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जवाहरलाल नेहरू ने नहीं कहा था- “मैं दुर्भाग्य से हिंदू हूं”

नेहरू ने ऐसा कभी नहीं कहा कि वो दुर्भाग्य से हिंदू हैं. ये बात हिंदू सभा के अध्यक्ष एन बी खरे ने बोली थी.

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सोशल मीडिया पर पिछले कई सालों से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर कई भ्रामक खबरें वायरल होती आई हैं. कई सालों से जवाहरलाल नेहरू को लेकर इस दावे के साथ एक मैसेज वायरल हो रहा है कि उन्होंने कहा था कि “मैं शिक्षा से ईसाई, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिंदू हूं.” इस मैसेज कि पड़ताल क्विंट पहले भी कर चुका है. अब इसे फिर से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.

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हालांकि, क्विंट ने इस मैसेज की पड़ताल में पाया कि जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा कभी नहीं बोला. इसके लिए हमने कई इतिहासकारों से बात की और नेहरू से जुड़ी कई किताबों को भी खंगाला, लेकिन हमें नेहरू का कहा गया ऐसा कोई भी वक्तव्य नहीं मिला.

दावा

सालों से शेयर हो रहा ये दावा एक बार फिर से सोशल मीडिया पर शेयर होने लगा है. कई यूजर्स ने जवाहरलाल नेहरू की फोटो वाली एक कटिंग शेयर की है, जिसमें लिखा पंडित नेहरू को क्रेडिट देते हुए लिखा है, “मैं शिक्षा से ईसाई, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिंदू हूं.”

इस पोस्ट को कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

क्या है सच?

हमने बी आर नंदा की किताब 'The Nehrus: Motilal and Jawaharlal' में नेहरू पर की जा रही इस टिप्पणी का संदर्भ मिला. बी आर नंदा ने मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू पर किताबें लिखी हैं. साथ ही, वे महात्मा गांधी के बायोग्राफर भी हैं. नंदा के मुताबिक, हिंदू महासभा के एक लीडर एन बी खरे ने नेहरू के बारे में बोला था कि वो शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिंदू हैं.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी किताब 'Nehru: The Invention of India' में भी इस बात का जिक्र किया है और लिखा है कि 1950 में हिंदू महासभा के एन बी खरे ने नेहरू के लिए कहा था कि “वे शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिंदू हैं.”

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ऊपर बताए गए दोनों सोर्स से पता चलता है कि दुर्भाग्य से हिंदू होने वाला कथन जवाहरलाल नेहरू का नहीं बल्कि एन बी खरे का था.

कौन थे एन बी खरे?

खरे ने अपनी राजनीति के शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी और वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं. उन्होंने साल 1949 में हिंदू महासभा को ज्वाइन कर लिया और 1951 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहे. खरे को भारत की संविधान सभा के लिए भी चुना गया था.

क्या कहना है इतिहासकारों का?

इसके अलावा, हमने हिंदी के जाने-माने लेखक, चिंतक और जवाहरलाल नेहरू पर ‘कौन हैं भारत माता?’ नाम की किताब लिखने वाले पुरुषोत्तम अग्रवाल से भी बात की. उन्होंने इस दावे का दो टूक जवाब ‘न’ में देते हुए इसे खारिज कर दिया. उन्होंने बताया कि ये दावा गलत है.

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हमने नेहरू पर ‘नेहरू मिथक और सत्य’ नाम की किताब लिखने वाले लेखक पीयूष बबेले से भी बात की. उन्होंने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई कथन नेहरू ने नहीं बोला है. और जो बात उन्होंने बोली ही नहीं है, उसके सबूत में क्या दिया जा सकता है?

इसके पहले भी वायरल हो चुका है ये झूठा दावा

साल 2015 में बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीया ने भी ट्वीट करके जवाहरलाल नेहरू के बारे में यही बात लिखी थी. कई फैक्ट चेक वेबसाइट्स ने इस दावे को इसके पहले भी खारिज किया है, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने अभी तक ये ट्वीट डिलीट नहीं किया है.

सितंबर 2018 में Republic TV की एक डिबेट में, बीजेपी के संबित पात्रा ने भी जवाहरलाल नेहरू के लिए यही बात बोली थी. इस वीडियो को आप नीचे देख सकते हैं.

इस दावे की पड़ताल Alt News और द क्विंट जैसी कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट पहले भी कर चुकी हैं.

मतलब साफ है कि जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा कभी भी नहीं बोला कि वो शिक्षा से ईसाई, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिंदू हैं. ये दावा भ्रामक और गलत है.

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