सोशल मीडिया पर एक मैसेज शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि देश के हर मुस्लिम बहुल इलाके का जनप्रतिनिधि भी मुस्लिम ही है. वहीं कई हिंदू बहुल इलाकों के जनप्रतिनिधि भी मुस्लिम हैं. लेकिन मुस्लिम बहुल इलाके में 'कोई हिंदू जनप्रतिनिधि' नहीं है.इस वायरल मैसेज में जगहों के साथ वहां के जनप्रतिनिधियों के नाम भी दिए गए हैं. हालांकि, हमारी पड़ताल में दावे में बताई गई जानकारी भ्रामक और गलत निकली. जिन जगहों के बारे में इस मैसेज में बात की गई है वहां के मुस्लिम और हिंदू जनसंख्या से जुड़े आंकड़े गलत हैं. साथ ही, इन जगहों में से कई के जनप्रतिनिधियों के नाम भी गलत हैं.
दावा
सोशल मीडिया पर एक लिस्ट इस नैरेटिव से शेयर की जा रही है कि मुस्लिम बहुल इलाकों से हमेशा मुस्लिम ही जनप्रतिनिधि के तौर पर चुने जाते हैं, वहीं हिंदू बहुल इलाकों से भी मुस्लिम चुने जाते हैं.
फेसबुक पर राष्ट्रवादी गोविन्द माहेश्वरी नाम के एक यूजर ने इस दावे को 2020 में एक वीडियो के साथ शेयर किया था. आर्टिकल लिखे जाने तक इसे 1.6 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने 2011 की जनगणना के मुताबिक, हर शहर की मुस्लिम और हिंदू आजादी का प्रतिशत देखा. साथ ही, ये भी देखा कि वहां से फिलहाल जनप्रतिनिधि कौन हैं.
हर जगह की जनसंख्या के आंकड़े भारत सरकारी की ऑफिशियल वेबसाइट से लिए गए हैं. सांसदों से जुड़ी जानकारी लोकसभा की ऑफिशियल वेबसाइट से ली गई है.
आइए एक नजर डालते हैं इस लिस्ट के उन बिंदुओं पर जो या तो पूरी तरह से गलत हैं या भ्रामक हैं.
नोट: भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. इसलिए, स्टोरी में इस्तेमाल किया गया सभी डेटा 2011 की जनगणना के आधार पर लिए गए हैं.
दावा-हैदराबाद (पुराना शहर) 65% मुस्लिम- असदुद्दीन ओवैसी
यहां की कुल जनसंख्या 39,43,323 है, जिनमें से लगभग 43.45 प्रतिशत मुस्लिम (1713405) और 51.8 प्रतिशत (2046051 लोग) हिंदू हैं. जबकि वायरल मैसेज में मुस्लिम आबादी 65 प्रतिशत बताई गई है. हालांकि, यहां से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ही हैं. लेकिन, मुस्लिम और हिंदू आबादी का प्रतिशत गलत है.
भारत की आखिरी जनगणना के दौरान हैदराबाद आंध्र प्रदेश का हिस्सा था. साल 2014 में तेलंगाना राज्य बनने के बाद ये शहर तेलंगाना का हिस्सा बन गया. हालांकि, जनगणना 2011 में हुई थी, इसलिए आंध्र प्रदेश से जुड़ा डेटा देखा गया है.
दावा- बरपेटा (असम) 70.74% मुस्लिम -सिराजुद्दीन अजमल
यहां की कुल आबादी 1693622 है. जिसमें से मुस्लिम आबादी लगभग 70 प्रतिशत (1198036) और हिंदू आबादी लगभग 29 प्रतिशत (492966) है.
यानी आंकड़ों के हिसाब से तो मुस्लिम आबादी सही लिखी गई है, लेकिन यहां पर सांसद का नाम गलत बताया गया है. यहां से सिराजुद्दीन अजमल का कार्यकाल (2014-2019) रहा. फिलहाल कांग्रेस के अब्दुल खालिक यहां से सांसद है.
दावा- अररिया (बिहार) 56.68% मुस्लिम - तरलिमुद्दिन
अररिया में 2011 की जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 28,11,569 है. यहां हिंदू आबादी लगभग 56.67 (1593525) प्रतिशत है. और मुस्लिम आबादी लगभग 1207442 है जो कुल जनसंख्या का 42.94 प्रतिशत है.
जबकि वायरल मैसेज में हिंदू के बजाय मुस्लिमों की आबादी लगभग इतनी ही बताई गई है. दूसरा दावा भी गलत है कि यहां से तरलिमुद्दिन सांसद है. जबकि, यहां से BJP के प्रदीप कुमार सिंह सांसद हैं. हालांकि, मोहम्मद तस्लीमुद्दीन यहां से 2014 में सांसद चुने गए थे. दावे में गलत नाम लिखा है, तस्लीमुद्दीन की बजाय तरलिमुद्दिन.
दावा- कटिहार (बिहार) 54.85% मुस्लिम - तारिक अनवर
यहां कुल जनसंख्या 3071029 है. जिनमें से लगभग 54.85 प्रतिशत (1684589) हिंदू हैं. मुस्लिम आबादी 1365645 है जो कुल जनसंख्या का लगभग 44 प्रतिशत है. तारिक अनवर साल 2014 में यहां से सांसद चुने गए थे. फिलहाल, यहां जनता दल (यूनाइटेड) के दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद हैं. यानी आबादी के आंकड़े और सांसद का नाम दोनों गलत हैं.
दावा- खगरिया (बिहार) 89.21% मुस्लिम- मेहबूब अली कैसर
यहां हिंदुओं की आबादी 1486989 है जो कुल आबादी 1666886 का लगभग 89.20 प्रतिशत है. वहीं मुस्लिम जनसंख्या 175588 यानी कुल जनसंख्या का लगभग 11 प्रतिशत है. यहां भी हिंदू आबादी के प्रतिशत को मुस्लिम आबादी के प्रतिशत से बदल दिया गया है. हालांकि, यहां से LJSP के महबूब अली कैसर ही सांसद हैं.
दावा- वायनाड (केरल) 49.48% हिन्दू, एम आई शाहनवाज़
वायनाड (केरल) की कुल जनसंख्या 817420 है, जिसमें से हिंदू- 404460 (49.48 प्रतिशत) हैं और मुस्लिम 234185 (28.64 प्रतिशत) हैं. यानी हिंदू आबादी के आंकड़े करीब-करीब सही हैं, लेकिन दावे के उलट यहां से मुस्लिम सांसद एम आई शाहनवाज नहीं, बल्कि कांग्रेस के राहुल गांधी सांसद हैं. शाहनवाज यहां से 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव जीतकर दो बार सांसद रह चुके हैं. साल 2018 में उनका निधन हो गया है.
दावा- बशीरहाट (पश्चिम बंगाल) 79.46% हिन्दू, 25.82% मुस्लिम- इदरीस अली
बशीरहाट में बशीरहाट 1 सब डिस्ट्रिक्ट की आबादी 171613 और बशीरहाट 2 सब डिस्ट्रिक्ट में 226130 है. यानी दोनों को मिलाकर कुल जनसंख्या है 402261. जिसमें से दोनों जगह को मिलाकर 61994 हिंदू जनसंख्या यानी करीब 15.41 प्रतिशत और 276131 यानी 68.64 प्रतिशत मुस्लिम हैं. यानी यहां दावे के उलट हिंदू आबादी नहीं, बल्कि मुस्लिम आबादी ज्यादा है. यहां से इदरीस अली नहीं बल्कि TMC की नुसरत जहां सांसद हैं.
रायगंज- (पश्चिम बंगाल) 65.13% हिन्दू, 34.14% मुस्लिम- मोहम्मद सलीम
रायगंज, उत्तर दिनाजपुर जिले में आता है. हालांकि, यहां की जनसंख्या से जुड़े डेटा जांच हम नहीं कर पाए. लेकिन दूसरा दावा जिसमें कहा गया है कि यहां से मुस्लिम सांसद मोहम्मद सलीम हैं, वो गलत है. क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP की देबाश्री चौधरी ने ये सीट अपने नाम की थी.
मो. सलीम यहां से 2014 में सांसद थे. हालांकि, 2019 के चुनावों में मिले वोटों की संख्या के आधार पर उनका तीसरा स्थान रहा है.
दावा- मालदा उत्तर (पश्चिम बंगाल) 53% हिन्दू, 46% मुस्लिम- मौसम नूर
2011 की जनगणना से जुड़े आंकडो़ं में हमें मालदा उत्तर का अलग से कोई डेटा नहीं मिला. डेटा में मालदा से जुड़े आंकड़े मिले, लेकिन मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण से जुड़े आंकड़े नहीं दिए गए हैं.
हालांकि, जनसंख्या से जुड़ी जानकारी हमें 5 जून 2019 को पब्लिश Business Standard की एक स्टोरी में मिली. दावे में जनसंख्या से जुड़े जो आंकड़े बताए गए हैं, इस स्टोरी के मुताबिक वो करीब-करीब सही हैं. लेकिन जैसा कि दावे में कहा गया है कि यहां पर मुस्लिम सांसद मौसम नूर हैं, वो गलत है क्योंकि मौसम नूर यहां से सांसद रह चुकी हैं लेकिन अब नहीं हैं. यहां से BJP के खगेन मुर्मू सांसद हैं.
किसनगंज (बिहार) 67.89% मुस्लिम- मुहम्मद असरूल हक
यहां की कुल आबादी 1690400 है जिनमें से हिंदू संख्या 531236 यानी लगभग 31 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी लगभग 1149095 है जो 67. 97 प्रतिशत है. लेकिन यहां से मुहम्मद असरूल हक नहीं बल्कि डॉ. मोहम्मद जावेद सांसद हैं.
बर्दवान दुर्गापुर- (पश्चिम बंगाल) 91.63% हिन्दू, 6.34% मुस्लिम- मुमताज़ संघमित्रा
बर्दवान पूर्व से सांसद, AITC के सुनील कुमार मोंडल और बर्दवान दुर्गापुर से BJP के एसएस अहलूवालिया हैं. ये जिला दो भागों में साल 2017 में बांट दिया गया था. हालांकि, यहां की जनसंख्या से जुड़ी जानकारी की हम जांच नहीं कर पाए. लेकिन, सांसद से जुड़ा किया जाने वाला दावा पूरी तरह से गलत है.
दावा- उलूबेरिया (पश्चिम बंगाल) 54.87% हिन्दू, 44.79% मुस्लिम- सुल्तान अहमद
उलूबेरिया, हावड़ा जिले में एक शहर है. हालांकि, यहां की जनसंख्या से जुड़े डेटा की हम जांच नहीं कर पाए. लेकिन यहां सांसद का जो नाम दिया गया है वो गलत है. यहां से सुल्तान अहमद नहीं, AITC से सजदा अहमद सांसद हैं.
सुल्तान अहमद यहां से 2009 और 2014 में सांसद रह चुके हैं. 2017 में कार्डिएक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया था.
इसके अलावा, इस लिस्ट में और भी कुछ जगहों की जनसंख्या और सांसदों से जुड़ी जानकारी दी गई है. कई जगह जनसंख्या के आंकड़े इस लिस्ट से मेल खाते हैं तो कई जगह के सांसद वही हैं जो इस लिस्ट में बताए गए हैं. हालांकि, कुछ जगहों के सांसद बदले हैं.
ढुबरी असम - (जनसंख्या के आंकड़े करीब-करीब सही हैं और सांसद बदरुद्दीन अजमल ही हैं)
अनंतनाग - ( जनसंख्या के आंकड़े करीब-करीब सही हैं, लेकिन सांसद महबूबा मुफ्ती नहीं, नेशनल कांफ्रेंस के हसन मसूदी हैं)
बारामूला - (जनसंख्या के आंकड़े मेल खाते हैं, लेकिन मुजफ्फर हुसैन बेग की जगह अब यहां से मोहम्मद अकबर लोन सांसद हैं)
श्रीनगर - (तारिक अहमद कारा सांसद नहीं है, बल्कि फारुक अब्दुल्ला हैं. जनसंख्या के आंकड़े लगभग सही हैं)
मालापुरम (केरल) - (दावे के मुताबिक यहां के सांसद पीके कुंजलिकुट्टी नहीं, बल्कि अब्दुस्समद हैं, जिन्हें अप्रैल 2021 के बायपोल इलेक्शन में जीत मिली है. जनसंख्या के आंकड़े सही हैं)
पोन्ननी (केरल) - (जनसंख्या के आंकड़े सही हैं और सांसद भी मोहम्मद बशीर ही हैं)
लक्षद्वीप - (जनसंख्या के आंकड़े सही हैं, और सांसद भी मुहम्मद फैजल हैं)
रामनाथपुरम (तमिलनाडु) - दावे के मुताबिक जनसंख्या के आंकड़े तो सही हैं, लेकिन यहां से अनवर राजा नहीं, के नवसकणि हैं)
मालदा दक्षिण (पश्चिम बंगाल)- दावे के मुताबिक यहां के सांसद अबू हसीम खान चौधरी (डालू) ही हैं, हालांकि जनसंख्या से संबंधित आंकड़ों की हम जांच नहीं कर पाए.
मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल)- जनसंख्या से जुड़े आंकड़ों का हम पता नहीं कर पाए, लेकिन यहां के सांसद बद्रुद्दोजा खान नहीं हैं. ताहिर खान हैं
किया जा रहा है गलत नैरेटिव सेट
ऊपर दी गई लिस्ट में आधे से ज्यादा बिंदुओं में न सिर्फ जनसंख्या से जुडे आंकड़े भ्रामक और गलत हैं, बल्कि ये नैरेटिव भी भ्रामक हैं कि मुस्लिम बहुल इलाके से हमेशा मुस्लिम जनप्रतिनिधि ही चुना जाता है. जबकि इसके उलट बहुत सी ऐसी जगहें और निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां से मुस्लिम बहुल इलाका होने के बावजूद हिंदू प्रतिनिधि जीत के सामने आए हैं. उनमें से कुछ पर नजर डालते हैं.
हैदराबाद में हिंदू आबादी ज्यादा है, लेकिन दावे में मुस्लिम आबादी ज्यादा बताई गई है.
वहीं बिहार की अररिया लोकसभा सीट से हिंदू आबादी भी ज्यादा है और सांसद भी हिंदू है. लेकिन दावे में कहा गया है कि मुस्लिम आबादी ज्यादा है और सांसद मुस्लिम है.
बिल्कुल ऐसा ही दावा कटिहार सीट को भी लेकर किया गया, जबकि वहां हिंदू आबादी ज्यादा है और सांसद भी मुस्लिम के बजाय हिंदू ही है.
इसके अलावा, बर्दमान दुर्गापुर को लेकर भी ऐसा ही दावा किया गया, जबकि बर्दवान की दोनों सीटों बर्दवान पूर्व और बर्दमान दुर्गापुर से हिंदू सांसद ही हैं.
वायनाड का सांसद मुस्लिम बताया गया है, जबकि वहां से राहुल गांधी सांसद हैं. मालदा उत्तर को लेकर भी ऐसा ही भ्रामक दावा किया गया कि वहां से मुस्लिम सांसद हैं, जबकि मालदा उत्तर से खगेन मुर्मू सांसद हैं. रायगंज को लेकर भी दावा है कि मुस्लिम सांसद हैं, लेकिन दावे के उलट यहां से हिंदू सांसद है.
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहां लोकतांत्रिक तरीके से ही जनता अपने जनप्रतिनिधियों को चुनती है. ऊपर दी गई लिस्ट के मुताबिक, अगर किसी जगह मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है और वहां मुस्लिम जनप्रतिनिधि ही चुनकर आता है तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता.
जैसा कि हमने कुछ आंकड़े पेश करके ये बताया है कि ऐसा नहीं है कि जहां मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है वहां से सिर्फ मुस्लिम विधायक या सांसद ही चुने जाते हैं, बल्कि वहां हिंदू या फिर दूसरे समुदायों के सांसद और विधायक भी चुने गए हैं.
वहीं दूसरी तरफ जहां हिंदू जनसंख्या ज्यादा है वहां से भी मुस्लिम और हिंदू जनप्रतिनिधि चुने जाते रहे हैं. किसी जगह से किसी जाति या धर्म विशेष के उम्मीदवार के चुने जाने को लेकर सेट किया जा रहा ये नैरेटिव गलत है कि मुस्लिम बहुल इलाके से हमेशा मुस्लिम ही चुना जाता है.
क्या कहता है भारत का संविधान
भारतीय संविधान के आर्टिकल 325 और 326 के मुताबिक, प्रत्येक वयस्क नागरिक को, जो पागल या अपराधी न हो, मताधिकार प्राप्त है. किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. मतलब ये कि हर जाति और धर्म के लोगों को वोट देने का अधिकार मिला हुआ है.
इसके अलावा आर्टिकल 19,20, 21 और 22 (स्वतंत्रता के अधिकार) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी को भी वोट दे सकता है और राजनीतिक दल भी बना सकता है.
इसलिए, अगर कोई भी शख्स अपनी मर्जी से किसी भी जनप्रतिनिधि को वोट करता है, तो वो उसका निजी विचार हो सकता है.
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