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सोशल मीडिया पर आपकी हर एक्टिविटी पर नजर रखती है सरकार? क्या है सच

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

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WhatsApp पर एक मैसेज काफी शेयर किया जा रहा है. इसमें बताया गया है कि सोशल मीडिया WhatsApp, Facebook, Twitter और Instagram पर आप जो भी करते हैं, सरकार उस पर नजर रखेगी. इसमें ये भी बताया गया है कि ये नए कम्यूनिकेशन नियम WhatsApp और WhatsApp कॉल (वीडियो और ऑडियो) पर कल से लागू होंगे.

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मैसेज में चेतावनी दी गई है कि पीएम या सरकार के खिलाफ कुछ भी पोस्ट न करें, नहीं तो बिना वॉरंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. साथ ही, इस मैसेज में नए कलर कोडेड टिक मार्क सिस्टम के बारे में भी बताया गया है. जिससे ये पता चलता है कि सरकार ने ''आपके मैसेज पर नजर रखी है''. और इस तरह के मैसेज भेजने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

पड़ताल में हमने पाया कि ये वायरल मैसेज झूठी जानकारी वाला है. और इसी मैसेज को साल 2017 से इंटरनेट पर अलग-अलग तरीके से शेयर किया जा रहा है.

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दावा

WhatsApp पर वायरल हो रहे दावे के स्क्रीनशॉट यहां देखे जा सकते हैं.

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

ये मैसेज WhatsApp पर काफी शेयर हो रहा है

(सोर्स:WhatsApp/Altered by The Quint)

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

वायरल मैसेज

(सोर्स:WhatsApp/Altered by The Quint)

ये दावा Facebook और Twitter पर भी शेयर किया जा रहा है.

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

ट्विटर पर भी वायरल है ये मैसेज

(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

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पड़ताल में हमने क्या पाया

WhatsApp की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक, इस प्लैटफॉर्म पर सभी मैसेज और कॉल एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करते हैं. मतलब ये है कि जिस यूजर या ग्रुप के साथ चैट की जा रही है सिर्फ वही आपके भेजे गए मैसेज को देख और ऐक्सेस कर पाएंगे.

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

WhatsApp पर सभी मैसेज एंड टू एंड इन्क्रिप्टेड होते हैं

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/WhatsApp)

WhatsApp ने अपनी वेबसाइट पर एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन के बारे में विस्तार से बताया है. इस फीचर को WhatsApp ने Open Whisper Systems के साथ मिलकर विकसित किया है. वेबसाइट पर एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन के बारे में अच्छे से बताया गया है, जिससे यूजर को गाइड किया जा सके.

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

इस फीचर के बारे में वेबसाइट पर जानकारी है

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/WhatsApp)

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कलर-कोडेड टिक मार्क

WhatsApp की वेबसाइट के मुताबिक, WhatsApp प्लैटफॉर्म पर सिर्फ 3 तरह के टिक मार्क का इस्तेमाल किया जाता है. पहला है सिंगल टिक मार्क जिसका मतलब है कि मैसेज भेज दिया गया है. दूसरा है डबल टिक मार्क जिसका मतलब है कि जिसे संदेश भेजा गया है उसे वो मिल गया है. ये दोनों टिक मार्क का रंग हल्का ग्रे होता है. इसके अलावा, जब ये डबल टिक मार्क का रंग बदलकर नीला हो जाए, तब इसका मतलब होता है कि मैसेज पढ़ा जा चुका है.

इसके अलावा, इस संबंध में WhatsApp की ओर से कोई नया टिक मार्क या नियम नहीं लागू किया है.

इस वायरल मैसेज में गलत दावा किया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर आप जो भी करते हैं वो सब सरकार की निगरानी में है.

WhatsApp वेबसाइट पर मौजूद है टिम मार्क से जुड़ी जानकारी

(फोटो: स्क्रीनशॉट/WhatsApp)

मार्च 2021 में हुए नए अपडेट के बाद से, आईफोन के WhatsApp ऐप्लिकेशन में, अब ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करने वाले आईओएस यूजर वॉयसनोट के लिए ‘read reciepts’ को डिसेबल कर सकते हैं.

क्विंट इसके पहले 2018 और 2019 में इस तरह के 2 दावों की पड़ताल कर उन्हें खारिज कर चुका है. और बताया था कि ये दावे तथ्यात्मक रूप से कैसेे गलत हैं.

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व्हाट्सएप के साथ क्या हो रहा है?

सूचना प्रौद्योगिकी इंटरमीडियरीज (गाइडलाइन और डिजिटल इथिक्स कोड) नियम, 2021 के मुताबिक, सोशल मीडिया ऑर्गनाइजेशन को अपने प्लैटफॉर्म पर मैसेज को सबसे पहले भेजने वाले या उसके ओरिजिन का पता लगाना होगा और उसकी पहचान करनी होगी. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ मिलकर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के लिए इन नए दिशानिर्देशों को लागू किया है, जिसके अनुपालन की अंतिम तिथि 25 मई निर्धारित की गई थी.

25 मई को, WhatsApp ने भारत सरकार पर यह कहते हुए मुकदमा दायर किया कि इन नए नियमों का पालन करने से उसकी गोपनीयता और सुरक्षा नीतियों का उल्लंघन होगा. इसके अलावा, इन नियमों से भारतीय नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार भी प्रभावित होंगे.

मतलब साफ है कि ऊपर किया जा रहा दावा गलत है. और ये वायरल मैसेज कई सालों से इंटरनेट पर मौजूद है, जिसे थोड़े बदलावों के साथ बार-बार शेयर किया जाता रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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