिन ये Mucormycosis से बिल्कुल अलग है. इसमें कोई शक नहीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना के बीच बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर डॉ. मैथ्यू वर्गीज क्विंट से हुई बातचीत में बता चुके हैं कि अंधाधुंध एंटीबायोटिक का सेवन और स्टेरॉयड के डोज से इसका खतरा बढ़ा है. क्योंकि एंटीबायोटिक से शरीर में मौजूद नैचुरल बैक्टीरिया खत्म हो जाता है और फंगस को बढ़ने का मौका मिलता है. मतलब साफ है - ये सच है कि बेसिक हाइजीन के लिए घर मे जमी फंगस को साफ करना चाहिए, लेकिन सिर्फ ऐसा करके ये मान लेना सही नहीं है कि आप Mucormycosis की चपेट में नहीं आएंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हम कोरोनावायरस, ब्लैक फंगस और कोविड वैक्सीन को लेकर किए जा रहे झूठे दावों की लगातार पड़ताल कर रहे हैं. अगर आपके पास भी ऐसी कोई सूचना आती है जो आपको थोड़ी अटपटी लग रही है. या जिसके सच होने पर आपको शक है तो हमारे वॉट्सएप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. तब तक के लिए हमारी अन्य फैक्ट चेक स्टोरीज को पढ़ने के लिए फेसबुक, ट्विटर पर क्विंट हिंदी को फॉलो करें और हां, वेबकूफ न बनें)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×