सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने विवाद में आए तनिष्क विज्ञापन के एक स्क्रीनशॉट शेयर कर दावा किया कि दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम, अहमद बुखारी विज्ञापन के खिलाफ फतवा जारी करेंगे.
दिल्ली की जामा मस्जिद के उप शाही इमाम, सैयद शाबान बुखारी ने क्विंट को बताया कि ये दावा गलत है और तनिष्क के विज्ञापन के खिलाफ कोई फतवा जारी नहीं किया गया है.
दावा
दावे में आगे लिखा है कि ये फतवा इसलिए जारी किया जाएगा क्योंकि इसमें 'गोद भराई' की रस्म दिखाई गई है, जो कि 'हिंदू संस्कृति' है और मुस्लिमों में इस प्रकार की रस्में नहीं होतीं. आगे लिखा है, "तनिष्क का विज्ञापन हमारी संस्कृति और रीति-रिवाजों को खत्म कर रहा है, तनिष्क इस्लाम धर्म को नुकसान पहुंचा रहा है."
ट्विटर और फेसबुक पर भी इस दावे को शेयर किया गया.
क्विंट को उसकी WhatsApp हेल्पलाइन पर भी ये सवाल मिला.
हमें जांच में क्या मिला?
हाल की किसी भी न्यूज रिपोर्ट में इस तरह का दावा देखने को नहीं मिला है. क्विंट से बात करते हुए, जामा मस्जिद के उप शाही इमाम, सैयद शाबान बुखारी ने कहा कि तनिष्क के विज्ञापन के खिलाफ ऐसा कोई फतवा जारी नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा, "इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है. ये एकदम फेक है."
हमें एक फेसबुक पोस्ट भी मिला, जिसे बुखारी ने पांच दिनों पहले शेयर किया था और इस विज्ञापन को लेकर अपने विचार व्यक्त किए थे.
उन्होंने लिखा था, "मुझे ये विज्ञापन काफी खूबसूरत लगा. बंटवारा चरमपंथियों कि दिमाग में है. हम मुस्लिमों के 'काफी' अच्छे हिंदू दोस्त हैं और हम सभी एक-दूसरे से प्यार करते हैं, और अगर आप सुरक्षा की बात करते हैं, तो हां, हिंदू हमारे घरों में सुरक्षित हैं. प्यार बांटने के लिए बहुत अच्छे तनिष्क."
इससे साफ होता है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम के हवाले से गलत खबर चलाई जा रही है. उन्होंने ऐसा कोई फतवा नहीं जारी किया है.
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