सोशल मीडिया पर एक महिला की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसके साथ मराठी भाषा में मुसलमानों, इस्लाम और शरिया को लेकर कुछ दावे किए जा रहे हैं.
क्या है दावा: तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह महिला ऑस्ट्रेलिया की पीएम ज्युलिया गिलार्ड (Julia Gillard) हैं, और इन्होंने मुसलमानों को साफ कह दिया है कि जो मुसलमान इस्लामी शरिया कानून चाहते हैं उन्हें इस बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया छोड़ देना होगा.
(ऐसे ही दावे करने वाले अन्य पोस्ट के अर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)
हमें हमारी व्हाट्सप्प टिपलाइन पर भी इससे जुड़ा एक सवाल मिला था.
वायरल पोस्ट में अन्य दावे क्या है ? मराठी में वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री ने देश की मुस्लिम आबादी से यह बातें कही हैं.
जो मुसलमान इस्लामी शरिया कानून चाहते हैं उन्हें इस बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया छोड़ देना होगा.
ऑस्ट्रेलिया की हर मस्जिद की जांच की जाएगी और मुसलमानों को इस जांच में हमारा साथ देना चाहिए.
हम यहां अंग्रेजी बोलते हैं, अरबी नहीं. इसलिए यदि आप इस देश में रहना चाहते हैं तो आपको अंग्रेजी सीखनी चाहिए.
हम आपके धर्म में विश्वास नहीं करते, लेकिन हम आपकी भावना का सम्मान करते हैं! इसलिए अगर प्रार्थना करनी है तो ध्वनि प्रदूषण न करें.
हमारे कार्यालयों, स्कूलों या सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना न करें!
अपने घरों या मस्जिदों में शांति से प्रार्थना करें. हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है. सबसे पहले तो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया की पीएम जूलिया गिलार्ड नहीं बल्कि एंथनी अल्बानीज हैं.
जूलिया एलीन गिलार्ड ने 2010 से 2013 तक ऑस्ट्रेलिया की 27वीं प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है.
वायरल फोटो जूलिया गिलार्ड की नहीं बल्कि के. वासुकी की है. वह एक प्रतिष्ठित सिविल सेवक (IAS) हैं जो वर्तमान में केरल सरकार में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हैं.
अपने कार्यकाल में जूलिया गिलार्ड ने ऐसा कोई भाषण नहीं दिया है.
हमनें सच का पता कैसे लगाया ? हमने इस वायरल फोटो पर Google Lens की मदद से इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया. हमें पता चला कि ये फोटो K Vasuki की है.
इस वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. के. वासुकी एक प्रतिष्ठित सिविल सेवक हैं जो वर्तमान में केरल सरकार में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रूप में कार्यरत हैं.
यहां यह साफ हो गया था कि पहली वायरल फोटो जूलिया गिलार्ड की नहीं, बल्कि के. वासुकी की है. गौर करने वाली बात ये भी है कि वर्तमान में जूलिया गिलार्ड ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री नहीं है.
वायरल दावे का क्या ? अब हमने इसकी पड़ताल शुरू की कि जूलिया गिलार्ड का बयान बताकर यह वायरल दावा कहां से लिया गया है. Google पर इससे जुड़े कीवर्ड ढूंढने पर हमने पाया कि यह दावा इससे पहले भी अंग्रेजी में वायरल हो चुका है, और साल 2019 से यह दावा अलग-अलग भाषाओं में वायरल हो रहा है.
हमें Reuters की यह न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें Snopes के हवाले से इन दावों को गलत बताया गया था.
फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट Snopes की रिपोर्ट के मुताबिक इस भाषण का एक बड़ा हिस्सा बैरी लाउडरमिल्क के आर्टिकल से लिया गया है, जो पहली बार जॉर्जिया के एक स्थानीय समाचार पत्र में छपा था.
Snopes के आर्टिकल में आगे लिखा गया है कि वायरल मैसेज के अलग-अलग हिस्से साल 2001 से अमेरिका के कई नेताओं और अन्य लोगों के भाषणों और आर्टिकल्स के अलग-अलग हिस्सों से लिए गए हैं.
इसमें लिखा है कि Quote के बाद का हिस्सा 2001 में अमेरिका पर 9/11 के हमलों के तुरंत बाद एक अमेरिकी वायु सेना के अनुभवी द्वारा लिखे गए एक विचार लेख (Opinion piece) से उठाया गया एक ऑस्ट्रेलियाई संस्करण है और इसका ऑस्ट्रेलिया या जूलिया गिलार्ड से कोई लेना-देना नहीं है.'
वह हिस्सा जिसमें लिखा है: 'शरिया कानून की मांग कर रहे मुसलमानों को ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया है,' यह माल्टा की एक वेबसाइट Malta Independent में छपे इस आर्टिकल से है. जिसमें यह बयान पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कोषाध्यक्ष पीटर कॉस्टेलो के हवाले से दिया गया है.
ऑस्ट्रेलिया की हर मस्जिद की जांच की जाएगी और मुसलमानों को इस जांच में हमारा साथ देना चाहिए. New York Times के मुताबिक भाषण का एक यह हिस्सा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड का है. जिन्होंने कहा था, "हमें यह जानने का अधिकार है कि इस्लामी समुदाय के किसी भी वर्ग में आतंकवाद के गुणों का प्रचार किया जा रहा है या नहीं, क्या उस समुदाय के भीतर आतंकवाद को कोई सहारा या आश्रय दिया जा रहा है."
निष्कर्ष: केरल की एक IAS को ऑस्ट्रेलिया की पीएम बताकर भ्रामक दावों के साथ मराठी भाषा में एक पुराना और भ्रामक मैसेज वायरल किया जा रहा है.
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