सच क्या है?: ये तस्वीर असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से बनाई गई है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?: गूगल लेंस के जरिए सर्च करने पर हमें तुर्की की न्यूज वेबसाइट GDH के आधिकारिक X हैंडल पर अपलोड की गई यही तस्वीर मिली.
ये तस्वीर 11 अक्टूबर को पोस्ट की गई था. कैप्शन का गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अनुवाद इस प्रकार है, ''आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खींची गई गाजा में जीवन की तस्वीर".
AI डिटेक्शन टूल में चेक करने पर हमने क्या पाया?: हमने इस तस्वीर को दो एआई डिटेक्शन टूल Optic AI or Not और Hugging Face. की मदद से चेक किया. इन टूल्स की मदद से ये पता लगाया जा सकता है कि तस्वीर में AI का इस्तेमाल हुआ है या नहीं.
दोनों टूल से हमें पता चला कि ये तस्वीर किसी वास्तविक घटना की नहीं, बल्कि AI की मदद से बनाई गई है.
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क्या बनाई जा सकती हैं मिलती-जुलती तस्वीरें?: हां बनाई जा सकती हैं. हमने Stable Diffusion का वेब वर्जन इस्तेमाल किया और इसमें कुछ कमांड दिए ताकि ये पता कर सकें कि क्या ऐसी दूसरी तस्वीर भी बनाई जा सकती है. इससे जो निकलकर सामने आया उसे आप नीचे देख सकते हैं.
निष्कर्ष: साफ है कि विस्फोट के सामने खड़े बच्चे की फोटो असली नहीं है. ये AI की मदद से तैयार की गई है.
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