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Jawaharlal Nehru को 'हिंदू विरोधी' और 'चरित्रहीन' बताती FAKE NEWS का सच

Nehru को कभी हिंदू विरोधी साबित करने के लिए तो कभी उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते Fake दावों की सोशल मीडिया पर भरमार है

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वीडियो एडिटर : पवन कुमार, प्रज्जवल कुमार

एडिटोरियल इनपुट : कृतिका गोयल

सीनियर एडिटर : संतोष कुमार

दुनिया की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में भले ही भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के बारे में पढ़ाया जाता हो. भले ही इन प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में नेहरू के नाम पर फेलोशिप चल रही हों. लेकिन, ये सारा ज्ञान एक तरफ है और वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी का ज्ञान एक तरफ. ये कहना गलत नहीं होगा कि नेहरू भारत के इतिहास के उन नेताओं में से एक हैं, जिनको लेकर सोशल मीडिया पर Fake News की सबसे ज्यादा भरमार है.

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वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी पर पंडित नेहरू को लेकर ऐसी कई कहानियां, तस्वीरें, वीडियोज मौजूद हैं जो उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में नाकाम, हिंदू धर्म का अपमान करने वाला साबित करने के लिए शेयर किए जाते हैं.

कई बार तो हद इतनी पार हो जाती है कि पंडित नेहरू को देशद्रोही साबित करने की कोशिश होती है या फिर ये कहा जाता है कि उनका धर्म इस्लाम था. क्विंट की वेबकूफ टीम लगातार इन दावों की पड़ताल करती रही है और सच आप तक पहुंचाती रही है. इस वीडियो में हम नेहरू से जुड़े ऐसे ही कई दावों का सच आप तक पहुंचा रहे हैं, नेहरू से जुड़ी वो भ्रामक खबरें जो सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होती हैं.

नेहरू ने कहा ''मैं दुर्भाग्य से हिंदू हूं?"

नेहरू के बयान का बताया जाने वाला ये स्क्रीनशॉट साल दर साल इतना ज्यादा वायरल हो चुका है कि बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूजर्स इसे नेहरू का आधिकारिक बयान ही मानने लगे हैं.

सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं राजनीतिक मंचों तक भी ये दावा पहुंच चुका है. बीजेपी के आईटी सेल हैड अमित मालवीय भी साल 2015 में ट्वीट कर इसे नेहरू का ही बयान बता चुके हैं.

दरअसल ये बयान आया है बी आर नंदा की किताब 'The Nehrus: Motilal and Jawaharlal' से. इस किताब के मुताबिक, हिंदू महासभा के एक लीडर एन बी खरे ने नेहरू के बारे में बोला था कि वो शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और एक्सीडेंटली हिंदू हैं. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी किताब 'Nehru: The Invention of India' में भी इस बात का जिक्र किया है और लिखा है कि 1950 में हिंदू महासभा के एन बी खरे ने नेहरू के लिए ऐसा कहा था.

क्विंट से बातचीत में हिंदी के जाने-माने लेखक, चिंतक और जवाहरलाल नेहरू पर कौन हैं भारत माता?’ नाम की किताब लिखने वाले पुरुषोत्तम अग्रवाल भी इस दावे को गलत बता चुके हैं.

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तस्वीरें जो नेहरू के चरित्र पर सवाल उठाते हुए होती हैं वायरल

इस फोटो को सोशल मीडिया पर नेहरू की असली तस्वीर का बताकर शेयर किया जाता है. क्विंट की पड़ताल में सामने आया कि असल में ये एक नाटक ‘Drawing the Line' का सीन है. इस प्ले से जुड़े कई आर्टिकल्स में हमें यही फोटो देखी जा सकती है. लंदन के Hampstead Theatre. की ऑफिशियल वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि इस प्ले में अभिनेता लकी ब्लैक ने पंडित नेहरू और अभिनेत्री सिलसा कारसन ने एडविना माउंटबेटन का किरदार निभाया था.

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अगली तस्वीर भी कुछ ऐसे ही दावे के साथ शेयर की जाती है. ये फोटो तो असली है, लेकिन फोटो को लेकर शेयर होने वाला नैरेटिव नहीं. फोटो में नेहरू के साथ दिख रही युवती उनकी भांजी नतनतारा सेहगल हैं.

तस्वीर साल 1955 की है. जब जवाहरलाल नेहरू के लंदन एयरपोर्ट पहुंचने पर उनकी भांजी ने उनका स्वागत किया था. British Pathé के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर नेहरू का स्वागत करती नयनतारा का वीडियो भी देखा जा सकता है. वायरल फोटो में जो फ्रेम है वो वीडियो में 00:27 सेकंड के बाद देखा जा सकता है.

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एक अन्य महिला के साथ दिख रही नेहरू की इस फोटो को भी कई बार शेयर कर उनपर निशाना साधा जाता रहा है.

हालांकि, फोटो को जब हमने रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें आउटलुक पर यही फोटो मिली. आउटलुक पर दी गई जानकारी से स्पष्ट हुआ कि ये फोटो नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की है.

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ये तो हुई बात नेहरू के कैरेक्टर पर सवाल उठाने के लिए भ्रामक दावे से शेयर होने वाली उनकी कुछ तस्वीरों की. अगला मुद्दा है नेहरू की देशभक्ति. पंडित नेहरू की देशभक्ति को कटघरे में खड़ा करते दावों की भी सोशल मीडिया पर कमी नहीं है.

भगत सिंह से मिलने गए थे नेहरू, फिर भी लगातार फैलाया जा रहा झूठ

दावा किया जाता है कि कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त जैसे तमाम क्रांतिकारियों से मिलने उस वक्त नहीं गया, जब ये सब जेल में थे. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच ये दावा अक्सर किया जाता है. यहां आरोप कांग्रेस पार्टी या गांधी परिवार पर लगता है लेकिन, निशाना नेहरू पर ही होता है.

जबकि सच ये है कि पंडित नेहरू भगत सिंह और तमाम क्रांतिकारियों से मिलने जेल गए थे. अगस्त 1929 में भगत सिंह से हुई मुलाकात के बारे में नेहरू ने जो लिखा था उसका हिंदी अनुवाद हम आपको बता रहे हैं. इस दावे से जुड़ी क्विंट की पूरी पड़ताल आप यहां पढ़ सकते हैं.

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पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़े हर वायरल दावे का सच हम इस एक स्टोरी में आपको नहीं बता सकते. लेकिन, इन चंद दावों का सच जानकर आपको ये अंदाजा हो गया होगा कि सोशल मीडिया पर जो आपके पास भेजा गया है जरूरी नहीं वो सच हो. इसलिए फॉरवर्ड करने से पहले वेरिफाई करना जरूरी है.

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(वेरिफाई करने में आपकी मदद करेंगे हम. किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट पर अगर आपको शक है तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आईडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर हमें भेजें. तब तक हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज पढ़ने के लिए फेसबुक, ट्विटर पर क्विंट हिंदी और वेबकूफ को फॉलो करें और वेबकूफ न बनें.)

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