दावा
देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक फोटो ट्विटर और फेसबुक पर एक दावे के साथ खूब शेयर की जा रही है. दावा- फोटो दिखाती है कि थप्पड़ खाने के बाद नेहरू जवाबी हमला करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से खुद को रोक लिया. फोटो में दिखाई दे रहा है कि एक शख्स ने उन्हें पीछे से पकड़ा हुआ है, वहीं आस-पास काफी भीड़ है.
फोटो के साथ वायरल हो रहे मैसेज में लिखा है कि एक इवेंट में एक वेदिक स्कॉलर और इस आयोजन के मुख्य अतिथि, स्वामी विद्यानंद विदेह ने 1962 के भारत-चीन वॉर में हार के बाद नेहरू को थप्पड़ मार दिया था.
मैसेज के मुताबिक, नेहरू को इसलिए थप्पड़ मारा गया था क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि 'आर्य भारत में शरणार्थी थे.' स्वामी ने कथित तौर पर नेहरू के दावे को नकार दिया था. स्वामी ने ये भी कहा था कि अगर सरदार पटेल पीएम होते, तो देश की हालत काफी खराब होती.
मैसेज में कही बात को दो किताबों से लिया गया बताया गया है: 'विदेह गाथा: एक आर्य संन्यासी की डायरी' और 'नेहरू: उत्थान और पतन'.
फेसबुक पर काफी बार शेयर हुआ ये मैसेज.
कितनी सच है ये बात?
इस बात में बिल्कुल सच्चाई नहीं है कि 1962 की लड़ाई के बाद नेहरू को उनके भाषण के लिए थप्पड़ मारा गया था. हालांकि ये सच है कि ये तस्वीर 1962 की ही पटना में कांग्रेस पार्टी के एक इवेंट की है. इस बात को कहीं रिपोर्ट नहीं किया गया कि नेहरू को इस इवेंट या कहीं और थप्पड़ मारा गया था.
हमें जांच में क्या मिला?
रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें आउटलुक मैगजीन की एक फोटो मिली.
फोटो के कैप्शन के मुताबिक, नेहरू को 1962 में, वॉर से पहले दंगाई भीड़ से बचाया जा रहा था. फोटो का क्रेडिट एसोसिएटेड प्रेस को दिया गया है.
हमने इसके बाद फोटो को एसोसिएटेड प्रेस फोटो अर्काइव में 'नेहरू 1962' कीवर्ड्स से सर्च किया, जिसके बाद हमें ओरिजनल फोटो मिली.
फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है: 'जनवरी 1962 में भारत के पटना में कांग्रेस पार्टी की एक मीटिंग में दंगाई भीड़ से भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू को बचाता एक सिक्योरिटी गार्ड. इसी साल, चीन ने भारत पर हमला किया था, जिससे नेहरू के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो गई थीं.'
कैप्शन से साफ पता चलता है कि ये फोटो भारत-चीन वॉर के पहले ली गई थी, वहीं दोनों देशों के बीच जंग 1962 में अक्टूबर-नवंबर में हुई थी. इससे साफ होता है कि फोटो वॉर से पहले ली गई थी.
द इंडियन एक्सप्रेस के अर्काइव में सर्च करने पर, हमें इस खबर को लेकर एक रिपोर्ट मिली.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, पटना में कांग्रेस की मीटिंग में भीड़ पीएम नेहरू की एक झलक पाने के लिए उनकी तरफ बढ़ रही थी और अव्यवस्थित हो गई थी.
इस फोटो से साफ होता है कि ये किसी भी तरह से भारत-चीन वॉर से जुड़ी नहीं है और सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है.
क्विंट की पड़ताल में नेहरू को थप्पड़ मारे जाने के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं मिली. मैसेज में दी गई दो किताबों के बारे में भी हमें कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
पहले भी वायरल हुई है ये फोटो
1962 के भारत-चीन वॉर के बाद लोगों ने नेहरू की पिटाई की थी, इस दावे के साथ ही ये फोटो पहले वायरल हुई थी.
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