सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कथित तौर पर सफेद कपड़ों में लिपटे शव दिख रहे हैं. इस वीडियो में कुछ 'शव' हिलते हुए और कैमरापर्सन से बातचीत करते दिख रहे हैं.
क्या है दावा?: कई यूजर्स ने इसे हालिया बताकर इस दावे से शेयर किया है कि ये लोग इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच मौत का नाटक कर रहे हैं.
सच क्या है?: ये वीडियो हाल का नहीं है. और न ही इसका इजरायल-हमास संघर्ष से कोई संबंध है.
ये वीडियो 2013 का है और मिस्र का है. जहां अल-अजहर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मिस्र के सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
हमने सच का पता कैसे लगाया?: वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVID का इस्तेमाल कर हमने वीडियो के कई कीफ्रेम निकाले और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया.
इससे हमें Al-Badil newspaper नाम के एक यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला, जिसे 28 अक्टूबर 2013 को अपलोड किया गया था.
वीडियो के अनुवादित टाइटल के मुताबिक, इसमें नाटकीय रूप से ''अल-अजहर यूनिवर्सिटी में शवों को दर्शाया'' गया था.
डिस्क्रिप्शन के मुताबिक, वीडियो में मिस्र के अल-अजहर यूनिवर्सिटी में मुस्लिम ब्रदरहुड के छात्रों को दिखाया गया है. इन्होंने देश के सशस्त्र बलों, विशेषतौर पर सेना और पुलिस के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था.
क्यों किया गया था ये विरोध?: हमने इस विरोध प्रदर्शन से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट्स चेक कीं. हमें Reuters की एक रिपोर्ट मिली, जिसके मुताबिक सेना ने उस साल जुलाई के महीने में इस्लामिक राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पद से हटा दिया था. इसलिए हजारों छात्रों ने इकट्ठा होकर सेना के खिलाफ कई दिनों तक प्रदर्शन किया था.
रिपोर्ट में बताया गया है कि मुर्सी की बहाली की मांग के लिए करीब 4 हजार प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे. इनमें से 44 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्रों ने यूनिवर्सिटी की ओर जाने वाली सड़क का ब्लॉक कर दिया था और सुरक्षा बलों पर पथराव भी किया था.
ये वीडियो साल 2021 में भी ऐसे ही गलत दावे से शेयर किया जा चुका है. तब भी क्विंट ने इस दावे की पड़ताल की थी.
निष्कर्ष: मिस्र के काहिर में विरोध प्रदर्शन का 10 साल पुराना वीडियो इजरायल-हमास संघर्ष से जोड़कर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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