सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सेना के जवान (Indian Army) सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब हाथ में लिए हुए हैं और "बोले सो निहाल, सत श्री अकाल" का नारा लगाते दिख रहे हैं.
वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रहे जवान सिख रेजिमेंट से हैं, जिन्होंने भारत-चीन सीमा पर एक गुरुद्वारा बनाया और वहीं निशान साहिब लगाया.
ये दावा उस रिपोर्ट के आने के बाद वायरल हो रहा है जिसके मुताबिक, चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर पुल बना लिया है. इस पुल की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं. पुल से झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे जुड़ जाएंगे, जिससे चीनी सेना और उसके हथियार तुरंत इसकी मदद से आवाजाही कर पाएंगे.
हालांकि, ये दावा भ्रामक है. हमने पाया कि वीडियो लेह से 20 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा पत्थर साहिब का है, जहां सेना के जवान निशान साहिब को लहराते नजर आ रहे हैं.
क्विंट से बातचीत में, भारतीय सेना के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) कर्नल सुधीर चमोली ने पुष्टि की कि भारत-चीन सीमा के करीब कहीं गुरुद्वारा नहीं है.
दावा
ये वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर हो रहा है कि वीडियो भारत-चीन सीमा के पास भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट द्वारा बनाया गया एक गुरुद्वारा दिखाता है. दावे के कुछ वर्जन में इसे 'मोदी सरकार के गिफ्ट' की तरह बताया गया है.
आर्टिकल लिखते समय तक, हरपाल सिंह नाम के एक फेसबुक यूजर के शेयर किए गए इस वीडियो को 10,000 से ज्यादा शेयर और 2.5 लाख से ज्यादा व्यू मिल चुके हैं.
वाराणसी के BJP विधायक सौरभ श्रीवास्तव और यूपी भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की सोशल मीडिया हेड डॉ ऋचा राजपूत ने भी इस वीडियो का छोटा वर्जन शेयर किया है.
ऐसे ही और दावों के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
‘Indian Army Nishan Sahib' कीवर्ड का इस्तेमाल कर, हमने यूट्यूब पर इस वीडियो को खोजा.
हमें ‘Auckland Desi’नाम के एक यूट्यूब चैनल पर 25 अक्टूबर 2021 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. वीडियो के टाइटल के मुताबिक, इसमें भारतीय सेना को लेह स्थित गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब में एक 80 फीट लंबा निशान साहिब स्थापित करते हुए दिखाया गया है.
यहां से क्लू लेकर हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया. हमें PTC Punjabi UK के वेरिफाइड पेज पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला.
वीडियो में भारतीय सेना के जवानों को झंडे के 80 फुट लंबे पोल को तैयार करके उस पर निशान साहिब लगाते देखा जा सकता है. इसके बाद, ड्रम बजाते हुए नारों के साथ झंडा ध्वजारोहण किया जाता है.
इसके अलावा, हमने ये भी देखा कि वीडियो को शिरोमणि अकाली दल (SAD) के दिल्ली अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने पिछले साल अक्टूबर में शेयर किया था.
हमने गूगल मैप्स पर गुरुद्वारे को देखा और पाया कि ये भारत-चीन सीमा के नजदीक नहीं है.
भारत की टूरिज्म कैंपेन वेबसाइट Incredible India के मुताबिक भी ये गुरुद्वारा लद्दाख में कारगिल-लेह राजमार्ग के पास स्थित है.
हमने वीडियो के स्क्रीनशॉट्स की तुलना Shutterstock पर मौजूद गुरुद्वारे की तस्वीरों से करने पर पाया कि ये वीडियो गुरुद्वारा पत्थर साहिब में शूट किया गया था. दोनों तरह की तस्वीरों में कई एलीमेंट्स मेल खाते हैं, जैसे कि बिल्डिंग का रंग और बाकी चीजें.
हमने भारतीय सेना के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर (PRO) कर्नल सुधीर चमोली से संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि की कि वीडियो में दिख रहा गुरुद्वारा "भारत-चीन सीमा के पास नहीं है."
उन्होंने कहा कि ये लेह और कारगिल के बीच स्थित है और 400 साल पहले गुरु नानक जी यहां आए थे.
मतलब साफ है, वायरल वीडियो में जो गुरुद्वारा दिख रहा है, उसे भारत-चीन सीमा पर सिख रेजिमेंट ने नहीं बनाया है. सेना के जवान निशान साहिब को जिस गुरुद्वारे में फहराते दिख रहे हैं, वो लद्दाख के लेह में स्थित पत्थर साहिब गुरुद्वारा है.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)